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11 को चुना जायेगा मेयर

पटना: पटना नगर निगम के मेयर का चुनाव 11 अगस्त को होगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी सूचना पटना नगर निगम, नगर विकास व आवास विभाग और प्रमंडलीय आयुक्त को दी है. राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव दुर्गेश नंदन के निर्देश के अनुसार आयोग से मिली जानकारी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में तत्कालीन […]

पटना: पटना नगर निगम के मेयर का चुनाव 11 अगस्त को होगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी सूचना पटना नगर निगम, नगर विकास व आवास विभाग और प्रमंडलीय आयुक्त को दी है. राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव दुर्गेश नंदन के निर्देश के अनुसार आयोग से मिली जानकारी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में तत्कालीन मेयर अफजल इमाम हार गये थे.

निगम प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट नगर विकास व आवास विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग को 17 जुलाई को दी थी. राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना जारी होने के साथ ही पटना नगर निगम के वार्ड पार्षदों में चुनाव को लेकर सरगरमी तेज हो गयी है. अफजल इमाम और विरोधी गुट मेयर पद के चुनाव में जीत के लिए रणनीति बनाने में जुट गये हैं.

फ्लैशबैक
26 जून : मेयर को अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दिया
16 जुलाई : मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित, 38 पार्षदों ने प्रस्ताव के पक्ष में दिया मत
आसान नहीं होगा विपक्ष को मेयर चुनना
मेयर चुनाव की तिथि सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने घोषित कर दी है. हालांकि, मंगलवार से पटना नगर निगम में मेयर पद की उम्मीदवारी को लेकर पार्षदों में राजनीति गरम हो जायेगी और पार्षदों को जोड़-तोड़ करने का काम भी शुरू हो जायेगा. निगम के 72 पार्षद दो खेमे में बंटे हैं. हालांकि डिप्टी मेयर गुट में मेयर पद के लिए उम्मीदवार चयनित करना आसान नहीं होगा. वजह तीन मजबूत दावेदार हैं और उनके अपने समर्थक पार्षद भी हैं. बावजूद डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता व वार्ड पार्षद विनय कुमार पप्पू कहते हैं कि उम्मीदवार का चयन करना मुश्किल नहीं है. जिस एकता के साथ मेयर अफजल इमाम को कुरसी से बेदखल किये हैं उसी एकता के साथ मेयर चुनाव भी जीतेगे. वहीं अफजल गुट में उम्मीदवार को लेकर विवाद नहीं है, क्योंकि अफजल समर्थक उन्हें भी उम्मीदवार मान रहे है.
कानूनी पेच में फंस सकती है अफजल की उम्मीदवारी
डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता व विनय कुमार पप्पू गुट पूर्व महापौर अफजल इमाम की उम्मीदवारी पर कानूनी पेच लगा सकते हैं. इस गुट का कहना है नगरपालिका एक्ट 2007 को 2011 में संशोधन किया गया. धारा 25(6) में स्पष्ट उल्लेख है कि हटाये गये महापौर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. वहीं अफजल गुट के पार्षदों का कहना है कि विपक्ष हमारी एकता से घबराया हुआ है और एक्ट के प्रावधान की गलत व्याख्या कर रहे हैं. 2014 में गया नगर निगम के डिप्टी मेयर पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिसमें डिप्टी मेयर हार गये थे. जब डिप्टी मेयर का चुनाव हुआ,तो अविश्वास प्रस्ताव हारे डिप्टी मेयर चुनाव लड़े और जीत भी गये. ऐसे कई उदाहरण हैं.
दोनों गुट के अपने-अपने दावे
विपक्षी गुट के सुनील कुमार व मुकेश कुमार कहते हैं कि निगम में जनहित कार्य अवरुद्ध हो गया था. वार्ड के विकास के लिए पिक एंड चूज किया जाता था. ठोस कचरा प्रबंधन का कार्य वर्षो से अधर में है. वजह पूर्व महापौर अफजल इमाम थे, जिन्हें हमलोगों ने अविश्वास प्रस्ताव ला कर हटाया है. अब ऐसा मेयर चुनाव करेंगे,जो पक्ष-विपक्ष के कंसेप्ट को मिटाते हुए शहर का विकास करेंगे. वहीं,अफजल समर्थक पार्षद संजीव कुमार कहते हैं कि डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता व विनय कुमार पप्पू किस-किस को गुमराह करेंगे. आज कह रहे हैं कि सफाई व विकास कार्य अवरुद्ध है,तो नौ सितंबर 2014 में हाइकोर्ट में प्रतिवेदन दिया कि विकास कार्य व सफाई बेहतर है. इससे साफ है कि जनता को गुमराह करने के साथ-साथ कोर्ट को भी गुमराह कर रहे हैं.

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