पटना : विधान सभा के दो चरणों में हुए मतदान के बाद से ही भाजपा हताशा में आ गयी है. भाजपा में हड़कंप मचा है. तीसरे चरण के चुनाव प्रचार में प्रधान मंत्री जिस तरह के भाषण कर रहे हैं, उसमें उनकी बदहवाशी साफ झलक रही है. अब वे छलने वाली भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
भाजपा के चुनावी भाषणों से विकास के मुद्दे गायब हो गये हैं.उक्त बातें मंगलवार को जदयू नेता व जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा कि चुनाव के शुरुआती दौर में भाजपा ने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने के संकेत दिये थे. हम भी इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहते थे, किंतु भाजपा इस ट्रैक से हट गयी. उसे अहसास हो गया कि विकास के मुद्दे पर वह बिहार में नीतीश कुमार को कहीं से भी पछाड़ नहीं सकती. अब उसने चुनाव प्रचार का नकारात्मक अभियान शुरु किया है. कभी वह ‘जंगल-राज’, तो कभी 1992 के इश्तेहार की चर्चा कर रही है. इन दिनों भाजपा जनता की सहानुभूति बटोरने के लिये आरक्षण और जाति का मामला उछाल रही है.
आरक्षण के मुद्दे पर प्रधान मंत्री नाहक खुद को शहीद करने की बातेेें कर रहे हैं. सच तो यह है कि इस नाम पर वे बिहार की जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं. आरक्षण पर सवाल उठाने वालों पर कार्रवाई करने की उनमें हिम्मत तो है नहीं. प्रधान मंत्री आरक्षण के मामले में बिहार में दोहरी बातेें कर रहे हैं.
एक तरफ गुजरात में आरक्षण की मांग करने वालों की जान ली जा रही है, तो दूसरी ओर बिहार आ कर वे आरक्षण के नाम पर जान देने की बात कर रहे हैं. इन दिनों पीएम पर पिछड़ा-अति पिछड़ा का भूत सवार हो गया है. जाति विशेष की चर्चा कर वे यहां लोगों को बांटने की जुगत में हैं. भाजपा इन दिनों जाति आधारित विज्ञापन जारी कर रही है. चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए.