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जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के शिक्षण संस्थानों की डिग्री फर्जी
पटना : राज्य में अभी निगरानी विभाग उच्च माध्यमिक (प्लस टू) स्तर के नियोजित शिक्षकों के बहाली की जांच कर रहा है. वर्तमान में इस स्तर के करीब 30 हजार शिक्षकों की जांच चल रही है. इन शिक्षकों के शैक्षणिक सर्टिफिकेट की जांच के आधार पर अब तक 100 से ज्यादा फर्जी शिक्षकों पर विभिन्न […]
पटना : राज्य में अभी निगरानी विभाग उच्च माध्यमिक (प्लस टू) स्तर के नियोजित शिक्षकों के बहाली की जांच कर रहा है. वर्तमान में इस स्तर के करीब 30 हजार शिक्षकों की जांच चल रही है.
इन शिक्षकों के शैक्षणिक सर्टिफिकेट की जांच के आधार पर अब तक 100 से ज्यादा फर्जी शिक्षकों पर विभिन्न जिलों में एफआइआर दर्ज की जा चुकी है. इन शिक्षकों ने फर्जी शैक्षणिक योगय्ता वाले सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी प्राप्त कर ली थी. अभी कई स्थानों के शिक्षकों की सर्टिफिकेट की जांच चल ही रही है.
एक-एक एफआइआर में 5 से 10 शिक्षकों का नाम दर्ज किया गया है. निगरानी ने अब इनके बीएड के सर्टिफिकेट की जांच चल रही है. इनमें काफी बड़े स्तर पर गड़बड़ी मिलने की संभावना सामने आ रही है.
अब तक हुई जांच में जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों मसलन असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम समेत अन्य राज्यों से जिन्होंने बीएड की डिग्री लाकर जमा की है.
उनमें फर्जीवाड़ा की शिकायत सबसे ज्यादा सामने आ रही है. इन राज्यों के जिन संस्थानों या कॉलेजों से बीएड की डिग्री लेने का दावा नियोजित शिक्षकों ने अपने आवेदन में किया है, उस संस्थान की एनसीटीइ से मान्यता नहीं मिली हुई है.
कई संस्थानों का तो वास्तविक रूप में अस्तित्व तक नहीं है. शिक्षकों ने ऐसे कई फर्जी संस्थानों से डिग्री लेकर इसके आधार पर बहाल हो गये हैं.
अब निगरानी की जांच में इनकी पोल खुल रही है. दक्षिण भारत के संस्थानों की डिग्री कम फर्जी निकल रही है. फर्जी बीएड की डिग्री के सबसे ज्यादा मामले जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के ही निकल रहे हैं.
हाल में निगरानी की जांच टीम जयपुर स्थित एनसीटीई के ब्रांच से लौटी है. यहां से टीम ने इस क्षेत्र में अनुबंधित (एफिलियेटेड) कॉलेजों या संस्थानों की सूची लेकर आयी है. इस सूची के आधार पर बीएड सर्टिफिकेटों की गहन जांच चल रही है.
जांच पूरी होने के बाद फर्जी शिक्षकों की संख्या काफी बढ़ सकती है. फर्जी शिक्षकों पर एफआइआर दर्ज होने के बाद इस फर्जीवाड़ा में शामिल पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों और संबंधित पदाधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है.
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