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कहां जाएं नेत्रहीन छात्र, सूबे में नहीं एक भी प्लस टू स्कूल

पटना : राज्य के नेत्रहीन बच्चे दसवीं के बाद ड्रॉप आउट के शिकार हो रहे हैं़ नेत्रहीन बच्चों के लिए राज्य में तीन स्कूल हैं,जिनमें दो में सिर्फ दसवीं तक की पढ़ाई होती है. तीसरे स्कूल में आठवीं तक ही पढ़ाई होती है. गरीब परिवार से आने से दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करना उनके […]

पटना : राज्य के नेत्रहीन बच्चे दसवीं के बाद ड्रॉप आउट के शिकार हो रहे हैं़ नेत्रहीन बच्चों के लिए राज्य में तीन स्कूल हैं,जिनमें दो में सिर्फ दसवीं तक की पढ़ाई होती है. तीसरे स्कूल में आठवीं तक ही पढ़ाई होती है. गरीब परिवार से आने से दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करना उनके लिए संभव नहीं होता.
पटना और दरभंगा के दो स्कूलों में दसवीं तक की पढ़ाई होती है. भागलपुर स्थित तीसरे स्कूल में आठवीं तक की ही पढ़ाई होती है. इसके अलावा पटना में एनजीओ के द्वारा लड़कियों के लिए एक स्कूल संचालित है. इसमें भी दसवीं तक की ही पढ़ाई होती है . दसवीं के बाद आगे की पढाई के लिए इन बच्चों के लिए प्लस टू स्कूल नही है. ऐसे में नेत्रहीन बच्चे मैट्रिक के बाद पढ़ाई नहीं कर पाते हैं .
10 से 20 बच्चे होते हैं हर साल उत्तीर्ण
शिक्षकों की मानें, तो सूबे में 10 से 20 बच्चे मैट्रिक पास करते हैं. इनमें कुछ ही बच्चे ऐसे होते हैं, जो दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करने में सक्षम होते हैं. अधितर बच्चे गरीबी व अन्य कारणों से दसवीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. कदमकुआं स्थित नेत्रहीन विद्यालय का छात्र नारायण का कहना है कि दसवीं के बाद पढ़ाई करने के लिए स्कूल नहीं है. सामान्य कॉलेज में पढ़ाई करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्याेंकि वहां पढ़ाई करने के लिए न तो ब्रेल लिपी में पुस्तकें हैं और न ही अवासीय सुविधा .

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