विभागीय सूत्रों के मुताबिक प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) ब्रजेश मेहरोत्रा ने रविववार को अखबारों में छपी खबर को आधार मानते हुए सिविल सर्जन को मौखिक निर्देश दिया कि अस्पतालों में जाएं और मौत की पुष्टि दोबारा करें. इस निर्देश पर सिविल सर्जन डॉ गिरिंद्र शेखर सिंह, प्रशांत कुमार और डॉ एमपी शर्मा रूबल, उदयन और राजेश्वर हॉस्पिटल पहुंचे. इसके बाद रिपोर्ट में कहा गया कि मौत डेंगू से नहीं हुई है. कहा गया कि भले ही उस दोनों का डेंगू का इलाज हो रहा था, लेकिन साथ में उन्हें से कई दूसरी बीमारियां भी थीं. इन बीमारियों के कारण ही उनकी मौत हुई है.
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डांट पड़ी तो डेंगू से डरे सीएस बोले, नहीं हुई एक भी मौत
पटना: बिहार के लगभग 25 जिलों में डेंगू का प्रकोप है और स्वास्थ्य विभाग इन्हें छुपाने में लगा है. शनिवार को जिन दो निजी अस्पतालों में भरती डेंगू के दो मरीजों की मौत की पुष्टि पटना सिविल सर्जन ने की थी, रविवार को वे उससे पलट गये. उन्होंने कहा कि डेंगू से अब तक कोई […]
पटना: बिहार के लगभग 25 जिलों में डेंगू का प्रकोप है और स्वास्थ्य विभाग इन्हें छुपाने में लगा है. शनिवार को जिन दो निजी अस्पतालों में भरती डेंगू के दो मरीजों की मौत की पुष्टि पटना सिविल सर्जन ने की थी, रविवार को वे उससे पलट गये. उन्होंने कहा कि डेंगू से अब तक कोई मौत नहीं हुई है.
निजी अस्पतालों से नहीं मिल रहा आंकड़ा
अभी राजधानी के निजी अस्पतालों में पचास से अधिक डेंगू मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन जब इनमें से किसी की मौत हो जाती है, तो स्वास्थ्य विभाग उसे डेंगू पीड़ित मानने से इंकार कर देता है और मेडिकल साइंस का हवाला देते हुए दूसरी बीमारी से मौत दिखा देता है. फिलहाल राजेश्वर हॉस्पिटल में आठ और साईं हॉस्पिटल में 16 डेंगू मरीज भरती हैं. इनमें से तीन की हालत खराब है और उनका इलाज साईं हॉस्पिटल के आइसीयू में चल रहा है. इसकी जानकारी अस्पताल से विभाग को भी दी जाती है, लेकिन विभाग बस पीएमसीएच को काउंट करके काम चलाता है.
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