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PM पहले पिछड़े थे अब अति पिछड़े हो गये : नीतीश

नीतीश बोले : रोज बदल रहा प्रधानमंत्री का प्रोफाइल पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार किया. जदयू कार्यालय में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक बार फिर बिहार पर कृपा कर रहे हैं और रोज-रोज बिहार आ रहे हैं. बिहार के लोगों को अब उन्हें […]

नीतीश बोले : रोज बदल रहा प्रधानमंत्री का प्रोफाइल
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार किया. जदयू कार्यालय में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक बार फिर बिहार पर कृपा कर रहे हैं और रोज-रोज बिहार आ रहे हैं. बिहार के लोगों को अब उन्हें अच्छे से जानने और समझने का मौका मिल रहा है. उन्होंने तो अब अपना प्रोफाइल भी बदल लिया है. पहले वे अपने को विकास पुरुष कहते थे.
फिर उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उन्हें ओबीसी प्रधानमंत्री कहने लगे, लेकिन अब प्रधानमंत्री अपने को खुद इबीसी प्रधानमंत्री कह रहे हैं. उन्होंने विकास से दूरी बना ली है. नीतीश कुमार ने कहा, प्रधानमंत्री पद की कोई जातीय पहचान (कास्ट एडेंटिफाइ) नहीं होती है. उन्होंने कहा कि जाति ऐसी चीज है कि धर्म बदलने के बाद भी वह खत्म नहीं होती है. पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछड़ों के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन किसी जाति में जन्म लेने का एडवांटेज जरूर लिया है. वे सिर्फ लाभ लेना चाहते हैं, पर पिछड़ों के लिए उनके पास कोई योजना नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का स्वभाव हो गया है किसी भी तथ्य को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का. बिजली, सड़क, पुल-पुलियों की जो भी बात वे कर रहे हैं, वह तथ्य से परे है. वे हवावाले हैं. भीड़ जुटती है, पब्लिसिटी मिलती है और एकतरफा बात कर वे निकल जाते हैं. दो चरणों के मतदान के बाद मिली रिपोर्ट से वे बौखला गये हैं. अपने को संतुष्ट व अपने मोरल को हाइ करने के लिए वे बोल रहे हैं. उन्हें और उनके समर्थकों को मालूम है कि उनकी हवा निकल चुकी है. उनका विचित्र स्वभाव है, जितनी बार वे आते हैं, बिजली पर बोलते हैं. अब तो सड़क और पुल-पुलियों पर बोल रहे हैं.
दिसंबर, 2016 तक सभी बसावटों में बिजली पहुंचाने का हमारा लक्ष्य है. वहीं, हजारों पुल-पुलिये बन चुके हैं. बड़े-बड़े सेतु भी बने हैं. आज छह घंटे में राज्य के किसी भी कोने से पटना पहुंचने का लक्ष्य हमने पा लिया है और अब पांच घंटे का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. प्रधानमंत्री ने निवेश नहीं होने और पलायन की बात कर रहे हैं, तो हमने विशेष राज्य का दर्जा इसीलिए मांगा है. जब टैक्स में छूट मिलेगी तो यहां बड़ा निवेश भी होगा और रोजगार के अवसर और खुलेंगे. इससे लोगों को बिहार से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मिड डे मील हादसे की चर्चा की अौर कहा कि पैर का अंगूठा टूटने के कारण मैं वहां नहीं गया. प्रधानमंत्री जी, मेरा अंगूठा नहीं, छोटी उंगली टूटी थी. उस हादसे के बाद मैंने एक-एक चीज की मॉनीटरिंग की थी. उसके बाद मिड डे मील में सुधार लाया गया और आज यह योजना बेहतर ढंग से चल रही है.
सीएम ने कहा कि अब तो भाजपा अपने मुख्य वोटरों व्यवसायियों को भी डरा रही है. अब जो व्यापारी उन्हें वोट और चंदा देते थे, उन्हें भी नहीं बख्श नहीं रहे हैं. कहते हैं जमाखोर हैं. अब तो व्यापारी सोंच ले कि उन्हें जमाखोर कौन कह रहा है?
जब कहना होता है तो मौन धारण कर लेते हैं
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री लद्दाख के म्यूनिसपल चुनाव की हवा का जिक्र कर रहे हैं. वे यह क्यों नहीं बताते कि गुजरात में नगर निकाय का चुनाव क्यों टाल दिया गया? बिहार में जंगलराज कहते हैं. पीएम तो बहुत बोलते हैं, लेकिन जब किसी चीज पर कहना होता है, तो मौन हो जाते हैं.
दादरी, हरियाणा में दो दलित बच्चों को जिंदा जलाने, दिल्ली में दो बच्चियों से दुष्कर्म पर वे मौन साध लेते हैं. प्रधानमंत्री अब मुझसे रिपोर्ट कार्ड मांगते हैं. हमने तो 2006 से हर साल और इसी साल साढ़े नौ सालों का रिपोर्ट कार्ड पेश कर दिया है. अब उन्हें अपने 17 महीने के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड जारी करना चाहिए.
हमारा राजनीतिक स्तर नहीं गिरा
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि हम और लालू प्रसाद रोज रात में बैठक करते हैं और उन पर (नरेंद्र मोदी) पर कैसे कीचड़ उछालना है, उसकी रणनीति तैयार करते हैं. प्रधानमंत्री जी, हमारा राजनीतिक स्तर इतना नहीं गिरा है. पीएम खुद अपने पद की गरिमा भूल गये हैं. उन्होंने ही पीएम पद पर रहते हुए डीएनए पर सवाल उठाया. लालू जी को शैतान कहा. मुझे लगातार अहंकारी कह रहे हैं. हमने तो कभी उनके या फिर किसी के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया है.
औघड़, फिर तांत्रिक और अब आ गये तंत्र-मंत्र पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री पहले औघड़, फिर तांत्रिक और अब तंत्र-मंत्र पर आ गये हैं. जदयू के प्रवक्ता व विधान पार्षद नीरज कुमार के कहने पर मैं एक औघड़ से मिला था. उन्हें क्यूरोसिटी थी तो मैं मिलने गया था. उस औघड़ ने गले लगाया व चूमा. लालू जी के बारे में कुछ कहा, तो मैंने तो उनकी बात नहीं मानी. मैंने तो यह नहीं कहा कि बाबा बड़ा कष्ट में हूं, सीएम की कुरसी चली गयी है, कैसे दोबारा भेटायेगा, दुश्मन टाइट है. उनके बोलने का तो मुझ पर कोई असर नहीं हुआ. बाद में लालू जी के साथ हुआ और फिर महागंठबंधन भी बना. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री पहले अौघड़, फिर तांत्रिक और अब तंत्र-मंत्र पर आ गये हैं.
अगर हम पूजा-पाठ के खिलाफ रहते तो कोई बात थी. प्रधानमंत्री तो इतिहास फिर से लिखने चले हैं. उनका व्यवहार साइंटिफिक टेंपरामेंट के खिलाफ है और हम औघड़ से मिले, तो उनको दिख रहा है. उन्होंने कहा कि पीएम 18वीं सदी की बात करते हैं, तो वे लोग मंदिर क्यों बनवाना चाहते हैं. राम लला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे, तारीख नहीं बतायेंगे. तंत्र-मंत्र ज्यादातर उनके लोगों में है. कौन क्या खाता है, कौन क्या करता है, कौन ग्रह-नक्षत्र से घर से निकलता है और कौन दिन के हिसाब से कपड़ा पहनता है ? यह सब समझना चाहिए. प्रधानमंत्री को व्यापमं घोटाला, ललित गेट पर बोलना चाहिए.
आरक्षण नहीं, पोलराइजेशन चाहते हैं
नीतीश कुमार ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने बयान पर ईमानदारी से कायम हैं, जबकि भाजपा नहीं. भाजपा ने उस बयान का खंडन नहीं किया. वे उस बयान की निंदा कर सकते थे, लेकिन नहीं किया.
भाजपा सिर्फ वोट के लिए उससे इनकार कर रही है. आरएसएस के बिना भाजपा का वजूद नहीं है. वे लोग जो कुछ कह रहे हैं, वह चुनाव और वोट के लिए कह रहे हैं. वे आरक्षण पर अपने विचार छुपा रहे हैं. जब संघ प्रमुख ने ही कह दिया है, तो उसे भाजपा को मानना ही है. संवाददाता सम्मेलन में मंत्री विजय कुमार चौधरी और सांसद पवन वर्मा व हरिवंश भी मौजूद थे.
नीतीश ने कविता से भी किया वार
बहती हवा-सा था वो/ गुजरात से आया था वो/
काला धन लाने वाला था वो/ कहां गया उसे ढूंढ़ो…/हमको देश की फिक्र सताती/ विदेश के दौरे पर रहता था वो/ हर वक्त अपनी सेल्फी खींचता/ दाऊद को लाने वाला था वो/ कहा गया उसे ढूंढ़ो…
विकास पर खुली बहस कर लें पीएम
नीतीश ने कहा कि हम विकास पर बहस को तैयार हैं. प्रधानमंत्री आएं. वे ही जगह व समय तय कर लें. गुजरात का विकास ही विकास का नजरिया नहीं हो सकता है. वहां संपत्तिवाले और अमीर हो गये, जबकि आधी आबादी एनीमिया की शिकार हो गयी.

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