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रामविलास की इच्छा शाह की चरण वंदना से संभव : रजक

पटना : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण तथा उद्योग विभाग के मंत्री श्याम रजक ने लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के अटल बिहारी वाजपेयी के समय बिहार में एनडीए का नेता बनने संबंधी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह उनकी इच्छापूर्ति भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चरण वंदना […]

पटना : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण तथा उद्योग विभाग के मंत्री श्याम रजक ने लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के अटल बिहारी वाजपेयी के समय बिहार में एनडीए का नेता बनने संबंधी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह उनकी इच्छापूर्ति भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चरण वंदना से ही संभव है.

उन्होंने कहा कि पासवान अपने को दलित का नेता कहते हैं, परन्तु कभी भी दलितों के उत्थान के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया. दलित का नेता कहकर सरकार में उच्च पदों पर आसीन रहे. श्याम रजक ने राम विलास पासवान के बारे में कहा कि उन्हें येन-केन-प्रकारेण कुरसी पर चिपके रहने की आदत है और वे ‘कुरसी चिपकाऊ नेता’ है. वह जिधर सत्ता देखते हैं, उधर ही चल पड़ते हैं, भले ही उसकी नीति अनुसूचित जाति विरोधी हो. ऐसी स्थिति में अगर वे अमित शाह की चरण वंदना कर एनडीए का नेता बन भी जाएं तो बिहार के दलितों का कुछ भी भला होनेवाला नहीं है.

उन्होंने पासवान को चुनौती दी कि वे दलितों के उत्थान के संबंध में कोई भी ऐसा कार्य बताये, जिससे दलित समाज का लाभ हुआ हो. उन्होंने उनसे पूछा कि वह नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण के लिए कोई कार्रवाई/पहल क्यों नहीं की, जबकि इससे पूरा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति पदाधिकारी समाज पीड़ित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पूरे देश में अनुसूचित जाति की सूची में एकरूपता लाने हेतु उनके द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. कोई एक जाति एक राज्य में अनुसूचित जाति के श्रेणी में आता है तो दूसरे राज्य में इसका लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है. बिहार सरकार ने बिहार के सभी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति परिवारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में शामिल करने का निर्णय लिया तो पासवान ने इसमें काफी मीन-मेख निकाल कर और काफी आपत्ति एवं कटौती कर खाद्यान्न का आवंटन किया. इससे अनुसूचित जाति के शत-प्रतिशत परिवारों को इसका लाभ नहीं मिल पाया.

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