टूटी सड़कें, उजड़ी खेती, फिर भी वोट जाति के नाम परमसौढ़ी में विकास के मुद्दे पर हावी दिखा जात-पांत का मुद्दाआनंद तिवारी, पटनाहमारी कार टूटी-फूटी सड़कों से होकर मसौढ़ी नगर परिषद की ओर बढ़ रही है. यह वही विधानसभा का क्षेत्र है, जहां महान गणितज्ञ आर्यभट ने गणित के विषय पर अपना शोध किया था. अजादी के पूर्व महात्मा गांधी मसौढ़ी फील्ड में आ चुके हैं. हम सुबह 7:15 बजे नगर परिषद के प्राथमिक शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के बूथ नंबर 65 पर पहुंचे. भवन के बरामदें में तीन अर्धसैनिक बल और छत पर दो सीआरपीएफ के जवान तैनात थे. बाकी बाहर भवन की छाया में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. 72 साल के बुजुर्ग सुदामा प्रसाद हाथ में पहचान पत्र लिये खड़े थे. पोलिंग एजेंटों ने पर्ची देख कर उन्हें अंदर जाने की इजाजत दी. हाथ की अंगुली पर स्याही लगाने की बात पर बुजुर्ग बोले, अभी वोट नइखे देलेबानी और स्याही लग गइल बा. इस पर मतदान कर्मी ने समझाया आपका वोट होगा, धीरज रखें. फिर वे इवीएम के पास पहुंचे. आखों से कम दिखायी पड़ने के कारण उन्होंने अपने बेटे को बुलाया, मतदान देकर बाहर अपने पिता का इंतजार कर रहे बेटे संतोष कुमार पहुंचा और बटन दबाने में मदद किया. वहीं जैसे ही बटन की अवाज आयी वृद्ध बोला, अरे इ मशीनियां अवाज करलक. इस पर मतदानकर्मी बोला आपका वोट पड़ गया है.सिंचाई साधन नहीं, मर रही थीं फसलेंहमारी कार मसौढ़ी सड़क से होकर समस्तीचक होते हुये कोलहाचक गांव पहुंची. यह वही गांव है, जिसे स्वतंत्रता सेनानी स्व ब्रजलाल प्रसाद की जन्मभूमि होेने का गौरव प्राप्त है. स्वं ब्रजलाल प्रसाद के पुत्र धर्मेद्र प्रसाद मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक रह चुके हैं. गया पटना मेन रोड व धनरूवा प्रखंड से सटे इस गांव का नजारा दिल दहला देनेवाला है. पूरे क्षेत्र में सिंचाई का साधन नहीं होने के चलते यहां के अधिकतर खेतों में बंजर जैसा नाजारा था. खुद की सिंचाई व्यवस्था पर निर्भर इस गांव में आज तक एक भी नहर का निर्माण नहीं कराया गया. नतीजा धान की खेतों में भी दरारें पड़ी हैं और पौधे मर रहे थे. खेत में ही नजर आनेवाले स्थानीय निवासी सीताराम सिंह बताते हैं, आज तक नहर नहीं बनाया गया. इसलिए खेती मानसून या फिर अपने पर निर्भर है़ गांव के बाहर ही है वह स्कूल जो स्वतंत्रता सेनानी ब्रजलाल प्रसाद के नाम पर है. आज वह पोलिंग बूथ बना हुआ था. मतदाताओं की लंबी कतार लगी थी और सभी बेदह उत्साह से वोट देने आये थे. न सूखे की चिंता न मरती फसल का गम. न गरीबी की कसक और न पिछड़ेपन का दर्द. बातचीत से पता चला यहां शुद्ध जातीय समीकरणों पर ही वोटिंग होती है और सिंचाई या पिछड़ापन जैसा कोई एजेंडा चुनावों पर असर नहीं डालता. अब समझ में आ रहा है कि क्यों आज तक एक भी नहर व सिंचाई व्यवस्था योजना अधूरी रह गयी. यहां नजर आती है ब्रजलाल प्रसाद की प्रतिमा. जवाहरलाल नेहरु के करीबी रहे उनके शिष्य को नमन कर हमारी टीम कोल्हा चक को उसके हाल पर छोड़ कर चल देती है. धनरुआ में सुबह ही बूथों पर पहुंचने लगे लोगलोकतंत्र के महापर्व में पूरे मसौढ़ी क्षेत्र में मतदान के प्रति युवा वर्ग के मतदाता काफी उत्साहित दिखे. वहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किये गये थे. मसौढ़ी के पूरे विधानसभा क्षेत्र में सुबह से ही मतदान पड़ने लगे थे. चप्पे-चप्पे पर अर्धसैनिक बलों के जवानों को लगाया गया था. यहां खास कर जैसे-जैसे मतदान बूथों पर पहुचने लगे, दोपहर बाद वोट प्रतिशत बढ़ने लगा. मालूम हो कि 90 के दशक में मसौढ़ी क्षेत्र लाल इलाके के रूप में प्रचलित था. पहले कई गांव में वोट बहिष्कार किया जाता था, लेकिन इस बार नक्सल प्रभावित बूथों पर भी लोगों ने उत्साह के साथ वोट दिया .
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टूटी सड़कें, उजड़ी खेती, फिर भी वोट जाति के नाम पर
टूटी सड़कें, उजड़ी खेती, फिर भी वोट जाति के नाम परमसौढ़ी में विकास के मुद्दे पर हावी दिखा जात-पांत का मुद्दाआनंद तिवारी, पटनाहमारी कार टूटी-फूटी सड़कों से होकर मसौढ़ी नगर परिषद की ओर बढ़ रही है. यह वही विधानसभा का क्षेत्र है, जहां महान गणितज्ञ आर्यभट ने गणित के विषय पर अपना शोध किया था. […]
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