Advertisement
केंद्रीय बल व हाइटेक व्यवस्था के कारण शांतिपूर्ण मतदान
बिहार चुनाव में हुआ यह पहली बार, जब बिना किसी हिंसा के संपन्न हुआ पांचों चरणों का मतदान पटना : चुनाव के पांचों चरण शांतिपूर्वक संपन्न हो गये. कई दशकों बाद यह पहली बार ही हुआ है कि पांच चरण के चुनाव में किसी तरह की हिंसा नहीं हुई. जबकि राज्य में सात जिले नक्सली […]
बिहार चुनाव में हुआ यह पहली बार, जब बिना किसी हिंसा के संपन्न हुआ पांचों चरणों का मतदान
पटना : चुनाव के पांचों चरण शांतिपूर्वक संपन्न हो गये. कई दशकों बाद यह पहली बार ही हुआ है कि पांच चरण के चुनाव में किसी तरह की हिंसा नहीं हुई. जबकि राज्य में सात जिले नक्सली गतिविधि के हिसाब से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं. बावजूद इसके पूरा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से होने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं.
इसमें पिछले चुनावों की तुलना में सबसे ज्यादा संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती करना और हेलीकॉप्टर, ड्रोन, तीन स्तरीय संचार व्यवस्था, सैटेलाइट ट्रैकर समेत अन्य उच्च तकनीकों का बड़ी संख्या में उपयोग होना है. चुनाव में तमाम केंद्रीय फोर्सों के समन्वय की जिम्मेवारी सीआरपीएफ (बिहार जोन) को सौंपी गयी थी.
केंद्रीय सुरक्षा बल : इस बार चुनाव में सभी बूथों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी थी. किसी चरण के चुनाव में केंद्रीय बलों की कोई कमी नहीं हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया.
पहले चरण में 725 केंद्रीय बलों को लगाया गया था, वहीं अंतिम चरण में जरूरत के हिसाब से इसे बढ़ा कर 768 कर दिया गया. सात तरह के विभिन्न केंद्रीय फोर्सों के अलावा 8-9 राज्यों की स्थानीय पुलिस को भी बिहार के चुनाव में लगाया गया था. समुचित मॉनीटरिगं के लिए सीआरपीएफ ने अतिरिक्त नोडल ऑफिसर लगाये थे.
लगाये गये फोर्स : सीआरपीएफ (225), बीएसएफ (125), सीआइएसएफ (115), एसएसबी (105), आइटीबीपी (60), आरपीएफ (60) के अलावा अन्य राज्यों के पुलिस बल (75) शामिल हैं.
दूसरे राज्यों के पुलिस बलों में पंजाब, कर्नाटक, सिक्किम, राजस्थान, उत्तराखंड, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, ओड़िसा समेत अन्य राज्यों की पुलिस शामिल है. इसके अलावा बीच-बीच में जरूरत पड़ने पर कुछ अतिरिक्त संख्या में केंद्रीय फोर्सों की तैनाती की गयी है. सीआरपीएफ के आइजी अरुण कुमार ने बताया कि इस चुनाव में पहली बार नक्सल प्रभावित बूथों पर कोबरा फोर्स को लगाया गया था.
इन फोर्सों को चुनाव से करीब दो महीनापहले ही तमाम नक्सली क्षेत्रों में तैनात कर दिया गया था. इसके अलावा करीब 250 कंपनी केंद्रीय फोर्स को भी मंगवा लिया गया था. इन्हें श्रेणी-ए और बी के नक्सल प्रभावित 12 जिलों में तैनात कर सघन अभियान चलाये गये थे. इसमें निरंतर डीमाइनिंग ऑपरेशन, फ्लैग मार्च समेत अन्य अभियान प्रमुखता से चलाये गये थे.
दुरुस्त संचार व्यवस्था : विधानसभा चुनाव के दौरान जल, थल और नव हर स्थान पर मौजूद सुरक्षा बलों के बीच हर परिस्थिति में संचार व्यवस्था कायम रहना सफल चुनाव का सबसे प्रमुख आधार है. तीन स्तरीय दुरुस्त संचार व्यवस्था के कारण हर पल सूचना का आदान-प्रदान होता रहा.
हॉरिजोन्टल और वरटीकल रूप से संचार की व्यवस्था बनाये रखने के लिए सैटेलाइट फोन, मोबाइल और लो-फ्रिक्वेंसी वायरलेस सेटों का उपयोग किया गया था. इसके अलावा सैटेलाइट ट्रैकर, एंटी बम और लैंड माइंस सर्च डिवाइस जैसे अन्य आधुनिक उपकरणों का उपयोग काफी सफल साबित हुआ. इनकी मदद से बूथ और एरिया मैनेजमेंट करने में बेहद सहायता हुई.
जिससे हर पल हर गतिविधि पर नजर रख इसकी सूचना प्रत्येक जिलों में और फिर राज्य स्तर पर बने कंट्रोल रूम निरंतर दिया गया.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement