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स्मारिका का हुआ विमोचन

स्मारिका का हुआ विमोचनमहाकवि काशीनाथ पांडेय पर केंद्रित है स्मारिकाकई साहित्यकार रहे उपस्थितलाइफ रिपोर्टर पटनामहाकवि काशीनाथ पांडेय के 80वें जंयती समारोह के अवसर पर शुक्रवार को एक स्मारिका का विमोचन किया. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन सभागार में आयोजित इसका विमोचन साहित्यकार डॉक्टर नृपेंद्रनाथ गुप्त ने किया. ज्ञात हो कि इससे पहले 26 सितंबर को महाकवि […]

स्मारिका का हुआ विमोचनमहाकवि काशीनाथ पांडेय पर केंद्रित है स्मारिकाकई साहित्यकार रहे उपस्थितलाइफ रिपोर्टर पटनामहाकवि काशीनाथ पांडेय के 80वें जंयती समारोह के अवसर पर शुक्रवार को एक स्मारिका का विमोचन किया. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन सभागार में आयोजित इसका विमोचन साहित्यकार डॉक्टर नृपेंद्रनाथ गुप्त ने किया. ज्ञात हो कि इससे पहले 26 सितंबर को महाकवि काशीनाथ पांडेय शिखर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आयोजित इस स्मारिका के मौके पर डॉक्टर शंकर प्रसाद, डॉक्टर ब्रजेश पांडेय, पुष्पा देवी समेत कई साहित्यकार उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर अनिल सुलभ ने तथा संचालन पल्लवी विश्वास ने किया.जिससे समाज में हो क्रांति वही कवि शक्तिसम्मेलन में अपनी बात रखते हुए डॉक्टर अनिल सुलभ ने कहा कि कवि शक्ति में इतना सामर्थ्य है कि वह समाज में बदलाव ला सकता है. जिन कविताओं से समाज में क्रांति आ जाये, वही कवि शक्ति होती है. बिहार में समालोचकों की कमी है. रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के लिए सबको पढ़ना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मैं यह संकल्प व्यक्त करता हूं कि जो लिखना चाहते हैं, वह लिखे. उनकी रचनाओं को मैं प्रकाशित करवाउंगा. चंदअच्छी चीजों से ही आदमी अमर हो सकता है अगर वह अपना काम करता रहे. वहीं विमोचनकर्ता डॉक्टर नृपेंद्रनाथ गुप्त ने कहा कि काशीनाथ पांडेय ने मुक्तिबोध परंपरा में अपना योगदान दिया. हिंदी साहित्य में उनके जैसी तीन हजार कविताएं दुर्लभ हैं इसके बाद भी उनको उचित सम्मान नहीं मिला. शोध संस्थान को लेकर हुई चर्चाकार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए प्रख्यात साहित्यकार डॉक्टर शंकर प्रसाद ने कहा कि हिंदी साहित्य में काशीनाथ पांडेय की तरह किसी ने भी लंबी कविताएं नहीं लिखी. जाॅन किट्स ने करीब 26-27 सौ पंक्तियों में अपनी रचना को लिखा. मुक्तिबोध की रचनाएं करीब तेरह सौ पंक्तियों की है. निराला जी ने भी लंबी रचनाएं लिखी हैं लेकिन कविनाथ पांडेय की तरह किसी ने भी तीन हजार पंक्तियों में नहीं लिखा. उनको पहचाना नहीं गया. उनके लेखन को पहचानने की जरूरत है. कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन कला कक्ष के रविंचद्र ने दिया.

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