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ईश्वर कृपा के लिए अहंकार त्यागें : कृष्ण प्रिया

फोटोसंवाददाता, पटना ईश्वर की कृपा उन्हीं को प्राप्त होती है, जो अहंकार त्याग कर सच्ची भावना से प्रभु के समक्ष रहता है. भगवान को गोविंद नाम सबसे अधिक प्रिय है. गोविंद नाम के सिर्फ स्मरण से सभी संकट दूर हो जाते हैं. आध्यात्मिक सत्संग समिति के तत्वावधान में नागाबाबा ठाकुरबाड़ी में आयोजित भागवत कथा के […]

फोटोसंवाददाता, पटना ईश्वर की कृपा उन्हीं को प्राप्त होती है, जो अहंकार त्याग कर सच्ची भावना से प्रभु के समक्ष रहता है. भगवान को गोविंद नाम सबसे अधिक प्रिय है. गोविंद नाम के सिर्फ स्मरण से सभी संकट दूर हो जाते हैं. आध्यात्मिक सत्संग समिति के तत्वावधान में नागाबाबा ठाकुरबाड़ी में आयोजित भागवत कथा के छठे दिन बालशुकी कृष्ण प्रिया ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि रासलीला के पांच अध्याय हैं. प्रथम अध्याय को योग, दूसरे को उपासना, तीसरे को चिंतन, जिसमें गोपी गीत का वर्णन किया गया है. चौथे अध्याय को आनंद एवं पांचवें अध्याय को पूर्णांद कहा गया है. मंगलवार की कथा में रुक्मिणी-कृष्ण विवाह का संगीतमय वर्णन सुन कर सभी श्रोता भाव-विभोर हो गये. बुधवार को कथा का अंतिम दिन है. कथा 10 बजे शुरू होगी और एक बजे समापन होगा. कथा के दौरान समिति के पूर्व अध्यक्ष द्वारका प्रसाद तोदी, मोती लाल रूंगटा, पुष्कर लाल अग्रवाल, गोपाल कृष्ण झुनझुनवाला, बाल कृष्ण खेतान, सुरेश कुमार अग्रवाल उपस्थित थे.

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