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पढ़ रहे छात्रों का नाम अब कटेगा
पिछले सत्र में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में लिये गये एससी-एसटी छात्रों के नामांकन का मामला पटना : स्वास्थ्य विभाग को एमसीआइ ने एक बार फिर एससी-एसटी छात्रों का नाम काटने को कहा है, लेकिन इस मामले में विभाग का कोई पदाधिकारी कुछ करने व कहने को तैयार नहीं है. ऐसे में पिछले सत्र के छात्र-छात्राओं […]
पिछले सत्र में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में लिये गये एससी-एसटी छात्रों के नामांकन का मामला
पटना : स्वास्थ्य विभाग को एमसीआइ ने एक बार फिर एससी-एसटी छात्रों का नाम काटने को कहा है, लेकिन इस मामले में विभाग का कोई पदाधिकारी कुछ करने व कहने को तैयार नहीं है.
ऐसे में पिछले सत्र के छात्र-छात्राओं ने प्रथम वर्ष की परीक्षा भी दी दिया है. विभागीय सूत्रों की मानें, तो विभाग की ओर से दो बार एमसीआइ को कंप्लायंस भेजी गयी है, लेकिन एमसीआइ ने दोनों बार सरकार के आग्रह को नहीं माना है और नामांकन रद करने को कहा है. ऐसे में सत्र 2014-15 में एससी-एसटी का 52 सीट पर नामांकन लेने वाले छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक जायेगा और उनकी डिग्री किसी काम की नहीं रहेगी.
एमबीबीएस पास करने वाले सभी डॉक्टर को एमसीआइ में रजिस्ट्रशन कराना पड़ता है. जब उनकी डिग्री को एमसीआइ मामने को तैयार नहीं है, तो वह रिजस्ट्रेशन भी एमसीआइ के पास नहीं होगा और उनकी डिग्री किसी काम नहीं होगी. इस मामले में बिहार सरकार भी चाह कर कुछ नहीं कर पायेगी. क्योंकि उनको भी एमसीआइ का ही रिजस्ट्रेशन रूल फॉलो करना है.
यह है मामला
बिहार के मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2014-15 में
एससी-एसटी का 52 सीट खाली रह गया. इसके बाद सरकार ने एमसीआइ को पत्र लिख कर कटऑफ घटाने का आग्रह किया था, लेकिन एमसीआइ ने इस प्रस्ताव को नहीं माना और इसके बाद सरकार ने अपनी शर्तों पर छात्रों का नामांकन 40 प्रतिशत से कम अंक पर ले लिया था. आज इन छात्रों के नामांकन को रद करने के लिए बार-बार सरकार
को पत्र भेज रहा है, लेकिन इस मामले में सरकार कुछ करने को तैयार नहीं है. ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में नामांकन लेने वाले छात्रों ने प्रथम सत्र की परीक्षा भी दे दी है. वहीं दूसरी ओर 2015-16 में भी इस साल भी 87 सीट खाली
रह गयी है. एमसीआइ के पूर्व सदस्य डॉ हरिहर दीक्षित
से जब इस मामले पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जो
छात्र नामांकन ले चुके हैं. अगर एमसीआइ उनके नामांकन को वैद्य नहीं मानती है, तो उसका रजिस्ट्रेशन एमसीआइ में नहीं हो पायेगा और उनकी डिग्री किसी काम की नहीं होगी. इसका एक ही रास्ता है न्यायालय में जाकर छात्र अपना पक्ष रखे.
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