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टूट चुका है विकास पुरुष का दंभ, किनके शासन में बिहारी कहलाना शर्म की बात : मोदी

पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि दस वर्षो तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान नीतीश कुमार को बिहारियों को सम्मानित करने की कभी याद नहीं आयी. अब जब चुनाव घोषित होने में महज 20 दिन बचे हैं, तो उन्हें बिहारियों की याद आ रही हैं. अगर, अब बिहारी कहलाना गर्व की बात […]

पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि दस वर्षो तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान नीतीश कुमार को बिहारियों को सम्मानित करने की कभी याद नहीं आयी. अब जब चुनाव घोषित होने में महज 20 दिन बचे हैं, तो उन्हें बिहारियों की याद आ रही हैं.
अगर, अब बिहारी कहलाना गर्व की बात हैं, तो नीतीश कुमार को यह भी खुलासा करना चाहिए कि किनके राज में बिहारी कहलाना शर्म की बात थी? लालू यादव और कांग्रेस से हाथ मिलाने वाले नीतीश कुमार के ‘विकास पुरुष’ होने का दंभ टूट चुका है.
नीतीश कुमार की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरने का ही नतीजा है कि तीन साल पहले जहां दिल्ली की उनकी रैली में 20-25 हजार लोगों का जमावड़ा था, वहीं आज उन्हें एक छोटे से हॉल में अधिकारियों की भीड़ के बीच महज तीन-चार सौ लोगों को संबोधित करना पड़ा.
उन्होंने कहा है कि ‘बिहार फाउंडेशन’ का नीतीश कुमार राजनीतिक कार्यों व अपने चुनाव प्रचार के लिए बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि देश के अन्य राज्यों में बिहार फाउंडेशन के जरिये आयोजित होनेवाले प्रचार कार्यक्रमों के लिए कितनी राशि का प्रावधान किया गया है, उसे सरकार सार्वजनिक करें.
सॉव कम्युनिकेशन को बिहार फाउंडेशन के कार्यक्रमों का करोड़ों का काम किन शर्तों पर दिया गया हैं, इसका भी खुलासा करें. जन संपर्क विभाग के जरिये आयोजित हो रहे ‘बढ़ चला बिहार’ कार्यक्रम पर जब कोर्ट ने रोक लगा दी, तो बिहार फाउंडेशन के माध्यम से राजनीतिक और चुनाव प्रचार के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं? क्या यूपीए के शासनकाल में महाराष्ट्र, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में बिहारी अपमानित और पीटे नहीं जा रहे थे?
क्या आज केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद और जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकार हैं, वहां लाखों बिहारी सुरक्षा और सम्मान के साथ रोजी-रोटी नहीं कमा रहे हैं?
लाखों बिहारी, जो महाराष्ट्र, गुजरात व हरियाणा सहित भाजपा शासित अन्य राज्यों में हैं, वहां के विकास से भी अवगत हैं और आगामी बिहार विधान सभा चुनाव में वे अपने प्रदेश में वोट देने के लिए आयेंगे.
ऐतिहासिक दिन
बिहार के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा कि पाटलिपुत्र जंक्शन से दीधा और सोनपुर के बीच गंगा पर बने पुल पर रेल इंजन का ट्रायल सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अगर केंद्र सरकार के साथ असहयोगात्मक रवैया नहीं अपनाये रहते और एप्रोच रोड का निर्माण पूरा हो गया रहता, तो आज इस ट्रैक पर सवारी और माल गाड़ियां भी दौड़ रही होती.
नीतीश कुमार की मंशा रही है कि बिहार विधान सभा चुनाव तक पुल के निर्माण में पेच फंसा रहे, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन का श्रेय नहीं ले लें. इस नकारात्मक राजनीति का परिणाम नीतीश कुमार को आगामी चुनाव में भुगतना पड़ेगा.

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