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— ANI (@ANI) August 18, 2015
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आरा में सरकारी कार्यक्रम में PM मोदी लगा रहे थे बिहार की बोली : नीतीश कुमार
पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार को सवा लाखकरोडरुपये का पैकेज दिये जाने व खुद पर लगाये गये आरोपों का जवाब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज शाम एक प्रेस कान्फ्रेंस कर दिया. नीतीश ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरा में सरकारी कार्यक्रम में बिहार की बोली लगा रहे थे. […]
पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार को सवा लाखकरोडरुपये का पैकेज दिये जाने व खुद पर लगाये गये आरोपों का जवाब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज शाम एक प्रेस कान्फ्रेंस कर दिया. नीतीश ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरा में सरकारी कार्यक्रम में बिहार की बोली लगा रहे थे. उन्होंने प्रधानमंत्री के उस अंदाज पर यह टिप्पणी की, जब वे आरा में जनसभा को संबोधित कर लोगों से यह पूछ रहे थे कि कितने के पैकेज का एलान करूं 50 हजार करोड…80 हजार करोड… या और ज्यादा.
नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार को बीमारू राज्य बताये जाने पर भी आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि बिहार बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर हो चुका है. जिस मापदंड पर उन्होंने मध्यप्रदेश व राजस्थान को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाला उसी मापदंड के आधार पर बाहर भी बिहार भी उससे बाहर हो गया है.
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि मैं याचक बन कर दिल्ली गया, तो मुझे बिहार के विकास, उसकी खिदमत के लिए याचक बनने में एतराज नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक ओर मुझे याचक कहते हैं और दूसरी ओर अहंकारी भी कहते हैं. यह तो विरोधाभाषी है. दोनों चीजों एक साथ कैसे हो सकती है. नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कॉपरेटिव फेडरेलिज्म की बात करते हैं, लेकिन आचरण इसके विरोध में करते हैं.
नीतीश ने कहा कि हमारी सरकार ने बिहार में 66500 किमी सडक बनायी. 5000 से अधिक पुल बनाये गये. एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां पहले औसतन महीने में 39 मरीज इलाज के लिए आते थे, वहां अब 11 हजार लोग औसतन इलाज कराने हर माह आते हैं. बिजली के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के लोग सुधार को महसूस करते हैं.
उन्होंने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को फिर दोहराते हुए कहा कि अगर यह दर्जा हमें मिलता है, तो हमें केंद्रीय करों में छूट मिलेगी. निवेशक पूंजी लगायेंगे और कारखाने खुलेंगे, जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा.
नीतीश कुमार ने कहा कि मुझे आश्चर्य होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये आंकडे कहां से लाते हैं. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मैं भी मंत्री था. उस समय बिहार का पुनर्गठन के दौरान मैंने मंत्री होते हुए बिहार से 1.69 लाख करोड रुपये मांगने की पहल की थी. मैंने बिहार के लोकसभा व राज्यसभा के सारे सांसदों की बैठक बुलायी थी व अपनी मांग के ज्ञापन को तत्कालनी प्रधानमंत्री को सौंपा था. उस पर केंद्र ने निर्णय लिया.
नीतीश कुमार ने कहा कि उसके तहत 2002 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत प्रतिवर्ष बिहार को 1000 करोड रुपये की विशेष सहायता देने का निर्णय हुआ. इस पैसे ट्रांसमिशन लाइन, बिजली, लघु सिंचाई आदि के लिए काम होने थे. ये पैसे राष्ट्रीय सम विकास योजना के विंडो से आते थे.
उन्होंने कहा कि यह मानसिकता थी कि बिहार को देना है और काम केंद्रीय एजेंसी करेगी. उन्होंने कहा कि हम इस मामले में योजना आयोग के पास भी गये थे, जिनके निर्देश पर एक महीने में काम शुरू हुआ था. दसवीं योजना के बाद काम बंद हो गया, तब हमने तत्कालीन सरकार से अपील की कि योजना चालू रहे.
उन्होंने कहा कि दीघा रेल लाइन का काम हमारे रेलमंत्रित्वकाल में शुरू हुआ. यूपीए के शासन में इसमें रेल सह सडक पुल जोड की विशेष सहायता जोड दी गयी.
नीतीश कुमार ने कहा कि बाद में सम विकास योजना का नाम केंद्र ने बीआरजीएफ कर दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि बरौनी कांटी थर्मल पॉवर प्लांट के आधुनिकीकरण व जीर्णोद्धार के लिए 14 बार तारीख तय की गयी और टल गयी. यह कसूर राज्य का नहीं है. इसे केंद्रीय एजेंसी को कार्यान्वित करना है.
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए मैंने विशेष अभियान चलाया. 1.18 करोड लोगों का हस्ताक्षर करवाया. जिसके बाद केंद्र ने समिति बनायी, जिसमें वित्त मंत्रालय व योजना आयोग के सचिव स्तर के अधिकारी थे. कमेटी ने कहा कि जो मानदंड है, उसके आधार पर हम बिहार के लिए विशेष दर्जा की सिफारिश नहीं कर सकते हैं, लेकिन बिहार को पैकेज मिले. बिहार पुनर्गठन विधेयक में इसका उल्लेख है. 12वीं योजना में फिर 12 हजार करोड रुपये दिये दिये गये, जिसमें 10वीं-11वीं योजना का डेढ हजार करोड रुपये शामिल किया गया, यानी यह मूल राशि साढे दस हजार करोड रुपये थी. उन्होंने कहा कि हमारा इसके तहत सबसे ज्यादा बिजली पर जोर था.
नीतीश कुमार ने कहा कि फिर बीआरजीएफ को बंद कर दिया गया. उससे मिलने वाला पैसा रोक दिया गया. हमारे मुख्य सचिव व मेरे कार्यालय के सचिव नीति आयोग के प्रमुख से मिले और कहा कि यह लागू होना चाहिए. और, वे कह रहे हैं कि पैसा रखा है, खर्च नहीं हो रहा है. नीतीश कुमार ने कहा कि अरे हमने इतना खर्च किया कि पैसे दे नहीं सकते.
उन्होंने कहा कि जिस समय हमने बिहार के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया था, उस समय नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा हमारे साथ ही थी. पटना और उसके बाद दिल्ली में इसके लिए अधिकार रैली भी हुई थी.
नीतीश कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी राज्य की मांग को याचना कहते हैं और उस पर सहकारी संघवाद की बात करते हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया क्या वे बीमारू राज्य थे. उन्होंने कहा कि आज किसी राज्य की तरक्की का मजाक उडा रहे हैं. क्या जब आप (नरेंद्र मोदी) राज्य में थे, तब केंद्र के सामने राज्य की मांग नहीं उठाते थे. उन्होंने कहा कि अंहकार में कौन है, यह अंदाजे बयां है. नीतीश कुमार ने पैकेज का भी बिंदुवार उल्लेख करते हुए उसका जवाब दिया.
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