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आर्यभट्ट की प्रयोग नगरी को है विकास का इंतजार

आर्यभट्ट की प्रयोग नगरी को है विकास का इंतजारग्राउंड रिपोर्ट : मसौढ़ी (सुरक्षित)संवाददाता, पटनापटना जिला मुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर जहानाबाद बॉर्डर से सटा विधानसभा क्षेत्र है मसौढ़ी. नक्सल गतिविधियों के चलते यदा-कदा इस क्षेत्र की चर्चा होती है. अंतिम बार यह क्षेत्र वर्ष 2009 में तब सुर्खियों में आया, जब देश-विदेश के […]

आर्यभट्ट की प्रयोग नगरी को है विकास का इंतजारग्राउंड रिपोर्ट : मसौढ़ी (सुरक्षित)संवाददाता, पटनापटना जिला मुख्यालय से 32 किमी की दूरी पर जहानाबाद बॉर्डर से सटा विधानसभा क्षेत्र है मसौढ़ी. नक्सल गतिविधियों के चलते यदा-कदा इस क्षेत्र की चर्चा होती है. अंतिम बार यह क्षेत्र वर्ष 2009 में तब सुर्खियों में आया, जब देश-विदेश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक तारेगना से सूर्यग्रहण का नजारा देखने पहुंचे. आर्यभट्ट की इस प्रयोग नगरी में पहुंचते ही सबसे पहला सामना अतिक्रमण से होगा. एनएच होने के बावजूद संकरी गली जैसी सड़क पर गाड़ियां घिसटती दिखती हैं.खेती मुख्य पेशा, मगर विकास से दूर : क्षेत्र का मुख्य पेशा खेती है. खासकर मसूर दाल की. क्षेत्र के लोग मानते हैं कि मसूर दाल की खेती के चलते ही संभवत: इस क्षेत्र का नाम भी मसौढ़ी पड़ा, मगर त्रासदी है कि दाल की छंटाई को लेकर खोली गयी तीन छंटाई मिल लंबे अरसे से बंद पड़ी हुई है. सरकारी नलकूप भी प्राय: सभी बंद हैं. सिंचाई के लिए अधिकतर किसानों को बोरिंग की मदद लेनी पड़ती है.नदी-नहरों से घिरा, मगर पानी नहीं :स्थानीय लोग बताते हैं कि क्षेत्र चारों तरफ से नदी-नहरों से घिरा है, मगर उनमें पानी ही नहीं आता. उत्तर में पोठही के समीप कोरहर नदी से यह क्षेत्र शुरू होता है, जो दक्षिण में जहानाबाद की सीमा बारा (नरसंहार के लिए चर्चित) गांव के पास जाकर समाप्त होता है. पश्चिम में इसके पितवांस नदी है, जबकि पूरब में इसकी सीमा पटना-गया रोड के मुसना के पास खत्म होती है.दरधा नदी पर बांध की योजना 25 साल से लटकी :क्षेत्र के दरधा नदी पर बेर्रा बांध की योजना पिछले 25 साल से लटकी हुई है. इससे प्रभावित हो रहे दस पंचायतों ने पिछले चुनाव में वोट बहिष्कार भी किया था, मगर कोई नतीजा नहीं निकला. कुछ इलाकों को मिला कर इसे अलग जिला बनाये जाने की मांग भी वर्षों से उठती रही है. शहरी क्षेत्र में सीवरेज, जलजमाव व अतिक्रमण भी क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में है. भगवानगंज और नदौल में नहर की मांग से काफी अरसे से की जाती रही है.तारेगना को भूल गये लोग :वर्ष 2009 में जब सूर्यग्रहण हुआ तो मसौढ़ी का तारेगना पूरे विश्व का केंद्र बिंदू बना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित देश-विदेश के कई वैज्ञानिक यहां पर पहुंचे. विज्ञान केंद्र स्थापित करने सहित कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गयी, लेकिन तारेगना आज भी वहीं पर अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है.जिप अध्यक्ष व प्रखंड प्रमुख में मुकाबला : मसौढ़ी का मुकाबला भी कम रोचक नहीं है. यहां पर पटना जिला परिषद् की अध्यक्षा नूतन पासवान एनडीए कोटे से हम की उम्मीदवार बनी हैं, वहीं महागंठबंधन से राजद ने धनरुआ की प्रखंड प्रमुख रेखा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. प्रमुख रूप से इन लोगों में ही मुकाबला है, लेकिन बसपा और सीपीआइ-एमएल के उम्मीदवार यहां भी अपने कैडर वोट के भरोसे लड़ाई को बहुकोणीय बनाने में जुटे हैं.जातीय गणित में महागंठबंधन आगे : जातीय समीकरण के हिसाब से महागंठबंधन यहां आगे दिखता है. इसके लिहाज से इस विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाता निर्णायक हैं. उनकी कुल आबादी 80 हजार के लगभग है. उनके बाद कुरमी व भूमिहार बहुसंख्यक है. राजपूत, मुसलिम, पासवान, मांझी, कोईरी व वैश्य जाति के मतदाताओं की आबादी भी 10 से 15 हजार के बीच है. एनडीए व महागंठबंधन दोनों ने इस सीट पर दलित उम्मीदवार उतारा है. यहां पर जदयू के सिटिंग विधायक अरुण मांझी का टिकट काटा गया है.एनडीए को पूर्व विधायक धर्मेंद्र यादव पर भरोसा : जातीय वोटों के गणित में एनडीए को राजद छोड़ कर आये पूर्व विधायक धर्मेंद्र यादव के समर्थन से स्थिति बदलने का भरोसा है. धर्मेंद्र वर्ष 2000 में विधायक रहे, जबकि उससे पहले 1990 में भी उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ कर 28 हजार से अधिक वोट हासिल किया था. क्षेत्र में यादव व मुसलिम मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ कही जाती है.लोकसभा चुनाव में भी राजद को मिली थी बढ़त : विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जदयू (भाजपा गंठबंधन) के अरुण मांझी ने लोजपा (राजद गंठबंधन) के अनिल कुमार साधु को करीब पांच हजार वोटों के अंतर से हराया था. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के रामकृपाल यादव के मुकाबले राजद की मीसा भारती ने यहां करीब चौदह हजार वोट की लीड ली थी. दोनों चुनावों में माले उम्मीदवार 14 से 15 हजार वोट लाकर तीसरे स्थान पर बने रहे.प्रमुख मुद्दे : – तारेगना में विज्ञान केंद्र की स्थापना. – तीन छांटी मिल कारखाना का बंद होना.- सिंचाई के लिए प्राय: सभी नलकूप बंद होना.- दरधा नदी पर बेर्रा बांध की योजना 25 साल से लटका होना.- शहरी क्षेत्र में सीवरेज, जलजमाव व अतिक्रमण की समस्या. – भगवानगंज और नदौल में नहर की मांग.कुल मतदाता : 3,20,740पुरुष : 1,68,794महिला : 1,51,916थर्ड जेंडर : 30सेक्स रेशियो : 900पिछले चुनाव का परिणाम किसकी जीत : अरुण मांझी, जदयू (56,977)किसकी हार : अनिल कुमार साधु, लोजपा (51,945)परिणाम का अंतर : 5032चुनाव मैदान में खड़े उम्मीदवार :- 18 नूतन पासवान, हम सेक्यूलररेखा देवी, राजदगोपाल रविदास, सीपीआइ एमएलराज कुमार राम, बीएसपीमुन्ना पासवान, भारतीय बहुजन कांग्रेससूरज पासवान, निर्दलीयसूर्योदय पासवान, संख्यानुपाती भागीदारी पार्टीहीरा चौधरी, निर्दलीयपंचम लाल, सपामुकेश कुमार, निर्दलीयधर्मदेव कुमार निराला, निर्दलीयरेखा देवी, निर्दलीयनंदलाल पासवान, निर्दलीयप्रकाश चंद्र, पब्लिक मिशन पार्टीभागीरथ मांझी, निर्दलीयमहेंद्र मोची, लोक आवाज दलइंद्रजीत कुमार, निर्दलीयमुन्ना कुमार, राष्ट्रीय जागृति पार्टी

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