फोटो — ‘घरेलू हिंसा से पीडि़ता के लिए न्याय’ पर कार्यशाला संवाददाता, पटना महिला हिंसा एक व्यापक विषय है. इसके लिए कानून भी है ताकि पीडि़ता सुरक्षा पा सके. बावजूद महिलाएं इसका लाभ नहीं ले पा रही हैं. आज भी महिलाएं जब हिंसा होने पर थाने जाती हैं,तो प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय उनसे दुर्व्यवहार किया जाता है. इससे महिलाएं घरेलू हिंसा अधिनियम का 2005 का लाभ नहीं ले पा रही हैं. ये कहना है दिल्ली उच्च न्यायालय की अधिवक्ता आभा सिंघल का. वह मंगलवार को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में महिला जागरण केंद्र की ओर से ‘ घरेलू हिंसा से पीडि़ता के लिए न्याय ‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि पीडि़ता जब थाने जाती है,तो थाने को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए. इससे दोषियों में खौफ भी बनेगा. कई बार पुलिस की अनदेखी करने पर आरोपित का मनोबल बढ़ता है. ऐसी स्थिति में पुलिस को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होकर काम करना होगा. कार्यक्रम में गया,समस्तीपुर व पटना जिलों के पुलिस पदाधिकारी शामिल थे. उन्हें न केवल महिलाओं के प्रति होने वाले हिंसा की जानकारी दी गयी, बल्कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की भी जानकारी दी गयी. महिला जागरण केंद्र की अध्यक्ष नीलू ने बताया कि सूबे में कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है. इसमें पुलिस पदाधिकारियों के अलावा गैर सरकारी संगठन व सरकारी संगठनों को ईमानदारी पूर्वक काम करना होगा. मौके पर महिला हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक प्रमिला कुमारी, अधिवक्ता श्रुति सिंह, मीता मोहिनी व मंजू शर्मा समेत अन्य उपस्थित थे.
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महिला हिंसा के प्रति पुलिस हो संवेदनशील: आभा सिंघल
फोटो — ‘घरेलू हिंसा से पीडि़ता के लिए न्याय’ पर कार्यशाला संवाददाता, पटना महिला हिंसा एक व्यापक विषय है. इसके लिए कानून भी है ताकि पीडि़ता सुरक्षा पा सके. बावजूद महिलाएं इसका लाभ नहीं ले पा रही हैं. आज भी महिलाएं जब हिंसा होने पर थाने जाती हैं,तो प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय उनसे दुर्व्यवहार […]
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