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मां दुर्गा की रूप में दिखेंगी कई बहनें

मां दुर्गा की रूप में दिखेंगी कई बहनें- विभिन्न पंडालों व झांकी में विराजेंगी चैतन्य देवियांलाइफ रिपोर्टर.पटनाशहर में हर तरफ दुर्गापूजा की तैयारी चल रही है. कहीं कलाकार मां दुर्गा के मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं, तो कहीं पंडाल और डेकोरेशन का काम हो रहा है. इस अवसर पर विभिन्न पंडालों […]

मां दुर्गा की रूप में दिखेंगी कई बहनें- विभिन्न पंडालों व झांकी में विराजेंगी चैतन्य देवियांलाइफ रिपोर्टर.पटनाशहर में हर तरफ दुर्गापूजा की तैयारी चल रही है. कहीं कलाकार मां दुर्गा के मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं, तो कहीं पंडाल और डेकोरेशन का काम हो रहा है. इस अवसर पर विभिन्न पंडालों में लोगों को कई आकर्षण मूर्तियां देखने को मिलेंगी, लेकिन इन सब के बीच शहर के कुछ पंडाल बिलकुल हट कर बनेंगे, क्योंकि यहां दर्शन देने वाली मां दुर्गा कोई मिट्टी या धातू से बनी मूर्ति नहीं होगी, यहां खुद लड़कियां मां दुर्गा बन कर बैठेंगी. यही लोगों का ध्यान आकर्षित करेंगी. हर साल की तरह इस बार भी मेले में इन देवियों को देख ऐसा लगेगा, जैसे साक्षात मां दुर्गा हमारे सामने विराजमान हो. यह अनोखा दृश्य सप्तमी, अष्टमी और नवमी को देखने को मिलेगा. यहां कुंवारी कन्याओं को देवी का रूप धारण कराया जाता है और उन्हें झांकी पर बिठाया जाता है.इनकी भी होती है पूजाजिस तरह से मिट्टी की मूर्ति की पूजा होती हैै, उसी तरह इन कुंवारी कन्याओं की भी पूजा की जाती है. यहां सभी लड़कियां देवी की रूप में बैठी रहती हैं, इसलिए उन्हें भी नवदुर्गा का रूप माना जाता हैै. इस पंडाल से राहगीर इन देवियों को भी प्रणाम करते हैं. इतना ही नहीं, इनका हाव-भाव भी किसी देवी की तरह ही रहता है. नवरात्रि के अंतिम तीनों दिन पंडाल में शाम के छह घंटे तक इनके कई भावों को देख सकते हैं. इसके लिए परदा भी लगा रहता है, जिसे थोड़े-थोड़े देर पर लगाया जाता है, ताकि सभी लोग कुछ पल के लिए विराम कर सकें. इस बारे में संस्था के जानकार लोगों ने बताया कि लंबे समय तक किसी भी इंसान को एक भाव में बैठना या खड़ा नहीं किया जा सकता है, इसलिए उन्हें कुछ-कुछ समय के बाद पैर सीधा करने का मौका मिलता है.कई दिनों से होती है तैयारी वैसे तो शहर के कुछ ही पंडालों में यह खास दृश्य देखने का मौका मिलता है, लेकिन इन लड़कियों को प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया जाता है. उन्हें एक महीना पहले से ही सभी भावों का ज्ञान दिया जाता है. किस परिस्थिती में क्या करना है? कैसे बैठना है? हजारों के बीच में उन्हें कैसे खुद को तैयार रखना है? इन सभी बातों को गौर करते हुए उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. इस बारे में संस्था की संचालिका ब्रह्मकुमारी संगीता बहन का कहना है कि कोई भी लाइव प्रोग्राम इतना लंबा नहीं चलता, जिसमें इन कलाकारों को एक मंच पर लंबे समय तक एक ही भाव रखना पड़े. इसलिए इस खास दिन के लिए तैयारी बहुत पहले से करनी पड़ती है. तीन दिनों तक छह घंटे के लिए संस्था की बहनों के अलावा शहर की अन्य लड़कियां भी देवी के रूप में विराजमान होती हैं. इसलिए नवरात्रि के दौरान ये शेर, बाघ, कमल और मोर जैसे कई वाहनों के साथ आसन ग्रहण करती हैं. साथ ही वे अपो अस्त्र और शस्त्र की भी जांच करती हैं. दिया जाता है आध्यात्मिक ज्ञानब्रह्माकुमारी संस्थान के बारे में यहां की संचालिका कहती हैं कि इस जगह सालों से लोगों को आध्यातमिक ज्ञान दिया जा रहा है. उन्हें प्रतिदिन एक घंटे के लिए राजयोग की बातें बतायी जाती हैं. उन्हें ईश्वर का ज्ञान दिया जाता है. ईश्वर के सभी रूपों की जानकारी दी जाती है. इसलिए संस्था से जुड़े लोगों को दुर्गापूजा में अपना आसन ग्रहण करने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं होती है. वे कहती हैं, इस काम के लिए टीम बनायी जाती है. एक मंच पर नौ लड़कियां देवी के नवरूप में नजर आती हैं. उन्हें भी देवी का रूप धारण करके शांति मिलती है. इस बारे में यहां कई लोगों ने बताया कि दुर्गा रूप में आने के बाद ऐसा लगता है, जैसे भगवान के द्वार आ गये हों. खुद ब खुद मन में एक अलग भाव आता है. इस रूप में आने के बाद सभी कन्याएं सिर्फ अपनी आंखें खोल कर आसन पर बैठी रहती हैं. इस संस्थान द्वारा जो मंच तैयार किया जाता है, उसमें नौ देवी के रूप के अलावा एक कार्तिक और एक गणेश जी बनते हैं. यहां सभी अपने वाहन के साथ मौजूद रहते हैं. कोटइस संस्थान में हर दिन भाई और बहनों को आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है. उन्हें कई तरह की बातें बतायी जाती हैं. इससे जुड़ने के लिए शहर के कई बच्चे आते हैं. इन्हीं में से कुछ लोगों को दशहरा में झांकी बनने के लिए तैयार किया जाता है, जिसकी तैयारी जारी है. सभी को छह घंटे के लिए तैयार होना पड़ता हैै. ब्रह्मकुमारी संगीता बहन, संचालिका मैं पिछले साल भी इस कार्यक्रम में शामिल हुई थी. मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगता. मंच पर जाने के बाद मन को एक सुकून मिलता है. ऐसे में ईश्वर को समझने का मौका मिलता है. पिछले साल मैं गौरी बनी थी. इस बार मां लक्ष्मी का रूप धारण करने वाली हूं. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है.ब्रह्मकुमारी सरीता, यह एक तरह का ज्ञान है, जिसे कर के अच्छा लगता हैै, इसलिए मैं इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बहुत उत्सुक रहती हूं, हजारों की भीड़ रहती है. ऐसे में मां का रूप धारण कर ईश्वर में लीन हो जाती हूं. पिछले साल मैं वैष्णवी बनी थी. इस बार मां सरस्वती बनने जा रही हूं. मेरे लिए यह जिंदगी का सबसे खास अनुभव है.ब्रह्मकुमारी रिंकीमुझे शुरूसे देवी-देवता बनना अच्छा लगता है, इसलिए मैं बचपन से इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेती आयी हूं. कॉलेज में भी कभी भी देवी का रूप लेना होता है, तो मैं तैयार रहती हूं. दुर्गापूजा में देवी बनने के लिए महीनों से तैयारी जारी रहती है. इस बार भी प्रैक्टिस कर रही हूं, ताकि लंबे समय तक देवी बनी रहूं.सर्वज्ञा, नागेश्वर कॉलोनी

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