पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सूखे की स्थिति की समीक्षा महज कागजी खानापूर्ति के लिए कर रहे हैं.
हर वर्ष सूखा प्रभावित किसानों को सहायता देने, बंद पड़े नलकूपों को चालू कराने, कृषि कार्य के लिए पर्याप्त बिजली देने और डीजल अनुदान वितरित करने की घोषणाएं तो की जाती हैं, मगर ये सारी लफ्फाजी ही साबित होती हैं. धान खरीद मद में किसानों का चार महीने बाद भी सरकार पर 800 करोड़ बकाया है.
लगातार तीसरे साल भी सरकार गेहूं का एक दाना नहीं खरीद कर पायी है. अतिवृष्टि, ओलापात व तूफान पीड़ित लाखों किसान अब तक क्षति पूर्ति राशि से वंचित हैं. नीतीश की सरकार कृषि और किसानों की समस्याओं को नेकर संवेदनशील नहीं है. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश के करीब 80 प्रतिशत राजकीय नलकूप बंद पड़े हैं. कृषि कार्य के लिए किसानों को 8 से 10 घंटे तक बिजली उपलब्ध कराने का दावा तो सरकार करती है, मगर हकीकत है कि कुल बिजली खपत का मात्र तीन प्रतिशत ही कृषि कार्य के लिए आपूर्ति की जा रही है. डीजल सब्सिडी के वितरण और कृषि यंत्रों पर अनुदान देने में भी सरकार विफल रही है.
उन्होंने कहा कि 24 घंटे के अंदर भुगतान करने की घोषणा करने वाले नीतीश कुमार चार महीने बाद भी किसानों के धान खरीद मद का 800 करोड़ रुपया दबा कर बैठे हुए हैं. इस साल 31 मार्च के बाद 598 करोड़ रुपये की जो 4 लाख 62 हजार म़े टन धान की खरीद हुई उसकी डीएम द्वारा जांच के नाम पर किसानों को महीनों परेशान किया गया. बाद में राज्य खाद्य निगम धान लेने से इंकार कर चावल की मांग करने लगा. किसान जब 2 लाख 62 हजार म़े टन चावल तैयार कर ले गये, तो अब राज्य खाद्य निगम के पास उसे रखने की जगह नहीं है. 31 मार्च के पहले हुई खरीद के बकाये 294 करोड़ का पैक्सों को भुगतान नहीं किया गया है. बैंक कर्ज और सूद की वजह से पैक्सों की हालत खस्ता है.