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नरेंद्र मोदी ने सीएम के राजनीतिक डीएनए पर क्षोभ जताया था : मोदी

नमो के नीतीश कुमार के डीएनए पर उठाये गये सवाल पर आज पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी पत्र जारी किया है. पत्र में उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी ने उनके राजनीतिक डीएनए पर क्षोभ जताया था. नीतीश कुमार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि बिहार का डीएनए तो परस्पर विश्वास, […]

नमो के नीतीश कुमार के डीएनए पर उठाये गये सवाल पर आज पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी पत्र जारी किया है. पत्र में उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी ने उनके राजनीतिक डीएनए पर क्षोभ जताया था. नीतीश कुमार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि बिहार का डीएनए तो परस्पर विश्वास, अतिथि सत्कार और सद्भाव का है. यह अलग बात है कि आपका राजनीतिक डीएनए इससे भिन्न है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि आपने 1994 में लालू प्रसाद को धोखा दिया था.

भाजपा ने 17 वर्षो में आपको दो बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री बनाया, फिर भी आपने नरेंद्र मोदी के बहाने गठंबंधन तोड़ कर भाजपा को धोखा दिया. आपने जनता को धोखा दे कर उसी उसी लालू प्रसाद की गोर पर गिर गये, जिसके खिलाफ वोट मांग कर सत्ता में आये थे. विश्वासघात का डीएनए आपका है, बिहार की जनता का नहीं.
आपने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री की कुरसी दे कर उनकी कुरसी छीन ली. महादलित नेता का अपमान किया. जॉर्ज फर्णाडिस के आशीर्वाद से आपको राजनीतिक ऊंचाई मिली, आपने उन्हें भी धोखा दिया. बड़ों से ऐसा आचरण करना बिहार के डीएनए में नहीं है. आप बिहारियों के अपमान की बात कर रहे हैं, जबकि आपने लालू प्रसाद से मिल कर राज्य के उन लाखों लोगों को अपमानित कि या, जिन्हें बिहार में जंगल-राज के चलते रोटी कमाने के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ा. जिनके राज में बिहारी कहलाने में शर्म महसूस होती थी, उन्हीं के साथ सिद्धांहीन गंठबंधन कर आपने बिहारी समाज को आहत किया. सत्ता के लिए सिद्धांतहीन गंठबंधन करना आपकी फितरत हो सकती है, यह बिहार के डीएनए में नहीं है.
बिहार के लोग अच्छी मेजबानी के लिए जाने जाते हैं, वे खुद आधा पेट खा कर भी अतिथि को भरपेट भोजन कराते हैं. अतिथि सत्कार बिहार का डीएनए है, लेकिन आपने 2009 में भाजपा नेताओं को दावत देने के बाद सामने से थाली खींच कर साबित कर दिया कि आपका राजनीतिक डीएनए बिहार के डीएनए से अलग है. आपने प्रधान मंत्री को पत्र लिख कर स्वयं को लोहिया, गांधी-जेपी के आदर्शो पर चलने वाला व्यक्ति बताया है. इसी लिये जानना चाहता हूं कि लोहिया के गैर कांग्रेसवाद को आपने क्यों ठोकर मार दी? कांग्रेस की मदद से आप सरकार चला रहे हैं और उसकी संगत से आपके भीतर खुद को ही बिहार समझने का अहंकार पैदा हो गया है. बिहार के लोगों का डीएनए, तो सादगी और सहजता का है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि वे अतिथि के तिरस्कार, विश्वासघात और अहंकार के अपने राजनीतिक डीएनए को बिहार का डीएनए बताने की कोशिश न करें. इसी से आपके पद की गरिमा है और इसी में 11 करोड़ बिहारियों का सम्मान है.

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