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जनवितरण प्रणाली में मिशाल कायम की : संजय सिंह

जनवितरण प्रणाली में मिशाल कायम की : संजय सिंह संवाददाता,पटनाजेडीयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि बिहार सरकार में खाद्य सुरक्षा व जनवितरण प्रणाली में मिशाल कायम किया है. उन्होंने कहा कि 2014 में बिहार सरकार ने खाद्य सुरक्षा को लागू किया था और उस में सरकार पूरी तरह […]

जनवितरण प्रणाली में मिशाल कायम की : संजय सिंह संवाददाता,पटनाजेडीयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि बिहार सरकार में खाद्य सुरक्षा व जनवितरण प्रणाली में मिशाल कायम किया है. उन्होंने कहा कि 2014 में बिहार सरकार ने खाद्य सुरक्षा को लागू किया था और उस में सरकार पूरी तरह से सफल रही थी . लगता है सुशील मोदी पढ़ाई नही कर रहे है. उन्हे कम से कम मीडिया में छपी रिपोर्ट को तो पढना चाहिए. ग्राउंड रिपोर्ट बताते है कि 95 फीसदी परिवार जन वितरण प्रणाली से खुश है. 90 फीसदी तक जन वितरण में भ्रष्टचार समाप्त हो चुका है और इसे सौ फीसदी किया जा रहा है. बिहार सरकार ने अपने दम पर इस खाद्य सुरक्षा कानून को लागू किया है और इसमें सफलता भी अर्जित की है. सुशील मोदी यथार्थ पर राजनीति करे तो बेहतर होगा लेकिन वह कल्पनाओं पर राजनीति करते है. सुशील मोदी डीजल और पेट्रोल की घटी हुई कीमत की बात करते है तो उनको ये भी बताना चाहिए कि कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कितनी है . अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले साल की तुलना इस साल काफी गिरावट आई है जो कच्चा तेल पिछले साल 140 डॉलर प्रति बैरल के आस.पास था वो अभी तक 49 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुताबिक पेट्रोल और डीजल के कीमतों में 50 फीसदी तक की कमी होनी चाहिए थी वो नही हुई है. किसानों के लिए डीजल के दाम में भारी कमी होनी चाहिए वो भी नही हुई है. जिस तरह से कच्चे तेल की कीमत गिरी है उसके मुताबिक 30 से 50 फीसदी माल भाडा और यात्री भाड़े में कमी होनी चाहिए थी लेकिन सरकार के दोहरे रवैया से आम जनता बेहाल है. क्या केंद्र सरकार का दायत्वि ये नही बनता था कि आम जनता के हित में रेल माल भाडा व यात्री भाड़े में कमी करे जिससे कि जनता राहत की सांस ले . भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत 30 रु प्रति लीटर से भी कम होली चाहिए. भारत सरकार ने इसमें अपने मुनाफ़े को जोड कर इसे इतना मंहगा कर दिया है. डीजल और पेट्रोल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार तय करता है इसमें नरेंद्र मोदी का कोई योगदान नही है. सुशील मोदी दाल और प्याज़ पर भी तो फोकस करे. जो दाल दो महीने पहले 70 से 80 रु किलो था आज वह 200 रु किलो पार कर गया है. महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व गुजरात जो दाल के बडे उत्पादक माने जाते है वहां से बीजेपी की शह पर दाल का निर्यात बिहार में नही होने दिया जा रहा है. केंद्र सरकार चाहती तो बाहर से दाल का आयात कर सकती थी. बीजेपी ने दाल के काला बाजारियों का साथ दिया और करोड़ों रुपए का व्यारा न्यारा किया. बीजेपी उन काला बाजारियों हजारों करोड रुपए लेकर बिहार के चुनाव में खर्च कर रही है. चुनावी साल में जिस तरह से बिहार की जनता को बीजेपी ने परेशान किया है उसका जबाब जनता दे रही है. अब एनडीए के नेताओं के चेहरे पर बौखलाहट साफ नजर आ रही है. धीरे धीरे अपना बोरिया बस्तिर यहां बांध रहे है.

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