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शराब असली या नकली, मोबाइल एप बतायेगा
उत्पादन एवं मद्य निषेध विभाग ने की नयी पहल, बोतलों पर होगा इलेक्ट्रॉनिक कोड जल्द ही इसका खास एप और बोतल पर बार कोड आना शुरू हो जायेगा एप को कोई भी मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है पटना : राज्य में देसी और विदेशी शराब के असली और नकली की पहचान जल्द ही हर […]
उत्पादन एवं मद्य निषेध विभाग ने की नयी पहल, बोतलों पर होगा इलेक्ट्रॉनिक कोड
जल्द ही इसका खास एप और बोतल पर बार कोड आना शुरू हो जायेगा
एप को कोई भी मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है
पटना : राज्य में देसी और विदेशी शराब के असली और नकली की पहचान जल्द ही हर कोई कर सकता है. इसके लिए एक हाइटेक व्यवस्था शुरू होने जा रही है. उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग इसके लिए एक खास एप तैयार करवा रहा है,
जिसे कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल में मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है और इसकी मदद से देशी और विदेशी शराब की बोतल पर बने बार कोड या इलेक्ट्रॉनिक कोड को स्कैन करके उससे संबंधित तमाम जानकारी को पढ़ सकता है.
इससे यह पता चल जायेगा कि यह शराब असली है या नकली, कब, कहां और किस फैक्ट्री में तैयार हुई है. इस आधुनिक पहल से शराब की कालाबाजारी पर अंकुश लग सकेगा. देशी शराब की पेट बोतलों पर अगस्त महीने के अंत से खास किस्म का होलोग्राम लगा हुआ आने लगेगा. इससे ग्रामीण इलाकों के लोग आसानी से होलोग्राम देख कर असली और नकली में फर्क पता कर सकते हैं.
ऐसे काम करेगा यह एप
सभी तरह की शराब की बोतलों पर एक इलेक्ट्रॉनिक कोड अंकित किया जायेगा. इस कोड को कैमरे वाले मोबाइल से स्कैन करके उससे संबंधित तमाम जानकारी प्राप्त की जा सकती है. विभाग की तरफ से तैयार किये इस एप (एप्लीकेशन) को कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल पर मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है.
इसे डाउनलोड करना भी बेहद आसान होगा और यह मोबाइल के मेमोरी में ज्यादा जगह भी नहीं लेगा. इससे तैयार करने के लिए विभाग ने पहल शुरू कर दी है. जल्द ही किसी सॉफ्टवेयर कंपनी का चयन कर उसे इसका काम दे दिया जायेगा.
स्प्रिट की मॉनीटरिंग की होगी ऑनलाइन व्यवस्था
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग स्प्रिट की मॉनीटरिंग की ऑनलाइन व्यवस्था करने जा रहा है. इसमें डिपो से स्प्रिट के निकलने से लेकर इसके देशी शराब फैक्ट्री में पहुंचने और दुकान तक पहुंचने तक की पूरे मूवमेंट की इंट्री ऑनलाइन होगी.
परमिट जारी करने से लेकर कोषागार में लाइसेंस फी जमा करने तक की व्यवस्था ऑनलाइन होगी. इससे हर कंपनी के पास स्प्रिट सप्लाइ का पूरा हिसाब कभी भी देखा जा सकता है. गौरतलब है कि स्प्रिट के उठाव में काफी गड़बड़ी की शिकायत मिलती रहती है.
देशी शराब का ठेका लेने वाली कंपनियां निर्धारित कोटा से ज्यादा स्प्रिट का उठाव कर लेती हैं, कई बार मात्र में भी गड़बड़ी करती हैं. इस तरह अवैध शराब का निर्माण करके अधिक मुनाफा कमाती हैं, जिसका टैक्स सरकार को नहीं जाता. यह अवैध कमाई सीधे इसके नेक्सस में जाता है.
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