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बड़े पैमाने पर निवेश के लिए दें विशेष दर्जा : नीतीश
मांग दोहरायी : नीतीश ने फिर की केंद्र से अपील विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर होगा राज्य का विकास नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा तब तक […]
मांग दोहरायी : नीतीश ने फिर की केंद्र से अपील
विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर होगा राज्य का विकास
नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा तब तक बिहार में बड़े पैमाने पर निवेश नहीं होगा. अभी भी बिहार में उद्योग लग रहे हैं लेकिन, उनमें तेजी तभी आयेगी जब निवेश करने वालों को करों में छूट दी जायेगी. ऐसा तभी होगा जब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा.
नीतीश ने कहा कि जब तक आप निवेशकों को कुछ लाभ नहीं देंगे, प्रोत्साहित नहीं करेंगे, तबतक औद्योगिकरण की रफ्तार को तेज नहीं किया जा सकता है. मुख्यमंत्री दिल्ली चैप्टर बिहार फाउंडेशन के कार्यक्रम को संबोिधत कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने दिल्ली चैप्टर की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि यह ऐसा फाउंडेशन है जिससेसभी बिहारी एक दूसरे से जुड़ सकेंगे. राज्य के औद्योगिक वातावरण में सुधार तथा अप्रवासी भारतीय या बिहारी समुदाय से बिहार में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के द्वारा एक फोरम के रूप में बिहार फाउंडेशन का गठन हुआ है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य भावनात्मक रूप से प्रदेश से बाहर रहे बिहारियों को आपस में जोड़ना होगा. वैसे लोग है जो राज्य के लिए कुछ करना चाहते हैं वह इस फोरम के जरिये एक दूसरे से जुड़ेंगे उनको अपना काम करने में सहूलियत होगी.
नीतीश ने कहा कि आज बिहारी हर क्षेत्र में आगे हैं. वह अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर. हमें फिर से उस गौरव को प्राप्त करना है. इसमें सभी बिहारी का सहयोग चाहिए. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज विकास के कुछ द्वीप बन गये हैं. इससे हमें निकलना होगा. क्योंकि इससे देश का हित नहीं हो सकता है.
जबतक कोई राज्य बीमार है तबतक देश के ग्रोथ पर उसका सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाड़ा सामान्यीकरण के कारण बिहार को काफी नुकसान पहुंच चुका है. यही कारण रहा कि तब संयुक्त बिहार के कच्चे मालों से दूसरे प्रदेशों में कल-कारखाने लग गये लेकिन बिहार इससे अछूता रहा. इसीलिए वह केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाये, जिससे उसे कुछ छूट मिल सके. उन्होंने मंच से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग की.
इस कार्यक्रम में सांसद पवन के वर्मा, विजय कुमार चौधरी, श्याम रजक, संजय कुमार झा, त्रिपुरारी शरण, स्थानीक आयुक्त विपीन कुमार आदि ने भी अपने विचार रखे. इस कार्यक्रम में कुछ युवकों द्वारा हंगामा किये जाने को मुख्यमंत्री ने बहुत ही हल्के अंदाज में लेते हुए कहा कि यह सब पब्लिसिटी स्टंट है. चूंकि मीडिया के लोग भी यहां है इसलिए कुछ फुटेज मिलने की आशा में ऐसा किया होगा. हालांकि उन्होंने इस तरह के मौके का इस्तेमाल राजनीति के लिए करने की भर्त्सना की.
कार्यक्रम के दौरान हुआ हंगामा
दिल्ली में शनिवार को बिहार फाउंडेशन चैप्टर के कार्यक्रम में हंगामा भी हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे ही सभा में भाषण देना शुरू किया, वहां हंगामा शुरू हो गया.बताया जा रहा है कि नीतीश के खिलाफ नारेबाजी करने वाले पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता थे. सभा में मौजूद कई लोग नीतीश कुमार हाय-हाय के नारे लगाने लगे और सवाल पूछनेलगे कि भागलपुर के दंगाइयों को सजा कब मिलेगी. मामला बढ़ता देख नीतीश के समर्थकों ने इन लोगों को वहां से बाहर निकाला.
बोलने से ज्यादा करने में विश्वास
राज्य सरकार के सूचना प्रसारण विभाग की ओर से आयोिजत बिहार डेवलपमेंट डॉयलॉग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी पर भी निशाना साधा. नीतीश ने कहा कि वह करने में विश्वास करते हैं. बोलने में नहीं. उनसे जितना होने वाला होता है, उससे कम ही बोलते हैं. लेकिन कुछ लोग सिर्फ बोलते ही रहते हैं, लेकिन लोग सब समझ रहे हैं और सुन रहे हैं. ज्यादा दिनों तक आप किसी को भी भ्रम में नहीं रख सकते हैं. विकास के कुछ द्वीप पैदा हो गये हैं. लेकिन देश का विकास तभी हो सकता है जब सभी राज्यों का विकास हो.
कार्यक्रम में नीतीश ने बिहार की सत्ता संभालते ही जिस तरह से चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उसको उन्होंने विस्तार से बताया. साथ ही मुख्यमंत्री ने आम लोगों से भी सुझाव मांगा कि आखिर आप अपने बिहार को किस तरह का देखना चाहते हैं, इससे संबंधित कोई भी सुझाव/सलाह या परामर्श हो तो उसे बता सकते हैं. नीतीश ने कहा कि उनके सत्ता संभालते ही उनकी प्राथमिकता में गर्वनेंस रही. आज भी है. क्योंकि गर्वनेंस का मतलब कानून का राज होता है. पारदर्शी शासन और जवाबदेही होती है.
यह किसी भी राज्य सरकार का प्राइमरी प्रयास है और मेरा भी यही था. उसके बाद प्राथमिकता तय कर प्रत्येक क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचना, ह्यूमन इंडेक्स, महिलाओं के कल्याण सहित सभी क्षेत्रों में काम किया. बिहार ऐसा पहला राज्य बना जहां पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया.
नीतीश ने कहा कि जब बिहार में पोशाक योजना और साइकिल योजना शुरू हुई तो उस योजना की सफलता को देखकर दूसरे राज्यों ने भी इसे अपनाने शुरू कर दिये. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बिहार का स्थान काफी पीछे थे. उनके मुख्यमंत्री के शपथ लेने के कुछ दिनों बाद ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी उनसे पल्स पोलियो अभियान के पोलियो को खत्म करने के लिए उनसे मिलना चाहते थे. उन लोगों का मानना था कि बिहार से पोलियो खत्म हो जायेगा, तो पूरे देश से खत्म हो जायेगा.
इसको भी उन्होंने चुनौती के रूप में स्वीकार किया और आज बिहार में एक भी पोलियों के मामले नहीं है. जब वह पाकिस्तान गये, तो उन्हें विशेष रूप से पोलियो पर बोलने के लिए कहा गया कि आखिर इतने समय में उन्होंने पोलियो पर काबू कैसे पाया? इससे पहले एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया, जिसमें गर्वनेंस फॉर सस्टनेबल एंड एंक्लुसिव डेवलपमेंट पर चरचा की गयी. इसमें प्रो किरिट पारिख, अरुण मैरा, टीके अरुण, डॉ लीन श्रीवास्तव, पार्थ जे शाह ने भाग लिया.
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