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200 करोड़ लापता, अधिकारी मौन
नगर लेखा व वित्त नियंत्रक ने एक हफ्ते में मांगा जवाब पटना : वर्ष 2008 से लेकर 2013 तक पटना नगर निगम में अधिकारियों-कर्मचारियों ने करोड़ों रुपये का गोलमाल किया. इसका खुलासा वर्ष 2014 के जनवरी-फरवरी में हुई ऑडिट रिपोर्ट में हुआ. इस वित्तीय अनियमितता पर अंकेक्षण दल ने निगम प्रशासन से जवाब मांगा था, […]
नगर लेखा व वित्त नियंत्रक ने एक हफ्ते में मांगा जवाब
पटना : वर्ष 2008 से लेकर 2013 तक पटना नगर निगम में अधिकारियों-कर्मचारियों ने करोड़ों रुपये का गोलमाल किया. इसका खुलासा वर्ष 2014 के जनवरी-फरवरी में हुई ऑडिट रिपोर्ट में हुआ.
इस वित्तीय अनियमितता पर अंकेक्षण दल ने निगम प्रशासन से जवाब मांगा था, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय हो गया, पर किसी शाखा के पदाधिकारी या अंचल के पदाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट या जवाब प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया है. अब नगर लेखा-वित्त नियंत्रक राजीव रंजन ने सभी शाखाओं के पदाधिकारी, अंचल कार्यपालक पदाधिकारी, नगर मुख्य अभियंता और कार्यपालक अभियंता से एक सप्ताह के भीतर जवाब प्रतिवेदन की मांग की है, ताकि जवाब प्रतिवेदन को महालेखाकार कार्यालय को उपलब्ध कराया जा सके.
लापरवाही. निगम में आय-व्यय की संचिका गायब!
निगम मुख्यालय से लेकर अंचल कार्यालयों में ऑडिट जांच की जा रही थी, तो ऑडिटर द्वारा आय-व्यय की संचिका की मांग की गयी. इस पर निगम पदाधिकारियों ने टालमटोल की नीति अपनायी.
ऑडिटर सख्त हुए तब भी पदाधिकारी इसका स्पष्ट जवाब नहीं दे सके. कभी बताया कि संचिका सुरक्षित नहीं है या संबंधित व्यक्ति अभी नहीं है. इस स्थिति में निगम कार्यालय में आय-व्यय का ब्योरा नहीं होने से गंभीर वित्तीय अनियमितता की आशंका जतायी जा रही है.
मिलीभगत. मुख्यालय से लेकर अंचल ने किया वारा-न्यारा
निगम मुख्यालय से लेकर अंचल कार्यालयों तक जिसको जहां मौका मिला, उसने निगम राजस्व को क्षति पहुंचायी.होल्डिंग टैक्स की वसूली, भाड़े के वाहन के किराये में अनियमितता, चल रही योजनाओं का बिल बिना सत्यापन व विपत्र का भुगतान किया जाना, नजदीक पेट्रोल पंप के बावजूद दूर के पेट्रोल पंप से ईंधन लेना, एक ड्राइवर को दो अंचलों से वेतन देना, एक ट्रैक्टर को दो अंचलों से भुगतान करना, पानी से फॉगिंग कराना, अनुदान की राशि को खर्च नहीं करना आदि कई मामले निकल कर सामने आये.
अंकेक्षण रिपोर्ट में जहां-जहां वित्तीय अनियमितता पर सवाल उठाये गये हैं, उनके जवाब के लिए संबंधित शाखाओं व पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गयी है. इससे पहले भी संबंधित पदाधिकारी से जवाब मांगा गया था, लेकिन किसी ने उपलब्ध नहीं कराया है. अब रिपोर्ट महालेखाकार को देना है, तो शीघ्र रिपोर्ट की मांग की गयी है.
– राजीव रंजन, लेख-वित्त नियंत्रक, पटना नगर निगम
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