15 साल में एक मकान नहीं बना सका आवास बोर्ड इंट्रो : एकीकृत बिहार के समय ही सरकार ने विभिन्न आय वर्गों के लिए मकान बनाने के उद्देश्य से जमीन अधिग्रहित कर राज्य आवास बोर्ड को दी थी. एकीकृत बिहार के समय इन जमीनों पर विभिन्न प्रकार के मकान बने थे, जबकि ज्यादातर भूखंड खाली रह गये थे. वर्ष 2000 में राज्य विभाजन के बाद झारखंड आवास बोर्ड का गठन किया गया. बोर्ड ने अपने गठन के बाद से अब तक राज्य में एक भी मकान का निर्माण नहीं किया है. हां, बोर्ड ने सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन को बाजार मूल्य पर बेच कर लाभ जरूर कमाया है. बिना अनुमति के ही ज्वाइंट वेंचर (संयुक्त उपक्रम) में अपार्टमेंट बनाने का फैसला किया. नक्शे में ओपन स्पेस के रूप में चिह्नित की गयी जमीन के टुकड़ों को भी ज्वाइंट वेंचर में अपार्टमेंट खड़ी करने के लिए निजी कंपनियों को दे दिया. बोर्ड के इस फैसले पर कानूनी विवाद की वजह से निर्माण कार्य लंबित है.निजी हाथों में दे दी तीन शहरों की 43.0437 एकड़ जमीनझारखंड राज्य आवास बोर्ड ने तीन शहरों (राची,जमशेदपुर और धनबाद) मे कुल 43.0437 एकड़ जमीन विकसित करने के नाम पर निजी हाथों को सौंप दी. बोर्ड न वर्ष 2008 में 22 बिल्डरों के साथ एग्रीमेंट कर ज्वाइंट वेंचर बनाया. बोर्ड की जमीन पर बहुमंजिली इमारतों को व्यावसायिक और आवासीय परिसर के रूप मे विकसित करने की कुल 24 योजनाएं बनायी गयी. इसमें से चार भूखंडों को छोड़ कर 18 जगहों पर काम शुरू नहीं किया जा सका है. विभिन्न कारणों से केवल चार भूखंडों पर ही काम शुरू किया जा सका है.लॉटरी के बाद भी आवंटन नहीं मकानों का निर्माण करने में अक्षम आवास बोर्ड भूखंडों के आवंटन के लिए लॉटरी आयोजित करने के बाद भी किसी को जमीन नहीं दे सका है. जुलाई 2011 में बोर्ड द्वारा भूखंडों के आवंटन के लिए लॉटरी आयोजित की गयी थी. लॉटरी के माध्यम से बोर्ड ने करोड़ों रुपये की कमाई की. तय समय पर लॉटरी हुई. विजेताओं के नाम भी सार्वजनिक किये गये, लेकिन आवंटन नहीं किया जा सका. बोर्ड में कार्यरत कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण लॉटरी में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने लगी. जांच के बाद पता चला कि बोर्ड के कर्मचारियों और उनके रिश्तेदार भी लॉटरी में विजेता बन गये हैं. इसके बाद लॉटरी की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गये. फिलहाल, यह मामला राज्य सरकार के विचाराधीन है.चार जिलों में जमीन की तलाशआवास बोर्ड राजधानी रांची समेत कई जिलों में नयी आवासीय कॉलोनियां बनाने की तैयारी कर रहा है. दुमका, गिरिडीह और देवघर में नयी आवासीय कॉलोनियां बसाने के लिए जमीन चिह्नित कर ली गयी है. दुमका में 50 एकड़, गिरिडीह में 40 एकड़ और देवघर में 30 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का प्रस्ताव बोर्ड द्वारा संबंधित जिलों के भू-अर्जन कार्यालय को भेजा जा चुका है. राजधानी रांची में भी बोर्ड को लगभग 100 एकड़ जमीन की तलाश है. बोर्ड के अधिकारी राजधानी क्षेत्र के रातू, कांके और अनगड़ा अंचल में जमीन देख रहे हैं. जमीन की तलाश पूरी होते ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.घोटालों के लिए बनायी पहचान झारखंड के आवास बोर्ड में एक से एक घोटाले हुए. हालात यह हो गये कि लोगों को सस्ते आवास देने के बजाय घोटालों के लिए झारखंड आवास बोर्ड की पहचान होने लगी. कई आरोपों की जांच भी हुई. कई मामलों में बोर्ड को लोग दोषी भी पाये गये. कार्रवाई भी हुई. इसमें ज्वाइंट वेंचर घोटाला, कट प्लॉट घोटाला, आवंटन पुनर्जीवित करने का घोटाला, भू-मुआवजा घोटाला, जमीन घोटाला, लॉटरी आवंटन घोटाला, संविदा नियुक्ति घोटाला, प्रोन्निति घोटाला आदि शामिल हैं. ज्वाइंट वेंचर घोटाला : ज्वाइंट वेंचर के नाम पर 43 एकड़ जमीन आवास बोर्ड ने रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारों में कौड़ियों के भाव में बिल्डरों को दे दी. इसकी शुरुआत वर्ष 2005 से 2007 के बीच हुई. इसमें बोर्ड के एक पूर्व एमडी और पूर्व अध्यक्ष की भूमिका संदेहास्पद थी. पूरे मामले पर जनहित याचिका भी दायर की गयी है. कट प्लॉट घोटाला : बोर्ड ने अपने कर्मियों और चाहने वाले प्रभावी लोगों को कट प्लॉट के नाम पर अच्छी-अच्छी जमीन दे दी. इसमें बोर्ड के कई कार्यपालक अभियंता, कनीय अधिकारी, आइपीएस और आइएएस अधिकारी उपकृत हुए. इसके तहत तीन से लेकर छह डिसमिल तक के प्लॉटों की बंदरबांट हुई. पेट्रोल पंप के नाम पर भी कुछ को भू खंड आवंटित कर दिये गये. आवास पुनर्जीवित घोटाला : बोर्ड के अधिकारियों ने दलालों को मदद पहुंचाने के लिए रद्द किये गये जमीन आवंटन को पुनर्जीवित कर दिया. इसे फ्रेस आवंटन की सूची में डाल दिया. फरजी लोगों को खड़ा कर तीसरी पार्टी को जमीन बेच दी गयी. 10 वर्ष पूर्व रद्द किये गये आवंटन को भी पुनर्जीवित कर दिया गया. लॉटरी घोटाला : बोर्ड ने संयुक्त बिहार के समय ही भूखंडों का आवंटन लॉटरी से करने का निर्णय लिया था. झारखंड बनने के बाद वर्ष 2011 में एक लॉटरी की गयी. इसमें हजारों लोगों ने आवेदन किया. आवंटन सूची भी जारी कर दी गयी. नियमों का पालन नहीं होने के कारण जांच के बाद पूरे आवंटन को रद्द कर दिया गया. इसमें हजारों लोगों को पैसा अब तक फंसा हु्आ है. निजी हाथों में कितनी जमीन सौंपीजिला ®जमीन (एकड़ में)रांची ®25.1062जमशेदपुर ®15.8810धनबाद ®2.0565ज्वाइंट वेंचर के लिए बिल्डरों के साथ एग्रीमेंट किये गये भूखंड और कार्य की स्थिति का ब्योराबिल्डर का नाम ® भूखंड (एकड़ में)®स्थानकमला कंस्ट्रक्शन ®01 ®अरगोड़ा मोदी प्रोजेक्ट ® 03® हरमू कमला कंस्ट्रक्शन ® 04 ® हरमू कमला कंस्ट्रक्शन ®05 ®हरमू मोदी कंस्ट्रक्शन® 07 ® हरमू एक्सल वेंचर ®08 ® हरमू एक्सल वेंचर ® 10 ® हरमू कमला कंस्ट्रक्शन® 17® हरमू आरआर अग्रवाल® 01 ® बरियातू कमला कंस्ट्रक्शन ®01 ® बरियातू सिंप्लेक्स इंफ्रा स्ट्रक्चर ®02 ®बरियातू संप्लेक्स इंफ्रा स्ट्रक्चर® 03® बरियातूनव निर्माण बिल्डर्स ®01 ®जमशेदपुर कमला कंस्ट्रक्शन® 01 ® धनबाद कमला कंस्ट्रक्शन ® 05 ® धनबाद कमला कंस्ट्रक्शन ®06 ®धनबाद कमला कंस्ट्रक्शन ® 09 ® धनबाद एक्सल वेंचर ®09 ®हरमू नव निर्माण बिल्डर्स ®03 ®जमशेदपुर एक्सल वेंचर®02® हरमू कमला कंस्ट्रक्शन ® 2/5® जमशेदपुर……………………………………………….(यह क्यों नहीं कर सकते हम)छत्तीसगढ़ आवास बोर्ड : 10 साल में 60 हजार से अधिक आवास निर्माणझारखंड के साथ ही बना छत्तीसगढ़ आवास निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहा है. छत्तीसगढ़ में आवास बोर्ड का गठन 2004 के फरवरी माह में हुआ था. अब तक बोर्ड यहां 60 हजार के अधिक मकान बना चुका है. इस पर अब तक चार हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च हो चुकी है. नया रायपुर भी आवास बोर्ड ने ही बसाया है. आवास बोर्ड आने वाले तीन साल में एक लाख से अधिक आवास निर्माण करने की योजना पर काम कर रहा है. यह आवास सभी श्रेणी के लोगों के लिए होगा. छत्तीसगढ़ आवास बोर्ड अटल आवास योजना के तहत गरीबों को भी आवास उपलब्ध कराता है. इस श्रेणी में 60 हजार रुपये वार्षिक आय से कम श्रेणी वाले लोगों को रखा गया है. इसके तहत लोगों को 560 वर्ग फीट का मकान दिया जाता है. इस स्कीम के तहत 19 हजार से अधिक मकान निर्माणाधीन हैं. दीनदयाल आवास योजना के तहत ही 14,700 मकान का निर्माण कराया जा रहा है. इस स्कीम के तहत एक लाख 20 हजार रुपये प्रति वर्ष कमाने वालों को रखा गया है. दो लाख रुपये वार्षिक आय से नीचे वालों के लिए छत्तीसगढ़ आवास बोर्ड कुश भाऊ ठाकरे आवास योजना चला रहा है. इसके तहत पहले चरण में 700 आवास का निर्माण किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की बढ़ती आबादी के मद्देनजर आवास बोर्ड ने 10 से अधिक कॉलोनियां विकसित की हैं. 2013 में 10 हजार के अधिक मकानों का उद्घाटन किया गया. इसमें 85 फीसदी कॉलोनियां निम्न और कमजोर आर्थिक स्थिति वालों के लिए है. आवास बोर्ड यहां 14 शहरों में कॉलोनी विकसित कर रहा है. आवास बोर्ड की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए आवास नीति भी बना ली गयी है. इस नीति में समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का प्रयास किया गया है.
15 साल में एक मकान नहीं बना सका आवास बोर्ड
15 साल में एक मकान नहीं बना सका आवास बोर्ड इंट्रो : एकीकृत बिहार के समय ही सरकार ने विभिन्न आय वर्गों के लिए मकान बनाने के उद्देश्य से जमीन अधिग्रहित कर राज्य आवास बोर्ड को दी थी. एकीकृत बिहार के समय इन जमीनों पर विभिन्न प्रकार के मकान बने थे, जबकि ज्यादातर भूखंड खाली […]
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