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अपना पटना स्मार्ट सिटी के लायक नहीं
पटना: राज्य में स्मार्ट सिटी के लिए तैयार किये जा रहे मानकों पर पटना नगर निगम पिछड़ सकता है. जो मानक है, उसके आधार पर पटना मुकाबले से बाहर हो जायेगा. स्मार्ट सिटी को लेकर राज्य के चार शहरों के बीच प्वाइंट टू प्वाइंट कंप्टीशन है. स्मार्ट सिटी का दर्जा लेने के लिए मुजफ्फरपुर, गया, […]
पटना: राज्य में स्मार्ट सिटी के लिए तैयार किये जा रहे मानकों पर पटना नगर निगम पिछड़ सकता है. जो मानक है, उसके आधार पर पटना मुकाबले से बाहर हो जायेगा. स्मार्ट सिटी को लेकर राज्य के चार शहरों के बीच प्वाइंट टू प्वाइंट कंप्टीशन है. स्मार्ट सिटी का दर्जा लेने के लिए मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और बिहारशरीफ के बीच संघर्ष चल रहा है. मूल्यांकन में चारों शहरों से पटना नगर निगम पिछड़ गया है.
नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा स्मार्ट सिटी के चयन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है. राज्य के 28 शहरों को अपने निकायों की रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है. ये वही शहर हैं, जिनकी आबादी एक लाख से अधिक है. स्मार्ट सिटी चयन के लिए केंद्र सरकार ने मानक तैयार किये हैं. इन शहरों का चयन दो विभिन्न मानकों के अनुरूप किया जायेगा. गौरतलब है कि पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर व बिहारशरीफ के अलावा आरा, बेगूसराय, दरभंगा, कटिहार, मुंगेर, पूर्णिया, बेतिया, मोतिहारी, किशनगंज, सहरसा, सीवान, छपरा, हाजीपुर, बक्सर, सासाराम, औरंगाबाद, जहानाबाद, बगहा, जमालपुर, नवादा, डेहरी-डालमिया, सीतामढ़ी और दानापुर से भी स्मार्ट सिटी के लिए प्रस्ताव मांगा गया है.
मानक नंबर एक
शहरों का मूल्यांकन का पहला आधार है सेवा स्तर का. इसके लिए 25 अंक निर्धारित हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार जो भी शहर ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना करेगा और कम-से-कम पहले वर्ष इ-सूचना का प्रकाशन, पिछले दो वित्तीय वर्षो के लिए वेबसाइट पर नगर निगम के खर्च के ब्योरे का प्रकाशन करेगा.
मानक नंबर दो
मूल्यांकन का दूसरा आधार संस्थागत प्रणाली व क्षमता का होगा, जिसके लिए 15 अंक निर्धारित हैं. यह अंक तभी मिलेंगे, जब साफ-सफाई जैसी सेवा देने में देरी के लिए जुर्माना लागू किया जायेगा. पिछले तीन वर्षो में आंतरिक संसाधन जुटाने के लिए किये गये सुधार के लिए अंक मिलेंगे. निकायों को स्व वित्त के लिए 30 अंक निर्धारित हैं.
अन्य कार्यो के लिए भी हैं अंक निर्धारित
वर्ष 2012-13 तक खातों का लेखा परीक्षण, 2014-15 के बजट में आंतरिक आय का योगदान, 2014-15 के दौरान प्रतिष्ठान प्रतिशत व उपयोगकर्ता शुल्क के जरिये पूरी होनेवाली जलापूर्ति के रखरखाव लागत के आधार पर दिखना चाहिए. पिछले कार्य के निष्पादन को लेकर 30 अंक निर्धारित हैं. उसमें नुरुम की जिन योजनाओं को 2012 तक मंजूर किया गया, उसके पूरा होने का प्रतिशत, शहरी स्तर के सुधारों का प्रतिशत व आंतरिक संसाधनों से पूरे किये गये पूंजीगत खर्च के आधार पर अंक दिया जाना है. इसी तरह से दूसरे चरण का मूल्यांकन इससे भी कठिन है. इसमें शहरी स्तर के मूल्यांकन पर 30 अंक, जबकि प्रस्ताव स्तर के मूल्यांकन के लिए 70 अंक निर्धारित किये गये हैं.
इन पर भी किया जा रहा मूल्यांकन
शहरी स्तर के मूल्यांकन में तीन वर्षो में संरचनात्मक कार्यक्षमता में सुधार शामिल है. भवनों की मंजूरी देने के लिए औसत समय, संपत्ति कर आकलन, पानी के उपयोगकर्ता शुल्क का संग्रह, बिजली आपूर्ति में सुधार, यातायात की भीड़भाड़ को कम करना, सूचना प्रोद्योगिकी को अपना कर उसके जरिये वैधानिक दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच की दिशा में उठाया गया कदम, प्रस्तावना स्तर के मूल्यांकन के तहत गरीबों व सुविधा विहीन लोगों को लाभ देने, रोजगार सृजन करने, पर्यावरण पर प्रभाव आदि के प्रस्ताव के आधार पर मूल्यांकन किया जायेगा.
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