संवाददाता, पंचदेवरीप्रखंड क्षेत्र में कुल 97 आंगनबाड़ी केंद्र हंै, जिनमें 56 को आज तक भवन नसीब नहीं हुआ है. इसके कारण उसका संचालन या तो खुले आसमान के नीचे होता है या फिर किसी पेड़ के नीचे. इस व्यवस्था से आप खुद ही अंदाजा लगा सक ते हंै कि यहां नौनिहालों की पढ़ाई किस तरह होती है. जाड़े के मौसम में कड़ाके की ठंड हो या फिर गरमी की तपिश इन सभी विषम परिस्थितियों को इन केंद्रों के मासूम बच्चे झेलने को विवश हैं. इनता ही नहीं, 97 आंगनबाड़ी केंद्रों में से मात्र 44 पर ही चापाकल लगे हंै, जिनमें से चार खराब हो चुके हंै. अन्य 57 आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चे पानी कहां पीते हैं, इसकी परवाह विभाग को नहीं है. बाल विकास परियोजना कार्यालय की स्थिति तो और भी बदतर है. आज भी इसका संचालन गंडक विभाग के जर्जर भवन मंे होता है.आंकड़े एक नजर में स्थितिकुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या -97भवनहीन केंद्रों की संख्या – 56चापाकल रहित केंद्रों की संख्या – 53शौचालय रहित केंद्र – 57सेविकाओं के रिक्त पद – 1सहायिकाओं के रिक्त पद – 5क्या कहते हैं अधिकारीस्थानीय स्तर से दूर होनेवाली समस्याओं के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है. अन्य समस्याओं की सूचना विभाग को दे दी गयी है. जल्द ही समाधान हो जायेगा. बैजू कुमार मिश्र, प्रभारी सीडीपीओ
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पंचदेवरी में 56 आंगनबाड़ी केंद्रों को नहीं मिला भवन
संवाददाता, पंचदेवरीप्रखंड क्षेत्र में कुल 97 आंगनबाड़ी केंद्र हंै, जिनमें 56 को आज तक भवन नसीब नहीं हुआ है. इसके कारण उसका संचालन या तो खुले आसमान के नीचे होता है या फिर किसी पेड़ के नीचे. इस व्यवस्था से आप खुद ही अंदाजा लगा सक ते हंै कि यहां नौनिहालों की पढ़ाई किस तरह […]
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