पटना: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता अब भी नहीं सुधर रही है. कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता जिस सड़क को संतोषजनक बता चुके हैं, निरीक्षण के क्रम में उसमें कई खामियां पायी गयी है.
सड़कों के निरीक्षण के लिए बनी मुख्यालय की टीम ने 35 सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठाये हैं. इन सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता सुधारने को कहा गया है. मुख्य अभियंता के स्तर पर इन सड़कों में सुधार को लेकर विभाग ने आवश्यक निर्देश जारी किये हैं.
ग्रामीण कार्य विभाग में सड़क निर्माण के दौरान निरीक्षण की तीन स्तर की टीम बनी हुई है. निर्माण के दौरान पहली टीम कार्य प्रमंडलों की होती है. इसमें निरीक्षण के लिए विशेष अधिकारी तैनात किये जाते हैं जो कार्यपालक अभियंता स्तर के होते हैं. निरीक्षण के बाद इन अधिकारियों ने सड़क की गुणवत्ता सही पायी. इसके बाद दूसरे स्तर की टीम ने सड़कों का निरीक्षण शुरू किया.
स्टेट क्वालिटी मॉनीटरिंग के सदस्यों ने पाया कि कई सड़कों की मुटाई स्तरहीन है. कुछ क सामग्री सही नहीं है तो कुछेक सड़कों के निर्माण में सभी पहलूओं का ख्याल नहीं रखा गया है. वैसे तीन दर्जन सड़कों को चिह्न्ति करने के बाद एसक्यूएम ने एटीआर – टू बी रेक्टीफाइड की श्रेणी में डाला. इस श्रेणी में आने के बाद सड़कों के निर्माण की प्रक्रिया में कई सुधार करने पड़ते हैं. हालांकि, गुणवत्ता का सही स्तर राष्ट्रीय स्तर की टीम के निरीक्षण के बाद ही तय होता है. राज्य स्तरीय टीम के निरीक्षण के बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम एनक्यूएम के सदस्य ग्रामीण सड़कों का जायजा लेंगे. यह टीम अगर संतुष्ट हो जायेगी तभी राशि मिल पायेगी.