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दो वर्षों से वन भूमि मिलने की राह देख रहे हैं 12 पेट्रोल पंप

पटना : बिहार में पेट्रोल पंप रिटेल आउटलेट खोलने की पेट्रोलियम विभाग ने दो वर्ष पहले ही स्वीकृति दे दी, किंतु वन पर्यावरण विभाग से वन भूमि और नो आॅब्जेक्शन सर्टिफिकेट न मिलने की वजह से 12 पंप नहीं खुल पा रहे हैं. पेट्रोल पंप आउटलेट खोलने के लिए वन पर्यावरण विभाग ने केंद्रीय वन […]

पटना : बिहार में पेट्रोल पंप रिटेल आउटलेट खोलने की पेट्रोलियम विभाग ने दो वर्ष पहले ही स्वीकृति दे दी, किंतु वन पर्यावरण विभाग से वन भूमि और नो आॅब्जेक्शन सर्टिफिकेट न मिलने की वजह से 12 पंप नहीं खुल पा रहे हैं.
पेट्रोल पंप आउटलेट खोलने के लिए वन पर्यावरण विभाग ने केंद्रीय वन विभाग को अनुशंसा तो भेजी है, किंतु वन भूमि मुहैया कराने में दो-से-तीन वर्ष तक का वक्त ले रहा है. केंद्रीय वन विभाग की इस शिथिलता के कारण बिहार में 12 पंप नहीं खुल पा रहे हैं. तीन वर्ष में मात्र समस्तीपुर और बेगूसराय में दो पेट्रोल पंप आउट लेट खोलने की इजाजत मिली है.
वन पर्यावरण विभाग ने समस्तीपुर के पूसा कल्याणपुर पथ के किनारे और बेगूसराय में गढ़पुरा-मालीपुर-हसनपुर पथ पर दो आइओसी और बीपीसीएल के आउटलेट खोलने के लिए क्रमश: 0.12 और 0,15 हेक्टेयर वन भूमि मुहैय्या कराने की स्वीकृति दी है.
समस्तीपुर में आइओसी और बेगूसराय में बीपीसीएल का रिटेल आउटलेट खोलने के लिये वन भूमि मुहैय्या कराने के लिये चार जुलाई, 2013 को ही आवेदन दिये गये थे, किंतु उसकी स्वीकृति अब जा कर मिली है. समस्तीपुर के पूसा कल्याणपुर पथ के किनारे और बेगूसराय में गढ़पुरा-मालीपुर-हसनपुर पथ के किनारे एक माह बाद ही दोनों कंपनियों के रिटेल आउटलेट खुल पायेंगे.
इसके लिये रिटेल आउटलेट खोलने वाले दोनों एजेंसियों को बजाप्ता विज्ञापन निकलवाना होगा.
पेट्रोल पंप आउट लेट खोलने के लिए कंपनियों से हरी झंडी तो दो-तीन माह में मिल जाती है, किंतु वन भूमि लेने के लिये उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है.
पटना, मोतिहारी, गया, मुजफ्फरपुर, सीवान, सारण, रोहतास, पूर्णिया और भागलपुर में 12 पेट्रोल पंपों के रिटेल आउट लेट खोलने की पेट्रोलियम मंत्रालय ने अनुमति दे दी है, किंतु वन पर्यावरण विभाग से वन भूमि न मिलने के कारण इस मोरचे पर कोई काम नहीं हो पा रहा है. एनएच, स्टेट हाई-वे या अन्य सड़कों के किनारे तेल कंपनियों के लिए रिटेल आउटलेट खोलने के लिए वन विभाग से एनओसी और वन भूमि लेनी होती है.
बिहार वन पर्यावरण विभाग तो दो-तीन माह में इन्क्वायरी कर स्वीकृति दे देता है, किंतु केंद्रीय वन विभाग की जटिल प्रक्रिया के कारण इसमें अनावश्यक देरी हो रही है.

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