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दो सौ रुपया दाल और 20 रुपये आलू बिकत है

प्रभात खबर इलेक्शन लोकल चुनाव माहौल की कहानी आप तक पहुंचा रहा है. आज चर्चा तमकुही से हथुआ तक की यात्रा की. रिपोर्ट अवधेश राजन की रखपुर से सीवान जानेवाली पैसेंजर ट्रेन 25 मिनट विलंब से तमकुही यूपी के सीमावर्ती तमकुही रोड रेलवे स्टेशन से ट्रेन खुलती है. जलालपुर हाइस्कूल एवं सासामुसा हाइस्कूल के कुछ […]

प्रभात खबर इलेक्शन लोकल चुनाव माहौल की कहानी आप तक पहुंचा रहा है. आज चर्चा तमकुही से हथुआ तक की यात्रा की. रिपोर्ट
अवधेश राजन की
रखपुर से सीवान जानेवाली पैसेंजर ट्रेन 25 मिनट विलंब से तमकुही यूपी के सीमावर्ती तमकुही रोड रेलवे स्टेशन से ट्रेन खुलती है. जलालपुर हाइस्कूल एवं सासामुसा हाइस्कूल के कुछ शिक्षक जो बैठे थे, तभी एक महिला वहां पहुंची. उसने ऊपर बैग रख कर जगह देने का आग्रह किया.
महिला के साथ दो तीन युवितयां भी थीं, जो थावे में एक कैसेट कंपनी के लिए काम करती हैं. ट्रेन तरेयासुजान रेलवे स्टेशन पर जब पहुंची, तो प्रतिदिन सीमावर्ती इलाकों के बाजार में तमकुही और यूपी के बाजारों से कारोबार करनेवाले कई कारोबारी वहां पहुंच गये.
जो जलालपुर और सासामुसा के अलावा थावे और हथुआ तक अपना कारोबार करते हैं. सासामुसा के कारोबारी रामजी गुप्ता से हाइस्कूल के शिक्षक रमेश सिंह ने चुनाव की चर्चा शुरू कर दी. यूपी में पंचायत चुनाव बुधवार को ही खत्म हुआ था. बिहार के विस चुनाव की चर्चा जब शुरू हुई, तो मौजूद सभी लोग एक-दूसरे के अनुभव को लेकर उत्सुक हो गये. इतने में साखे के गणोश मांझी इस चर्चा में शामिल हो जाते हैं. चर्चा नीतीश कुमार से लेकर लालू प्रसाद के कार्यकाल तक की बिहार पर होती है.
इनकी चर्चा के बीच बगल में बैठे सासामुसा चीनी मिल के अधिकारी मंजूर आलम से बरवा सीवान के रहनेवाले अभिमन्यू पाठक यूपी के पंचायत चुनाव पर चर्चा करते हुए कहते हैं कि इस बार पंचायत चुनाव में किस दल के सबसे अधिक प्रधान जीतेंगे. मंजूर जवाब देते हैं कि दौ सौ रुपये दाल बिकत है, 20 रुपये आलू. हमरे यहां मुलायम बाड़न तोहरे इहा लालू भैया, इ चुनाव में त घर में ना त दाल बा नाहीं सब्जी. महंगाई से आम आदमी जूझ रहल बा. सौ रु पये के सब्जी में एगो परिवार के एक दिन काम नइखे चलत.
महज एक साल में महंगाई तीन गुना पहुंच गइल बा. आम आदमी के पीड़ा चुनाव लड़े वाले नेतवन के बीच से गायब बा. ट्रेन जलालपुर पहुंचती है तथा जलालपुर के कई शिक्षक उतरते हैं. बात अब आगे बढ़ती है. कररीया गोपालगंज की मैना देवी अचानक बोल पड़ती हैं कि गोपालगंज में मेडिकल कॉलेज नहीं है. ट्रामा सेंटर खोलने के लिए सिर्फ वादा हुआ. आज ट्रामा सेंटर नहीं रहने से मरीजों को गोरखपुर लेकर जाना पड़ रहा है. ट्रेन सासामुसा से बढ़ती है.
अभिमन्यू पाठक कहते हैं कि इस चुनाव में तो पहले से ही प्रशासन के अधिकारियों ने गाड़ी पकड़ना शुरू कर दिया है, जिससे एक मात्र ट्रेन ही सहारा है. इस रूट पर तो एक्सप्रेस ट्रेन नहीं होने से सबसे अधिक कठिनाई इस इलाके के लोगों को हो रही है. ट्रेन थावे पहुंचती है. यहां बगहा सायदा के महम्मद रहमान, छात्र ज्योति कुमारी सीवान जाने के लिए चढ़ती हैं. ज्योति को इस बात का मलाल है कि अपने जिले में एक भी कॉलेज में एमएससी की पढ़ाई नहीं होती. बगल में बैठे रहमान कहते हैं कि वोट के टाइम में त सब लोग आपन आपन डफली लेके पहुंचेला, लेकिन चुनाव के बाद कोई ना सुनेला.
वोट देबे के पहीले हर मतदाता जाती पाती से ऊपर उठ के बिहार आ अपना जिला के बारे में सोच समझ के जब तक वोट ना करी तब तक इ दुर्दशा हमनी के ङोले के पड़ी. ट्रेन हथुआ पहुंचती है तो चुनाव की चर्चा किसानों पर जाकर टिक जाती है.
अली राजा अंसारी कहते हैं कि किसी को इस बात की फिक्र नहीं है कि गेहूं की फसल बरबाद हुई. किसानों को आज तक मुआवजा नहीं मिला. इस बार सुखा से धान की फसल बरबाद हो गयी. किसानों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी है.

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