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सूबे में 34 को जेड प्लस, जेड व वाइ सुरक्षा

पटना: राज्य में जेड प्लस, जेड और वाइ जैसी बेहद विशेष श्रेणी की सुरक्षा से हमेशा घिरे रहने वाले 34 वीवीआइपी हैं. इसमें सबसे ज्यादा खास श्रेणी जेड प्लस की सुरक्षा से राज्य के पांच लोग घिरे रहते हैं. हाल में यह सुरक्षा पाने वाले पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पांचवें ंअतिविशिष्ट व्यक्ति बन गये […]

पटना: राज्य में जेड प्लस, जेड और वाइ जैसी बेहद विशेष श्रेणी की सुरक्षा से हमेशा घिरे रहने वाले 34 वीवीआइपी हैं. इसमें सबसे ज्यादा खास श्रेणी जेड प्लस की सुरक्षा से राज्य के पांच लोग घिरे रहते हैं. हाल में यह सुरक्षा पाने वाले पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पांचवें ंअतिविशिष्ट व्यक्ति बन गये हैं.

इससे पहले राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, सीएम नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और पूर्व सीएम राबड़ी देवी को ही यह सबसे टॉप श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. यह सुरक्षा केंद्र के स्तर से दी जाती है. देश में राष्ट्रपति की मजबूत और विशिष्ट किस्म की सुरक्षा के बाद पीएम, गांधी परिवार समेत तीन-चार लोगों को ही एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) की सुरक्षा प्राप्त है. इन लोगों के बाद देश में किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत सुरक्षा के रूप में मिलने वाला सबसे उच्च श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था जेड प्लस ही है. केंद्रीय गृह मंत्रलय की विशेष अनुशंसा के बाद ही यह खास सुरक्षा श्रेणी किसी को प्रदान की जाती है. इसके बाद जेड, वाय और एक्स श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था होती है.

20 को वाइ श्रेणी की सुरक्षा
हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नरसिंह रेड्डी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, शिक्षा मंत्री पीके शाही, सांसद सुशील कुमार सिंह, एमपी चिराग पासवान, अखिलेश प्रसाद सिंह, पशुपति कुमार पारस समेत 20 अन्य.
इन नौ को जेड श्रेणी की सुरक्षा
पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, राजीव प्रताप रूडी, राधा मोहन सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह, पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह और भाजपा के शाहनवाज हुसैन को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है.
जेड प्लस श्रेणी
दो एस्कॉर्ट (एक-तीन का), दो निजी अंगरक्षक (एक यूनिफॉर्म, दूसरा बिना यूनिफॉर्म के), एक बुलेट प्रूफ कार, दो वाचर और राज्य पुलिस से एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की चौबीसों घंटे तैनाती रहती है. घर पर जरूरत के मुताबिक सुरक्षा गार्ड (इसमें सीआरपीएफ या सीआइएसएफ या अन्य पारा मिलिट्री फोर्स तैनात रहते). कमांडो की संख्या निर्धारित नहीं होती है. अगर घर का आकार बड़ा है, तो कमांडो की संख्या बढ़ायी भी जा सकती है. इसके अलावा घर और कार्यालय पर चौबीस घंटे की सुरक्षा रहती है. रेगुलर चेकिंग से होकर इनके पास मिलने वालों को गुजरना पड़ता है. मेटर डिटेक्टर और एंटी-सवरेरटाज जैसी आधुनिक मशीनें सुरक्षा के इंतजाम में लगी रहती हैं. जब इनका काफिला चलता है, तो एक वार्निग कार और पायलट गाड़ी आगे-आगे चलती है. एक अतिरिक्त गाड़ी साथ में तथा एक टेल कटर (पीछे से कोई अनजान गाड़ी धक्का नहीं मार सके) गाड़ी पीछे चलती है.
जेड श्रेणी
10 सिपाही (केंद्रीय फोर्स या कमांडो) स्थायी रूप से तैनात रहते हैं. हमेशा कमांडो का सुरक्षा घेरा बना रहता है. चौबीस घंटे सुरक्षा गार्ड साथ रहते हैं. आधुनिक हथियारबंद कमांडो स्कॉउट करते हैं. जब काफिला गुजरता है, तो एक पायलट गाड़ी आगे और टेल कटर गाड़ी पीछे चलती है. इसके अलावा एक सुरक्षा गार्ड की गाड़ी भी होती है.
वाइ श्रेणी
घर पर एक-चार का फोर्स चौबीस घंटे तैनात. दो बॉडीगार्ड हमेशा साथ रहते हैं. सड़क पर किसी तरह की पायलट या टेल कटर गाड़ी साथ नहीं चलती है.

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