पटना: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर से देशभर के किन्नरों की पहचान धार्मिक रूप में भी मिल गयी है. जी हां, उज्जैन में दशहरा पर गठित देश का पहले किन्नर अखाड़ा कुछ इसी तरह का मिसाल पेश कर रहा है. यह अखाड़ा किन्नर समुदाय का है, जो देशभर के किन्नरों को एक सूत्र में बांधने का काम करेगा. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा देश के पहले किन्नर अखाड़ा के रूप में मान्यता प्रदान किया गया है.
छह पीठाधीश्वर व दो महंत चुने गये
अखाड़े के गठन के साथ इसमें छह पीठाधीश्वर और दो महंत का चुनाव किया गया है. ये छह पीठाधीश्वर पूरे देश के छह अलग-अलग दिशाओं से चयन किये गये हैं. ये सभी किन्नर समुदाय के जाने-माने विद्वान हैं, जिनकी पहचान सामाजिक और धार्मिक रूप में है. इनमें बिहार से संतोषी किन्नर भी हैं. संतोषी मीठापुर राम जानकी मंदिर में पूजा-पाठ कराती हैं.
ये हैं छह पीठाधीश्वर
हरिद्वार से आरती गिरी जी महाराज हैं. यह हरिद्वार गोस्वामी समुदाय का अंग है. राजस्थान से पुष्पा जी, गुजरात से पायल व बिहार से संतोषी किन्नर. छत्तीसगढ़ की अधिकार कार्यकर्ता विद्या हैं, वहीं मध्य प्रदेश के लिए पायल को ही चुना गया है.
तीन साल के अथक प्रयास के बाद गठन
भारत की प्रमुख ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी तथा उज्जैन स्थित अशोक वाटिका आश्रम के संचालक अजय दास जी महाराज के सहयोग से तीन साल के अथक प्रयास के बाद इसका गठन किया गया है. इसमें पूरे भारत की प्रमुख के तौर पर महामंडलेश्वर पद पर कमला गुरू का चुनाव किया गया, जो पूर्व में मध्य प्रदेश की मेयर रह चुकी हैं. गौरतलब है कि पूरे भारतवर्ष में 13 अखाड़े का गठन किया गया है. 14वें अखाड़े के रूप में देश का पहला किन्नर अखाड़ा है.
अब कर पायेंगे शाही कुंभ स्नान
वर्ष 2016 में सिंहस्थ महाकुंभ मेला है. इसमें देश भर के किन्नर अखाड़े के जरिये शाही स्नान कर पायेंगे. ऐसा देश के इतिहास में पहली बार होगा, जब किन्नर महाकुंभ में शाही स्न्नान कर पायेंगे. अखाड़े के लिए स्थानीय बिल्डर द्वारा तीन हजार वर्ग फीट तथा दान में 10 हजार वर्ग फीट जमीन दी गयी है. अखाड़े के बिहार प्रांत की पीठाधीश्वर संतोषी किन्नर बताती हैं कि यह अखाड़ा किन्नरों के विकास में मिसाल पेश करने जैसा है. अब तक किन्नर समुदाय को धार्मिक रूप से स्वीकार्यता नहीं मिली थी. अब वे अखाड़े के माध्यम से पूरी तरह सनातन धर्म से जुड़ पायेंगे.
चुनी गयी महादेव की नगरी
किन्नरों की शुरू से उपेक्षा होती रही है. बस भगवान महादेव ने उन्हें अपनाया है. उज्जैन शुरू से महाकाल की नगरी के रूप में जाना जाता है, इसलिए महादेव की नगरी को ही चुना गया है. इसमें देशभर के 40 ट्रांसजेंडर कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही है. कमला गुरु महामंडलेश्वर, अखाड़ा महंत
मिली धार्मिक पहचान
बिहार भर के किन्नरों को अब धार्मिक रूप से पहचान मिल गयी है. संतोषी किन्नर को पीठाधीश्वर पद के लिए चुना गया है. समुदाय के लिए यह गर्व की बात है. रेशमा किन्नर, दोस्ताना हमसफर, सदस्या