गुजरात देश का ऐसा राज्य है, जहां शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है. नीतीश सरकार एक तरफ शराबबंदी का चुनावी वादा कर रही है, तो दूसरी तरफ उत्पाद विभाग में 831 सिपाहियों की भरती कर रही है. जनता इस दोहरे चरित्र पर निगाह रख रही है. शराबबंदी का वादा एक चुनावी स्टंट है. उन्होंने दस साल के अपने शासनकाल में देसी, विदेशी और मसालेदार-हर तरह की मदिरा को गांव-पंचायत तक सुलभ कराने का काम किया है. कानून की धज्जी उड़ाकर मंदिर-मसजिद, स्कूल-कॉलेज और कन्या विद्यालयों तक के पास धड़ल्ले से शराब की दुकानें खुलवाई गयी.
सबसे ज्यादा मेहरबानी शराब उद्योग पर ही दिखायी. राज्य में ब्रिवरीज की सात इकाइयां लगवाई गयी. देश में निर्मित विदेशी शराब के उत्पादन और उनकी बोतलबंदी (बाटलिंग) की 12 इकाइयों को स्थापना की अनुमति दी गयी. शराबखोरी से राज्य का उत्पाद राजस्व 250-300 करोड़ रुपये सालाना से बढ़ कर 4000 करोड़ सालाना तक पहुंच गया. सरकारी खजाना भरने के लिए नीतीश कुमार ने गरीबों के घर बरबाद कर दिये. राज्य भर में महिलाओं को सड़क पर उतरना पड़ा. नीतीश कुमार को झूठा वादा करने के बजाय महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए.