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जंगलराज-टू कह विकास के एजेंडे से भटकाने की साजिश : नीतीश

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा और केंद्र सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है. एक टीवी चैनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में विकास के एजेंडे को भटकाने की साजिश हो रही है. बार-बार जंगलराज पार्ट टू कहा जा रहा है. विकास का जो मुद्दा […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा और केंद्र सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है. एक टीवी चैनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में विकास के एजेंडे को भटकाने की साजिश हो रही है. बार-बार जंगलराज पार्ट टू कहा जा रहा है. विकास का जो मुद्दा लोगों के दिमाग में है, उसे हटाने के लिए इसे दोहराया जा रहा है.

बिहार के लोग जंगलराज के प्रचार से चिंतित ना हो. जंगल राज सिर्फ एक प्रचार है और इसका नाम लेकर कुछ लोग हौवा खड़ा कर रहे हैं. होटल मौर्या में आयोजित समारोह में सीएम ने कहा कि बिहार में कानून का राज स्थापित है, जंगलराज जैसी कोई स्थिति बिहार में न है और न ही पैदा होनी है. घुमा फिरा कर विकास को एजेंडा से बाहर कर देना है. बिहार में हमने काम किया है, लेकिन केंद्र की सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है.

आम तौर पर जो विधानसभा चुनाव होते हैं, वह राज्य के विषय पर होते हैं. केंद्र के सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं ने इस प्रकार से इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा है वह उनका परफॉर्मेंस है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे काम करते रहे हैं और उनकी काम करने की आदत है. मौका मिलेगा तो आगे भी काम करते रहेंगे. इसके अलावा कोई दूसरा एजेंडा मेरे पास नहीं है. अगली बार मौका मिलेगा तो डे वन से काम करेंगे. विधानसभा चुनाव में विकास एजेंडा हो तो बिहार का विकास सबके सामने है.

अगर विकास एजेंडा ना हो और विकास को सिर्फ मुखौटा बना कर पेश किया जाये व उस मुखौटे के पीछे दूसरे एजेंडे हो तो बात ही अलग है. उन्होंने कहा कि विकास के नजरिये से भटकाने के लिए कुछ बाते मुखर कर रख दी जाती है, ताकि लोग विकास को भूल जायें. बिहार में जो काम हुआ है उसे लोग देख रहे हैं. बहुत चीजें हैं जो एहसास की चीज है. लोगों को डराने की कोशिश होती है, लेकिन जो भी है बिहार के लोगों के सामने है. हम लोगों के बीच जाते हैं. लोगों की बात सुनते हैं.

उनकी आकांक्षा क्या है जानने की कोशिश करते हैं? जब वह आकांक्षा पूरी होने लगती है तो लोगों की अपेक्षा बढ़ती है. उस अपेक्षा को पूरा करने के लिए शब्द नहीं होने चाहिए, निश्चय कार्यक्रम होना चाहिए. बिहार विधानसभा चुनाव में विकास एजेंडा हो तो ठीक है, लेकिन एजेंडा कोई और हो तो समाज में उसके बहुत से एक्सपर्ट हैं. हम उसके विशेषज्ञ नहीं हैं. मैंने जो कहा है उसे पूरा किया है और आगे जो कर सकूंगा वही कह रहा हूं. इसिलए जो बिहार ने जो रास्ता पकड़ लिया है उससे कोई भटकाव नहीं होगा और बिहार के लोग भी नहीं भटकियेगा.

जंगल राज की झलक नहीं : मुख्यंमत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राजद अौर कांग्रेस का समर्थन तब मिला जब सरकार अल्पमत में थी. पिछसे छह महीने में एेसा कोई एक्सप्रियेंस नहीं है कि जंगलराज की कोई झलक दिखलाई देती है. राजद से गंठबंधन पर सवाल उठ रहे हैं तो बैकग्राउंड में देखे कि हम सब जनता दल में साथ थे. राजद के साथ इश्यू पर टेक्निकल एलायंस हैं.

जब हम लोग भाजपा के साथ गंठबंधन किये थे तो भी वह टेक्निकल था और विरोधी वोट को एकजुट करने के लिए गंठबंधन किया गया था. सीएम ने कहा कि हम बिहार को आगे ले जाना चाहते हैं. 10 साल तक काम किया हर बाधा को झेलते हुए. पहले तो साढ़े सात साल का भाजपा साथ थे तो विकास का दंभ भरते थे, लेकिन उनके बड़े नेता तो अब लालू-राबड़ी के 15 साल के साथ मेरे 10 साल को जोड़ रहे हैं.

न्याय के साथ विकास व कानून व्यवस्था पर दिया जोर : सीएम ने कहा कि विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. सारे दल व उम्मीदवार तैयारियों में लगे हैं. लोगों के बीच सब अपनी-अपनी बात रख रहे हैं और आगे भी रखेंगे. बिहार में काम करने के लिए यहां के लोगों ने मुझको मौका दिया. हमने काम करने की कोशिश की है. बिहार का विकास हुआ है.

विकास का नजरिया हमारे कार्यक्रमों से दिखा. 2005 से ही हमने न्याय के साथ विकास और कानून का राज स्थापित करने का पर जोर दिया है. शिक्षा के क्षेत्र में बडे़ काम हुए हैं.

2005 में साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर थे, वर्तमान में ऐसे बच्चों की एक प्रतिशत से कम संख्या हो गयी है. पोशाक योजना, साइकिल योजना शुरू हुई. स्कूल बने, स्कूल के कमरे बने, शिक्षक बहाल हुए. लड़कियां सिर्फ स्कूल नहीं पहुंची, बल्कि उनमें आत्मविश्वास आया और उनके अरमानों को पंख लग गये. स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, कृषि, जीडीपी, युवाओं का स्कील डेलपमेंट का काम किया गया.

मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के बाद लागू करने वाले अपने सात सूत्री संकल्प को फिर दोहराया. साथ ही बिहार के चहुमुखी विकास के लिए विशेष राज्य के दर्जे की फिर से मांग की. ताकि निवेशक को करो में छूट मिले और बिहार में निवेश हो सके. इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और प्रदेश विकास होगा.

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