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ले ली : इंसाफ करनेवाली काउंसेलर खुद न्याय के लिए लगा रही गुहार

ले ली : इंसाफ करनेवाली काउंसेलर खुद न्याय के लिए लगा रही गुहार- थानों में नियुक्त महिला काउंसेलरों के लिए न बैठने की जगह है और न ही शौचालय की व्यवस्था संवाददाता, पटनामहिला थाने में महिलाओं को आसानी से न्याय मिल सके, इसके लिए पटना जिले के 23 थानों में महिला विकास निगम की ओर […]

ले ली : इंसाफ करनेवाली काउंसेलर खुद न्याय के लिए लगा रही गुहार- थानों में नियुक्त महिला काउंसेलरों के लिए न बैठने की जगह है और न ही शौचालय की व्यवस्था संवाददाता, पटनामहिला थाने में महिलाओं को आसानी से न्याय मिल सके, इसके लिए पटना जिले के 23 थानों में महिला विकास निगम की ओर से महिला काउंसेलरों की नियुक्ति की गयी है, ताकि पीड़िताएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को उनके समक्ष खुल कर बता सकें. लेकिन, सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि उन काउंसेलरों की ही अब सुननेवाला कोई नहीं है. फरियाद सुननेवाली महिला काउंसेलर खुद ही न्याय की गुहार लगा रही हैं. थानों में उनके बैठने की न तो व्यवस्था है और न ही शौचालय. इससे वे खुद के साथ न्याय नहीं कर पा रही हैं. अगमकुआं थाने में स्थिति ऐसी है कि थाने में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या तीन हैं, जबकि पुरुष पुलिसकर्मी की संख्या लगभग 40 है. महिलाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं होने से वे जेंट्स शौचालय का ही इस्तेमाल करती हैं. कई बार तो महिलाओं को इसके लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. यहां तक कि साफ-सफाई नहीं होने से महिलाएं संक्रमित बीमारियों की शिकार हो रही हैं. यह स्थिति सिर्फ अगमकुआं थाने की ही नहीं, बल्कि पानी टंकी, कोतवाली समेत अन्य थानों की है. उन थानों में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं की गयी है. गांधी मैदान थाना छोड़ सभी थानों में एक जैसी स्थिति बनी हुई है.सुविधा के लिए दिये गये हैं 50 हजारमहिला विकास निगम द्वारा महिला काउंसेलरों की सुविधाओं के लिए बैठने से लेकर काम करने के लिए हर थाने को 50 हजार रुपये भी दिये गये हैं. बावजूद इसके महिला काउंसेलरों के लिए न तो बैठने के लिए उचित व्यवस्था है और न ही काउंसेलिंग करने के लिए अलग से कमरा. कंकड़बाग महिला थाने में काउंसेलर के लिए अब तक बैठने की व्यवस्था नहीं है. इससे वे कभी थाने के काेने में, तो कभी दरवाजे के बाहर बैठ कर काम कर रही हैं. कम पीती है पानी, ताकि जाना नहीं पड़े शौचालयमहिला काउंसेलरों के अनुसार थाने में प्रतिदिन लगभग आठ से दस मामलों की सुनवाई की जाती है. दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने में दिन भर बोलना पड़ता है. इससे गला सूखने लगता है. इसके बावजूद वे सब कम पानी पीती हैं, ताकि बार-बार शाैचालय नहीं जाना पड़े. हालांकि इससे वे दूसरी बीमारियों की चपेट में आ रही हैं. महिला विकास निगम के काउंसेलर प्रभारी विनय कुमार बताते हैं कि महिलाओं की परेशानी को देखते हुए भवन निर्माण विभाग को पत्र लिखा गया है, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके.कोटमहिला थानों में महिला काउंसेलरों की समस्याओं के लिए एडीजी से बात की गयी है. बीते वर्ष फरवरी में महिला थानों में काउंसेलरों की नियुक्ति की गयी है. थाने में दर्ज मामलों में 90 फीसदी का निबटारा काउंसेलिंग के द्वारा की जा रही है. जल्द ही महिला काउंसेलरों के लिए शौचालय की व्यवस्था की जायेगी. – रूपेश कुमार सिन्हा, परियोजना निदेशक, महिला विकास निगम \\\\B

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