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नक्सलियों के गढ़ में वोट की धूम
बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण भी शांतिपूर्ण रहा. नक्सलग्रस्त छह जिलों में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुए मतदान में 456 प्रत्याशियों की किस्मत इवीएम में बंद हो गई. इस चरण के चुनाव में एक नया ट्रेंड यह दिखा कि लोगों ने नक्सलियों और दबंगों की धमकियों की परवाह किए बगैर वोट देकर लोकतंत्र […]
बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण भी शांतिपूर्ण रहा. नक्सलग्रस्त छह जिलों में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुए मतदान में 456 प्रत्याशियों की किस्मत इवीएम में बंद हो गई. इस चरण के चुनाव में एक नया ट्रेंड यह दिखा कि लोगों ने नक्सलियों और दबंगों की धमकियों की परवाह किए बगैर वोट देकर लोकतंत्र में अपनी आस्था का इजहार किया.
साथ ही रोड और िबजली की मांग को लेकर उन्होंने अपनी नाराजगी वोट बहिष्कार के जरिये अभिव्यक्त की. विकास के मुद्दे पर कुल तेरह बूथों पर वोट बहिष्कार िकया गया.
पटना : नक्सल प्रभावित छह जिलों की 32 सीटों पर शुक्रवार को बंपर वोट पड़ा. नक्सलियों ने अपने प्रभाव वाले इलाकों में वोट बहिष्कार का नारा दिया था. पर वोटरों ने इवीएम का बटन दबाकर लोकतंत्र में अपना भरोसा जताया.
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में इन छह जिलों की 32 सीटों पर सुबह के दस बजे तक जहां 20.61 फीसदी वोट डाले जा चुके थे, वह दोपहर दो बजे तक बढ़कर 46.99 फीसदी पर पहुंच गया. गया जिले की दस सीटों पर दोपहर तीन बजे तक औसत 54.22 फीसदी वोट डाले जा चुके थे. मालूम हो कि 12 अक्टूबर को पहले चरण में दस जिलों की 49 सीटों पर 57 फीसदी वोट डाले गये थे. नक्सली गतिविधियों की निगरानी के लिए अति संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. इन क्षेत्रों में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किये गये थे.
जानकारों का कहना है कि सुरक्षा इंतजामों के चलते वोटरों को बूथ तक पहुंचने में कोई हिचक नहीं हुई. मतदान के पहले गुरुवार को इन क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों के जवानों के फ्लैग मार्च किया था, ताकि वोटर निडर होकर बूथों तक पहुंच सकें.
शुक्रवार को दूसरे चरण में रोहतास, औरंगाबाद, कैमूर, गया, जहानाबाद और अरवल में कड़ी सुरक्षा- व्यवस्था के बीच वोट डाले गये. माआवोदी प्रभाव वाले 11 विधानसभा सीटों पर मतदान दोपहर तीन बजे तक ही हुआ, जबकि 12 सीटों पर शाम चार बजे मतदान संपन्न हो गया. नौ विधानसभा सीटों पर मतदान शाम पांच बजे समाप्त हुआ. यह व्यवस्था सुरक्षा कारणों से की गयी थी.
गया जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में माओवादियों का असर रहा है. आज के मतदान वाले जिलों में वहां सबसे अधिक वोट डाले गये. इसी जिले के बारा में 12-13 फरवरी 1992 की रात माओवादियों (एमसीसी) ने धावा बोलकर ऊंची जाति के 35 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी.
औरंगाबाद के दलेलचक बघौरा और अरवल के लक्षमणपुर बाथे व शंकर बिगहा जैसी घटनाओं को माओवादी और सामंती शक्तियों ने अंजाम दिया था.
ऐसे खूंरेजी इलाकों में वोट की धमक आज महसूस की गयी. आम वोटरों ने बदलाव की उम्मीदों के साथ वोट पर्व में अपनी शिरकत की.
गया
23 गिरफ्तार, तीन जगहों से बम मिले
गया जिले की कुल 10 विधानसभा सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान करा लिया गया. सभी जगहों पर तय समय से मतदान की प्रक्रिया शुरू कर ली गयी थी, पर कुछ जगहों पर इवीएम में गड़बड़ी होने के चलते मतदाताओं को दिक्कतें भी हुईं. हालांकि प्रशासनिक तत्परता के चलते तुरंत ऐसी दिक्कतें दूर भी कर ली गयीं. वैकल्पिक इवीएम उपलब्ध करा दी गयी. गया के सात विधानसभा क्षेत्रों में दोपहर बाद तीन बजे तक ही मतदान हो सका. दरअसल, इन विधानसभा क्षेत्रों को नक्सली प्रभाववाले इलाके में माना जाता है.
जहां तीन बजे तक ही मतदान हो सका, वे विधानसभा क्षेत्र हैं – टिकारी, गुरुआ, अतरी, शेरघाटी, बाराचट्टी, बोधगया और इमामगंज. जिले के बेलागंज और वजीरगंज इलाके में चार बजे तक मतदान कराया गया. केवल गया नगर विधानसभा क्षेत्र में शाम पांच बजे तक मतदाताओं ने वोट डाले. वोटिंग की प्रक्रिया चलने के दौरान ही बोगस मतदान के अतिरिक्त अन्य प्रकार की गड़बड़ियों के आरोप में पुलिस ने कुल 23 लोगों को पकड़ा.
सर्वाधिक 18 लोगों को गुरुआ इलाके से पकड़ा गया है. इसी दौरान तीन जगहों पर बम लगाये जाने की सूचना भी मिली. पुलिस ने सावधानी बरतते हुए सभी जगहों से बमों को बरामद कर मतदाताओं को निरापद रखा.
उधर, जिले में कई जगह आशंका के अनुरूप लोगों ने मतदान का बहिष्कार भी किया. हालांकि वोट का यह बहिष्कार नक्सली धमकी की वजह से नहीं, बल्कि सड़क, स्कूल और विकास के लिए था.
बोधगया में एक जगह, गुरुआ में दो और अतरी में तीन जगहों पर लोगों ने वोट डालने से मना कर दिया. दरअसल, इन सभी जगहों के मतदाताओं की अपनी-अपनी मांग थी, जो किन्हीं कारणों से पूरी नहीं हुईं और लोग नाराज रह गये. प्रशासनिक मान-मनौव्वल भी काम नहीं आया. इस बीच, पता चला है कि गया जिले में करीब 55 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है. जानकारी के मुताबिक, पिछली बार के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार गया में पांच से छह प्रतिशत अधिक वोट बड़े होने का अनुमान व्यक्त किया गया है.
औरंगाबाद
केन बम की जगह मिला बालू व आटा
औरंगाबाद की सभी छह सीटों में से तीन सीटों के लिए मतदान की प्रक्रिया तीन बजे तक पूरी कर लेनी थी. ये सीटें हैं नवीनगर, कुटुंबा और रफीगंज. उधर, वोटिंग की प्रक्रिया शुरू होने के बाद एक-एक कर कई जगहों से इवीएम की खराबी की सूचनाएं आने लगीं.
लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में इवीएम को लेकर दिक्कत हुई. वैकल्पिक इंतजाम किये जाने पर फिर से मतदान शुरू हो सका. ओबरा विधानसभा क्षेत्र के करसांव गांव और गोह के पौथू में मतदान के लिए घर से निकले दो लोगों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. उधर, रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में पिपरा गांव में एक स्कूल परिसर में बने बूथ से एक केन बम मिलने की सूचना मिली, लेकिन जांच के बाद उसमें बालू और आटा मिला.
कैमूर
मान-मनौव्वल के बाद अधौरा में हुआ मतदान
सात जगहों पर इवीएम की खराबी की घटनाएं हुईं. इनमें से सर्वाधिक पांच जगह भभुआ विधानसभा क्षेत्र में ही वोटिंग मशीन खराब हो गयी. वैसे, बाद में इवीएम बदल कर इन सभी जगहों पर भी वोटिंग करायी गयी. कैमूर के रामगढ़, मोहनिया और भभुआ विधानसभा क्षेत्रों में तीन जगहों पर लोगों ने मतदान प्रक्रिया का बहिष्कार कर दिया.
आदिवासी बहुल इलाका होने के बावजूद चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने ऐसा नहीं और वहां के सभी पोलिंग बूथों पर लोग वोट डालने पहुंचे. अधौरा यहां के चैनपुर विधानसभा का वह क्षेत्र है, जहां नक्सली वारदातों की आशंका थी, पर, मतदान की पूरी प्रक्रिया यहां भी शांतिपूर्ण तरीके से ही न केवल संपन्न हो गयी, बल्कि यहां लोगों ने बड़ी संख्या में वोट भी डाले.
रोहतास
कहीं इवीएम गड़बड़ तो कहीं वोट बहिष्कार
रोहतास जिले की कुल सात विधानसभा सीटों पर शुक्रवार को एक साथ मतदान करा लिया गया. पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक, सभी जगह सुबह सात बजे ही मतदान शुरू होना था, पर कई जगहों पर ऐसा नहीं हो सका. अलग-अलग कारणों से. कहीं इवीएम खराब मिली, तो कहीं पोलिंग एजेंट ही देर से आये, जिस वजह से मॉक वोटिंग का मामला लटक गया था. हालांकि, समय बीतने के साथ-साथ सारी चीजें धीरे-धीरे लाइन पर आ गयी थीं.
सासाराम शहर से सटी चेनारी विधानसभा सीट की भौगोलिक सीमा में ऐसे कई बूथ थे, जिन्हें नक्सली प्रभाव क्षेत्र में माना जा रहा था. इसलिए इन जगहों पर पहले से ही तय था कि अपराह्न तीन बजे तक ही वोटिंग करायी जायेगी. बाकी जगहों पर सामान्य कार्यक्रम के मुताबिक, शाम पांच बजे तक लोगों ने वोट डाले.
सुबह-सुबह जब वोटिंग की शुरुआत हुई, तो बड़ी संख्या में मतदाता घरों से निकले. 10 बजे तक 20 प्रतिशत से अधिक वोटिंग हो चुकी थी. 11 बजते-बजते वोट प्रतिशत 30 पार करने लगा. इससे तब अनुमान लगाया जाने लगा कि रोहतास जिले में वोटिंग प्रतिशत 60 से भी अधिक हो सकता है. पर, थोड़ी देर बाद ही पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की संख्या कम होने लगी और आगे चल कर यह संख्या तेजी से घट गयी.
शाम चार बजे तक जिले में कुल 50 प्रतिशत भी वोट नहीं पड़ सके. वैसे, इस बार अच्छी बात यह रही कि महिलाएं बड़ी संख्या में बूथों पर पहुंचीं. पुरुषों से कम नहीं. इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना था कि सुरक्षा इंतजामों से लोगों का विश्वास बढ़ा है और इसलिए महिलाएं भी खूब दिलचस्पी दिखायीं. वैसे, वोटिंग के बीच ही कोचस में मारपीट की घटना हो गयी.
यहां एक व्यक्ति को पकड़ा भी गया. इस मामले में आरएलएसपी उम्मीदवार वीरेंद्र कुशवाहा ने अपनी नाराजगी भी जतायी. हालांकि, कुल मिला कर कहा जा सकता है कि मतदान की प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से ही पूरी हो गयी. करगहर को छाेड़ कर सभी सीटों पर मतदान का प्रतिशत पिछले विधानससभा चुनाव से बढ़ा है.
अरवल
दो बूथों पर झड़प
अरवल में 53.02 फीसदी मतदाताओं ने वोटिंग की. वोटिंग के क्रम में प्राय: सभी मतदान केन्द्रों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बीच सुरक्षा के चाक -चौबंद प्रबंध किए गए थे. कुछ मतदान केन्द्रों पर इवीएम की गड़बड़ी से देर से मतदान शुरू होने की सूचना है.
डीएम अलोक रंजन घोष ने बताया कि अरवल में 53.06 व कुर्था में 52.08% मतदाताओं ने वोट डाले. अरवल में 10 और कुर्था में 10 बूथों पर इवीएम खराब होने के बाद उन्हें बदलकर नीयत समय की एक घंटे की देरी से मतदान शुरू हुआ. कुर्था के लारी में वोटरों ने मतदान बहिष्कार किया. मतदान में कहीं से गड़बड़ी की कोई शिकायत नहीं मिली. एक -दो बूथों पर प्रत्याशी समर्थकों में मामूली झड़प के बाद सुरक्षा बलों ने वोटरों की सघन पहचान की.
जहानाबाद
दो गुटों में गोलीबारी
जिले की सभी तीन विधानसभा क्षेत्र सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हो गया. जिले में 56.85 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. सभी मतदान केन्द्रों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बीच कुछेक जगहों से चुनाव में गड़बड़ी की शिकायतें भी मिलीं.
6 लोगों को चुनाव में अवरोध पैदा करने के लिए हिरासत में लिया गया है. घोसी क्षेत्र के ढोंगरा गांव में चुनाव समाप्ति के बाद दो पक्षों में गोलीबारी की जानकारी मिली है. डीएम मनोज कुमार सिंह ने बताया कि किसी बूथ पर पुर्नमतदान की संभावना नहीं है. मतगणना की तैयारी भी लगभग पूर्ण कर ली गई है. चुनाव के दौरान करीब छह मतदान केन्द्रों पर इवीएम की गड़बड़ी से देर से वोटिंग शुरू होने की भी सूचना मिली. संबंधित अधिकारियों ने इवीएम बदलकर वोटिंग चालू करवाई.
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