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कंप्यूटर ‘तालों ’ में बंद सपना डिजिटल इंडिया का
बदहाल शिक्षा. स्कूलों में कंप्यूटर सिखानेवाले टीचर ही नहीं अनुपम कुमारी पटना : केंद्र व राज्य की सरकार भले ही डिजिटल इंडिया की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर यह दावा खोखला दिखता है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण राजधानी के सरकारी स्कूल हैं, जहां पढ़नेवाले बच्चों की पहुंच से कंप्यूटर शिक्षा अब तक […]
बदहाल शिक्षा. स्कूलों में कंप्यूटर सिखानेवाले टीचर ही नहीं
अनुपम कुमारी
पटना : केंद्र व राज्य की सरकार भले ही डिजिटल इंडिया की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर यह दावा खोखला दिखता है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण राजधानी के सरकारी स्कूल हैं, जहां पढ़नेवाले बच्चों की पहुंच से कंप्यूटर शिक्षा अब तक दूर है. जी हां, जब बच्चे कंप्यूटर जानेंगे ही नहीं, तो बड़े होकर वे कंप्यूटर ठीक तरीके से चलायेंगे कैसे और डिजिटल इंडिया का सपना कैसे साकार कर पायेंगे.
कंप्यूटर शिक्षा हो रही चौपट
बिहार की राजधानी की स्कूलों की हम बात करें, तो कंप्यूटर शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ठप है़ कंप्यूटर लैब बना अब स्टोर रूम बिहार के बच्चे तकनीकी शिक्षा से जुड़ सके, इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में कंप्यूटर लैब बनाये गये. विभिन्न एजेंसियों के जरिये कंप्यूटर लैब व शिक्षक की व्यवस्था भी की गयी, लेकिन न तो स्कूलों में कंप्यूटर लैब में बच्चे पढ़ते हैं और न ही इनका उपयोग स्कूल के टीचर्स ही करते हैं. ज्यादातर स्कूलों में या तो कंप्यूटर लैब बंद है या कंप्यूटर हैं ही नहीं.
832 स्कूलों को दिये गये नौ-नौ लाख रुपये
वर्ष 2011 -14 में बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना के जरिये सूबे के 832 स्कूलों में विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से कंप्यूटर लैब की व्यवस्था की गयी. इसके लिए सभी स्कूलों में नौ लाख रुपये की लागत से लैब स्थापित किये गये. इसके लिए साढ़े सात लाख रुपये की राशि एकमुश्त दी गयी. शेष राशि का एलॉटमेंट में कंप्यूटर शिक्षक का मानदेय जनरेटर इत्यादि पर खर्च के लिए दिये गये.
इसका संचालन राज्यमाध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से संबंधित जिला पदाधिकारियों द्वारा किया गया है. बावजूद इसके विद्यालयों में कंप्यूटर की शिक्षा ठप है. स्कूल की मानें तो विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं होने से उसकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है.
एजेंसी का टर्म पूरा होते ही पढ़ाई बंद
तीन वर्षों तक रहे शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा ‘बूट मॉडल’ (बिल्ट ऑन ऑपरेटिंग ट्रांसफर) के तहत वर्ष 2006 -07 में स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई शुरू की गयी. इसकी जिम्मेवारी बेलट्रॉन को सौंपी गयी. इसके बाद एनआइटी और एडुकॉन एजेंसी के जरिये स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किये गये. योजना के अनुसार तीन वर्षों तक स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित कर इसकी ट्रेनिंग शिक्षकों को दी गयी. इसके बाद स्कूलों को कंप्यूटर लैब चलाना था, लेकिन एजेंसी का टर्म पूरा होते ही स्कूल प्रशासन की ओर से इसका संचालन बंद हो गया.
तीन साल का टर्म समाप्त होने के बाद कंप्यूटर शिक्षक चले गये, तब से कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो रही है. विद्यालय में कंप्यूटर में पारंगत शिक्षक नहीं हैं, इसलिए कमरे में ताला लगा दिया गया है.
गायत्री सिंह, प्राचार्या, पटना बीएन कॉलेजिएट
हमारे स्कूल में लैब और शिक्षक भी हैं, पर स्कूल का भवन और बच्चे नहीं हैं. ज्यादातर कंप्यूटर बंद ही रहते हैं. सीलन भरे कमरे में कंप्यूटर चलाने में परेशानी हो रही है.
पूनम प्रसाद, प्रचार्य, टीके घोष
शिक्षक के नहीं रहने से पांच कंप्यूटर बंद पड़े-पड़े खराब हो गये हैं. वहीं, एक कंप्यूटर विभाग के कामों के लिए लिया गया है़.
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