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आइएएस की तैयारी करने गये और करने लगे एक्टिंग

आइएएस की तैयारी करने गये और करने लगे एक्टिंगलाइफ रिपोर्टर पटनाकहते हैं एक्टिंग का कीड़ा ऐसा होता है, जो जल्दी खत्म नहीं होता शायद यही वजह है कि एक्टिंग में इंट्रेस्ट रखने वालों को एक्टिंग के अलावा कुछ नहीं भाता. कुछ यही कहानी है पटना के रविकांत के साथ, जिन्होंने साइकॉलोजी से ग्रेजुएशन करने के […]

आइएएस की तैयारी करने गये और करने लगे एक्टिंगलाइफ रिपोर्टर पटनाकहते हैं एक्टिंग का कीड़ा ऐसा होता है, जो जल्दी खत्म नहीं होता शायद यही वजह है कि एक्टिंग में इंट्रेस्ट रखने वालों को एक्टिंग के अलावा कुछ नहीं भाता. कुछ यही कहानी है पटना के रविकांत के साथ, जिन्होंने साइकॉलोजी से ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली में आइएएस की तैयारी करने गये थे, लेकिन दिल में एक्टिंग करने की एसी ख्वाइश थी कि वे पढ़ाई करने के बजाय एक्टिंग का कोर्स करने लगे. साथ ही थियेटर को भी ज्वाइन कर लिया. इस बारे में रविकांत खुद कहते हैं कि मुझे बचपन से ही एक्टिंग करने का शौक रहा है. इसलिए स्कूल टाइम से ही कई तरह की कार्यक्रम में भाग लेते आया हूं, लेकिन फैमिली की वजह से पढ़ाई भी करता रहा. मैंने ग्रेजुएशन की पढाई करने के बाद दिल्ली में पढ़ाई करने गया, लेकिन एक्टिंग की रूची और बढ़ते गयी आखिरकार मुझे हॉरर फिल्म द जिंक्स में काम करने का मौका मिल रहा है.इस फिल्म में मुख्य भूमिका कर रहा हूंद जिंक्स एक हॉरर फिल्म है, जिसका मतलब अपशगुन होता है. यह एक हॉरर फिल्म है, जिसमें मैं और गोरखपुर की हीरोइन कनकपांडे मुख्य भूमिका में है. फिल्म में दोनों हम दोनों की कहनी हैै. इस फिल्म में कई तरह के उतार-चढ़ाव है, जो लोगों को जरूर पसंद आयेगी. इस फिल्म में दर्शकों को पूरा रोमांच देखने को मिलेगा. फिल्म में एक पति-पत्नी की कहानी है, जिसके साथ कई तरह घटनाएं घटती है. एक के बाद एक परेशानी सामने आती है. कई तरह की अनहोनी होती है. इस फिल्म की 95 प्रतिशत शूटिंग खत्म हो चुकी है. पूरी शूटिंग होने के बाद इसे मुंबई से तैयार कराया जायेगा. फिल्म की ज्यादातर शूटिंग पटना में ही हुई है. पटना रंग मंच के कई लोगों को मिला मौकावैसे, तो इस फिल्म में हीरो रविकांत हैं, लेकिन सह कलाकार और अन्य कलाकारों में भी ज्यादातर लोग पटना रंगमंच से ही जुड़े हुए हैं, जिन्हें इस फिल्म में काम करने का मौका मिला है. इस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्युशर प्रिंस हैैं, जिनका प्रयास पटना के कलाकारों को मौका देना है. वे कहते हैं कि पटना में कई ऐसे कलाकार हैं, जिनके पास कला रहते हुए भी वे आगे नहीं बढ़ पाते. क्योंकि उन्हें कोई प्लैटफॉर्म नहीं मिल पाता है. इसलिए उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए.रवि को मिल चुका है भिखारी ठाकुर युवा सम्मानरविकांत पटना रंगमंच से जुड़े हुए हैं. उन्होंने अब तक कई तरह की नाटक प्रस्तुत कर चुके हैं. कला के माध्यम से उन्हें भिखारी ठाकुर युवा सम्मान मिल चुका है. इससे पहले वे 2006 से इप्टा से जुड़ाव और एक महीना का थियेटर वर्कशॉप किया था. इसके बाद 2007 में श्री राम सेंटर द्वारा एक्टिंग कोर्स और 2008 में एनएसडी द्वारा थिएटर वर्कशॉप पटना में विभिन्न ग्रुप के साथ रंगमंच किया. इसके अलावा .इप्टा,मंच,राग, प्रेरणा, रंगमाटी में काम किया वे कहते हैं कि मेरे द्वारा अभिनीत प्ले , दसदिन का अनशन(सोलो टाइम 50 मिनट का) महुआ, रक्तकल्याण, साला मैं तो साहब बन गया, कबीर खड़ा बाजार में, अक्करमाशी, तीसरा गवाह, एक था गढ़ उर्फ़ अलादाद खान, मई बिहार हूँ, मुझे कंहा ले आये हो कोलंबस,उमराव जान, थे जनपथ जैसे कई नाटक मेरे द्वारा निर्देशित है साथ ही बताया कि यूनीसेफ के लिए डोको ड्रामा 2009 में भारत रंग महोत्सव में उमराव जान प्ले में अभिनय किया दो शो डेल्ही एक शो भोपाल बिहार सरकार के लोकगाथा उत्सव में हिरणी बिरनी टीम का निर्देशन बिहार सरकार द्वारा 2014-2015 में भिखारी ठाकुर युवा सम्मान(राज्य कला सम्मान) मिला अब द जिंक्स में काम करने का मौका मिला है.

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