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मुखिया के खिलाफ पूरी अवधि में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव
पटना : अब मुखिया, उपमुखिया, सरपंच, उपसरपंच, प्रमुख, उपप्रमुख और जिला पर्षद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को पांच साल में एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा. राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में चुने गये जनप्रतिनिधियों को काम करने का पर्याप्त अवसर देना चाहती है. साथ ही पंचायती राज संस्थाओं के सबसे […]
पटना : अब मुखिया, उपमुखिया, सरपंच, उपसरपंच, प्रमुख, उपप्रमुख और जिला पर्षद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को पांच साल में एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा. राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में चुने गये जनप्रतिनिधियों को काम करने का पर्याप्त अवसर देना चाहती है. साथ ही पंचायती राज संस्थाओं के सबसे निचले पायदान पर स्थित वार्ड को मजबूती देने जा रही है.
निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को कुरसी या पद जाने काभय न हो, इसके लिए उनको पर्याप्त सुरक्षा कवच दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार मॉनसून सत्र में ही इस आशय का बिल लाने जा रही है. सूत्रों के अनुसार यह बिल बुधवार को सदन में पेश किया जायेगा और मौजूदा सत्र में पारित कराया जायेगा. बिहार पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2015 के माध्यम से वार्डो को मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है. अब ग्राम पंचायत के अंदर ग्राम सभा की बैठक के पहले प्रत्येक वार्ड में अलग से वार्ड सभा का आयोजन करना होगा.
तीन माह में एक बार वार्ड सभा का आयोजन अनिवार्य होगा. वार्ड सदस्य वार्ड सभा का आयोजन व उसकी अध्यक्षता करेंगे. वार्ड में रहनेवाले सभी मतदाता वार्ड सभा के सदस्य होंगे. अगर वार्ड सभा का आयोजन वार्ड सदस्य नहीं करते हैं, तो पंचायत के मुखिया या मुखिया द्वारा अधिकृत किये जाने पर उपमुखिया बैठक का आयोजन करेंगे.
वार्ड सभा का कोरम वार्ड के कुल सदस्यों के 10वें भाग या 50 सदस्यों का निर्धारित किया गया है. वार्ड सभा अपने क्षेत्र में ली जानेवाली विकास योजनाओं का प्रस्ताव तैयार करना, विभिन्न स्कीमों के तहत पात्र व्यक्तियों की पहचान करना, सरकार से विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी सहायता जैसे पेंशन व अनुदान प्राप्त करनेवाले व्यक्तियों की पात्रता का सत्यापन करना, विकास योजनाओं के लिए नकद या जिंस दोंनों रूप में अंशदान व स्वैच्छिक श्रमदान का सहयोग प्राप्त करना, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वार्ड सभा के सदस्य ग्राम पंचायत को कर व फीस का ससमय भुगतान करते हैं. मुखिया के अनुरोध पर स्ट्रीटलाइट या सामुदायिक नल, सार्वजनिक स्वच्छता, सार्वजनिक सुविधा के लिए उपयुक्त स्थल का सुझाव देना.
इसी तरह से वार्ड निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा देने की पहल की है. इसके तहत मुखिया, उपमुखिया, सरपंच, उपसरपंच, प्रमुख, उपप्रमुख, जिला पर्षद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को पूरी अवधि में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. साथ ही प्रमुख व उपप्रमुख और जिला पर्षद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त रहने पर उम्र में वरिष्ठतम सदस्य को पूर्णत: अस्थायी व्यवस्था के तहत प्रमुख व अध्यक्ष के दायित्वों का निर्वहन करने का दायित्व सौंपा जायेगा.
शौचालय नहीं, तो उम्मीदवारी नहीं
विधानसभा में लाये गये बिल में पंचायत चुनाव में उम्मीदवार होने के लिए वैयक्तिक परिवार में 31 जनवरी, 2016 तक एक शौचालय अनिवार्य रूप से होने का प्रावधान किया गया है. बिल में पंचायत समिति व जिला पर्षद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की तरह ग्राम पंचायत व कचहरियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी निर्धारित भत्ता दिया जायेगा.
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