17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बीमार अस्पताल में कैसे हो लोगों का इलाज

दवाओं व डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है गुरु गोिवंद िसंह अस्पताल हड्डी व नेत्र रोग विभाग बंद पटना सिटी : चिकित्सक व दवाओं की कमी झेलते गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में मरीजों का उपचार हो तो कैसे हो. स्थिति यह है कि चिकित्सक के अभाव में नेत्र व इएनटी विभाग तो पहले से […]

दवाओं व डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है गुरु गोिवंद िसंह अस्पताल
हड्डी व नेत्र रोग विभाग बंद
पटना सिटी : चिकित्सक व दवाओं की कमी झेलते गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में मरीजों का उपचार हो तो कैसे हो. स्थिति यह है कि चिकित्सक के अभाव में नेत्र व इएनटी विभाग तो पहले से ही बंद थे, अब हड्डी रोग विभाग भी बंद हो गया है. दरअसल विभाग में तैनात डॉक्टर का स्थानांतरण हो चुका है. स्थिति यह है कि उपचार कराने आये हड्डी रोग के मरीज निराश लौट रहे हैं. श्री गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में यों तो स्वीकृत बेड 394 हैं, पर वर्तमान में अस्पताल में 127 बेड हैं.
शिशु व सर्जरी में एक, स्त्री रोग में तीन डॉक्टर : अस्पताल में इस समय महज एक दर्जन डॉक्टर हैं, जिनमें शिशु रोग विभाग व सर्जरी विभाग में एक-एक डॉक्टर हैं, जबकि स्त्री रोग विभाग में तीन डॉक्टर हैं.
मेडिसिन में भी पांच डॉक्टर हैं. अस्पताल के अधीक्षक डॉ मुकेश कुमार बताते हैं कि विभाग को चिकित्सकों की कमी से अवगत कराया गया है. चिकित्सक के अभाव में महिला व प्रसूति विभाग में तीन पालियों में चिकित्सक से कार्य लेने में परेशानी हो रही है. इसके अलावा अस्पताल में इमरजेंसी चलाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि इस अस्पताल में उपचार कराने के लिए रात में मरीज आने से कतराते हैं, क्योंकि रात में चिकित्सक व्यवस्था मिलेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता है. हालांकि, ओपीडी में हर दिन 200 से 250 मरीज उपचार के लिए आते हैं.
दवाओं की है कमी : विभाग द्वारा दवाओं को उपलब्ध नहीं कराये जाने की स्थिति में अस्पताल में दवाओं की भी कमी बनी हुई है.अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि दवाओं की कमी के संबंध में विभाग को लिखा गया था. हालांकि, कुछ दवाओं की खरीदारी रोगी कल्याण समिति से फंड से भी हुई है. आउटडोर व इंडोर में मरीजों को दवा मिल रही है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है.
जानकारों की मानें, तो अस्पताल में आउटडोर मरीजों के लिए 33 प्रकार के व इंडडोर मरीजों के लिए 112 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए, जो अस्पताल में नहीं हैं. हद तो यह है कि अस्पताल में इंट्राकैट, आरएल स्लाइन के साथ इमरजेंसी में उपयोग आने के एंटी रैबिज दवा भी नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें