लाइफ रिपोर्टर@पटनाकई बार लोग सब जानते हुए भी स्वच्छ रहना नहीं चाहते. लोग कहते हैं कि उसने तो यहीं कचरा फेंका मैं भी फेकूंगा. गाड़ी से निकलता धुआं, जोर-जोर से हॉर्न बजाते हुए सड़क पर चलना वगैरह-वगैरह. इन सब से निजात तब मिलेगा, जब हम खुद स्वच्छ रहना चाहेंगे. इन्हीं बातों को नुक्कड़ नाटक ‘संदेश’ में शुक्रवार को दिखाया गया. रंगसृष्टि द्वारा इस नाटक को कुमार ज्योतिन्द्र के निर्देशन में किया गया. रंगसृष्टि के निर्देशक सनत कुमार ने नये कलाकारों को आगे बढ़ाने की दृष्टी से यह नयी पहल की है. इस नाटक की खास बात यह है कि इसका निर्देशन एक नवयुवक कलाकार ने किया है. उनके निर्देशन में यह पहली प्रस्तुति थी. इस नुक्कड़ नाटक ने वर्तमान समाज में बेकाबू हो रहे प्रदूषण की समस्या के निदान की सरल उपाय से लोगों को अवगत कराया. यह थी कहानीकहानी में दिखाया गया कि एक अमेरिकन वैज्ञानिक भारत में फैल रहे प्रदूषण के बारे में खोज करने आता है और गुप्ता नामक एक आदमी से मदद लेकर अपना खोज जारी रखता है. इस बीच हमारे आसपास के गंदे परिवेश को वह देखता है. वह देखता है कि गाडि़यों से धुएं निकल रहे हैं, लोग जोर से हॉर्न बजाते हैं, गली में ही बच्चा शौच कर देता है, पास में ही महिला कूड़ा फेंक देती है. इन सब चीजों को देख कर वह अमेरिकन लोगों को साफ-सुथरे और स्वस्थ रहने के गुर सिखा देता है. वह कहता है कि तुम सुधरोगे, तभी देश बदलेगा. इस नाटक में कुमार ज्योतिन्द्र, धीरज कुमार, मोनी कुमारी, नंदन कुमार, मुहम्मद आसिफ, अरुण कुमार, विक्की राज, रवि कुमार ने अभिनय किया.
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विदेशी सिखा गया साफ-सुथरा रहना
लाइफ रिपोर्टर@पटनाकई बार लोग सब जानते हुए भी स्वच्छ रहना नहीं चाहते. लोग कहते हैं कि उसने तो यहीं कचरा फेंका मैं भी फेकूंगा. गाड़ी से निकलता धुआं, जोर-जोर से हॉर्न बजाते हुए सड़क पर चलना वगैरह-वगैरह. इन सब से निजात तब मिलेगा, जब हम खुद स्वच्छ रहना चाहेंगे. इन्हीं बातों को नुक्कड़ नाटक ‘संदेश’ […]
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