वहीं कदमकुआं जैन मंदिर में जबलपुर से आये जैन बाल ब्रह्मचारी मनोज भैयाजी ने कहा कि मन, वचन और काया में सरहता ही उत्तम आर्जव धर्म है. रविवार को मीठापुर आदि सभी जैन मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चना की तैयारियां शुरू कर दी गयी. सुबह के समय श्रीजी का अभिषेक किया गया. प्रवचन करते हुए भैयाजी ने बताया की आत्मा का सहज स्वभाव ही उसका धर्म होता है. पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाये, इसी को बताया जाता है. उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के ह्रदय में छल-कपट, कुटिलता होती है उसका जीवन कृत्रिम हो जाता है, वह जो बोलता है उसके विपरीत आचरण करता है.
मानव धर्म ऐसा होना चाहिये कि जो वह बोले वही करे. पर्युषण पर्व के तीसरे दिन शाम में बच्चों ने आरती जुलूस निकाली. आरती जुलूस रथ पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ कांग्रेस मैदान स्थित जैन मंदिर पंहुचा. संगीत के धुन पर नृत्य करते हुए छोटे-बड़े बच्चे मंदिर प्रांगण में प्रवेश किये. वहां विराजमान भगवान के श्री चरणों में नृत्य करते हुए आरती व अर्चना किया. इसके अलावा आरती सजावट व आरती नृत्य की प्रतियोगिता भी बच्चो के बीच की गयी. मौके पर समाज के अध्यक्ष शांतिलाल जैन, एमपी जैन, अजित जैन, मुकेश जैन, महेश जैन, प्रकाश जैन आदि लोग शामिल थे.