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सीएम बनना नहीं, नीतीश व लालू को धूल चटाना उद्देश्य : जीतन राम मांझी

बिल्डिंग व सड़क बनाने से विकास नहीं, शैक्षणिक व सामाजिक हो विकास पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवामी मोरचा सेकुलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर जम कर निशाना साधा. होटल मोर्या में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वे […]

बिल्डिंग व सड़क बनाने से विकास नहीं, शैक्षणिक व सामाजिक हो विकास
पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवामी मोरचा सेकुलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर जम कर निशाना साधा. होटल मोर्या में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनता चाहते हैं.
उनका मुख्य उद्देश्य बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को धूल चटाना है. वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करे. इससे वे कमान हाथ में रख सकते हैं और समाज के लिए जो काम करने के लिए सोंचे हैं उसे करेंगे. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद को नीतीश कुमार ने ही जेल भिजवाया था.
बावजूद इसके वे उनके साथ चले गये. मुझ जैसे गरीब परिवार वाले का उन्होंने साथ नहीं दिया. इससे लगता है कि वे गरीबों के प्रति ढकोसला कर रहे हैं. हमने कहा था कि लालू अगर नीतीश कुमार को हटा दें तो हम उनका साथ देने को तैयार हैं, पर ऐसा नहीं हुआ. जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्होंने भाजपा को अनकंडिशनल स्पोर्ट किया है. नीतीश कुमार द्वारा मांझी को मुख्यमंत्री बनाने को राजनीतिक भूल कहे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी बात सही है. अगर मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनाये होते तो आज उनकी इतनी फजीहत नहीं होती और मुझे जो समर्थन मिल रहा है वह नहीं मिलता.
मेरे काम से उन्हें क्या दिक्कत हो रही थी? उन्होंने मेरे लिये गये 34 निर्णयों को निरस्त कर 19 निर्णयों को फिर से लागू कर दिया है. भाजपा के सांप्रदायिकता के सवाल पर जीतन राम मांझी ने कहा कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं तो 1990-95 तक लालू प्रसाद इसी भाजपा के समर्थन से सरकार चलाये.
1995 से 2013 तक जदयू और भाजपा एक साथ रही तो उस समय धर्मनिरपेक्षता की बात कहां थी. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर आये बयान पर उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने 1962 में कहा था कि हमें रिव्यू करना चाहिए. वही चीज मोहन भागवत जी ने कहा है. आरक्षण होनी चाहिए, तब तक जब तक सामाजिक समानता नहीं आये.
जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर पॉलिटिक्स में उनका बेटा आता है तो इसमें हर्ज क्या है? यह कोई वंशवाद या परिवार वाद नहीं है.
उनका बेटा संतोष सुमन 1998 से राजनीति में सक्रिय हैं. यूनिसेफ की नौकरी छोड़ कर वे चुनाव लड़ने आ रहे हैं. बेटा अगर राजनीति में आता है तो उसके गार्जियन को बल मिलता है. जिस प्रकार आइएएस का बेटा आइएएस बनता है, डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनता है तो उसी प्रकार पोलिटिशियन का बेटा पॉलिटिक्स में आता है तो क्या हर्ज है?
जीतन राम मांझी ने बिना नाम लिये लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर वे कुछ नहीं बोल रहे थे, लेकिन कहीं से बात आयी कि जीतन राम मांझी ट्रायल में है. यह हमें अच्छा नहीं लगा. 1980 में हम चुुनाव जीते. विधायक रहे, मंत्री बने, प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे तो किस बात का ट्रायल. इसके बाद भाजपा से हमने को कहा था ज्यादा सीट देंगे तो फायदा आपका होगा और कम सीटें देंगे तो घाटा होगा.

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