अब फिर से कार्यकाल बढ़ाने की शुरू हुई कवायद
पटना : राज्य सरकार ने सभी विभागों में विभिन्न पदों पर कार्य कर रहे नियोजित कर्मियों को नियमित करने और उन्हें वेतनमान देने की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस विशेष कमेटी का गठन सरकार ने मई 2015 को किया था. इसे तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी, जिसका कार्यकाल 13 अगस्त को ही समाप्त हो गया.
परंतु अभी इस कमेटी ने इस तरह की कोई रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है. जिस उदे्श्य से कमेटी का गठन किया गया था, वह अपने कार्यों को समय पर नहीं कर पायी है. अब इस कमेटी के कार्यकाल को अगले तीन महीने तक बढ़ाने के लिए कवायद शुरू कर दी गयी है.
इस संबंध में सरकार के पास अनुमति प्रदान करने के लिए मामला गया हुआ है. संभावना व्यक्त की जा रही है कि कैबिनेट का अनुशंसा होने के बाद इस कमेटी का कार्यकाल बढ़ सकता है. सभी स्तर के नियोजित कर्मियों को नियमित करने के मामले की समीक्षा करने के लिए गठित इस कमेटी का अध्यक्ष रिटायर्ड आइएएस अधिकारी अशोक कुमार चौधरी को बनाया गया है. रिपोर्ट तैयार नहीं होने का सबसे प्रमुख कारण सभी जिलों से नियोजित कर्मियों की संख्या और इससे संबंधित रिपोर्ट नहीं प्राप्त होना है.
इस कमेटी ने सभी जिलों से विभिन्न विभागों में जिन-जिन पदों पर नियोजित कर्मचारी कार्यरत हैं, उनकी संख्या और वर्तमान में उन्हें कितना वेतन मिल रहा है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. परंतु अभी तक आधा से ज्यादा जिलों ने यह रिपोर्ट नहीं सौंपी है. इस वजह से कमेटी नियोजित कर्मियों का मूल्यांकन नहीं कर पायी और न ही इन्हें नियमित करने से संबंधित रिपोर्ट ही तैयार कर पायी. प्रारंभिक स्तर के इस डाटा के प्राप्त होने के बाद ही यह सही रूप से पता चल पाया कि नियमित करने में कितना खर्च आयेगा. नियमित करने के बाद संबंधित विभाग के कर्मचारियों का वेतनमान और सेवा शर्ते का भी निर्धारण इस कमेटी को करना था. परंतु ये तमाम काम अभी तक नहीं हो पाये हैं.
अब चुनाव बाद ही आयेगी रिपोर्ट!
कमेटी की रिपोर्ट समय पर नहीं आने से इसका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. इसी बीच विधानसभा चुनाव से संबंधित आचार संहिता भी लागू हो जायेगी. ऐसे में इस कमेटी की रिपोर्ट चुनाव के बाद नयी सरकार के कार्यकाल में ही पेश हो पायेगी. अब नियोजित कर्मियों को चुनाव बाद चुनने वाली नयी सरकार से ही उम्मीद करना होगा. इस कमेटी की अनुशंसा से सभी सरकारी कार्यालयों में बहाल डाटा इंट्री ऑपरेटरों को सबसे ज्यादा उम्मीद थी.