पटना: आंख पर काला चश्मा और बाइक की स्पीड 70 किमी प्रति घंटा. न ब्रेक मारने की परेशानी और न ही हॉर्न बजाने का झंझट. ये है शनिवार के दिन शहर की हालत. आम तौर पर शहर के भीड़-भाड़वाले हिस्से में शनिवार की सुबह रोड पूरी तरह से खाली था. ट्रैफिक कंट्रोल करने वाले सिपाही भी बेफिक्र होकर आंनद ले रहे थे. वाहन चलानेवाले चालक चिल्ताते हुए कह रहे थे कि हर दिन ऐसी ही सड़क हो.
शहर रहा ट्रैफिक फ्री
राजधानी में हर दिन जाम आम लोगों के लिए समस्या बन चुकी है. घर से निकलते ही ट्रैफिक के जाम से रू-ब-रू होना पड़ता था, लेकिन शनिवार की सुबह राजधानी की सड़को पर सन्नाटा पसरा हुआ था. आम दिनों में हड़ताली मोड़ पर सुबह 9 बजे से लेकर रात को 7 बजे तक काफी भीड़ दिखायी देती है. लोग सरकते हुए धीरे-धीरे अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. लेकिन शनिवार को सुबह हड़ताली मोड पूरी तरह से खाली दिखायी दिया. राजधानी वासी बेली रोड पर बाइक की स्पीड 50 से 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चला रहे थे. शनिवार के दिन आम लोगों ने बोरिंग रोड से डाक बंगला की दूरी को मात्र 15 मिनट में तय की. ये राजापुर, आर ब्लॉक, एक्जिबिशन चौराहे का रहा. रेल मार्ग होने के कारण आम दिन की अपेक्षा बहुत कम लोग फ्रेजर रोड पर चहल-कदमी दिखायी दिये. गांधी मैदान के समीप चाय, भोजन और पान की छिटपुट दुकानें खुली हुईं थी, लेकिन उन पर इक्का-दुक्का ही ग्राहक नजर आये.
बस स्टेशन पर बसें थीं, यात्री नहीं : छठ की सुबह बस स्टेशन पर यात्री बसों को पकड़ने के लिए दौड़ भाग करते हुए दिखायी दे रहे थे. एक यात्री पहुंचता, तो सारे ड्राइवर उसके पास दौड़ कर पहुंच जाते थे और पूछते है कि कहां जाना है.
रेलवे स्टेशन पर रही भीड़ : रेलवे स्टेशन पर आम दिनों से कुछ कम भीड़ दिखने को मिली. केवल वे ही यात्री यात्र कर रहे थे जिनको लंबी दूरी की यात्र करनी थी. अधिकांश यात्री केवल रिजर्वेशन काउंटर पर खड़े होकर अगले दिन की यात्र के लिए टिकट सुनिश्चित कराते दिखायी दिये.
ऑटों की संख्या रही कम : छठ के बाद आराम का दिन. लोग अपने घरों में रहे. ऐसे में राजधानी की सड़कों पर जाम का कारण बननेवाले ऑटो का संचालन लगभग बंद -सा रहा. शाम में एक दो ऑटो के अतिरिक्त कोई अन्य सवारी गाड़ी नहीं दिखायी दी. ऐसे में यदि किसी को कहीं जाना होता था, तो वह बाइक चलानेवाले से लिफ्ट ले करके निर्धारित स्थानों पर जाते हुए दिखायी दिये.