संवाददाता, पटनासामाजिक-आर्थिक व जाति आधारित जनगणना के अंतिम आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 95 लाख लोगों के पास पक्का का मकान नहीं है. इन मकानों में 35 लाख मकान तो धास-फूस व पॉलिथिन सीट से निर्मित हैं. यह माना जा रहा है कि इतने लोगों को इंदिरा आवास की आवश्यकता होगी. केंद्र सरकार ने 2022 तक सबको आवास उपलब्ध कराने की घोषणा की है. इंदिरा आवास में कटौती को लेकर राज्य सरकार द्वारा बार-बार आपत्ति दर्ज कराने का मामला अब सामाजिक-आर्थिक जनगणना में सामने आ गया है. राज्य में गरीबों की स्थिति को देखते हुए पूर्व में 10-11 लाख प्रति वर्ष इंदिरा आवासों की स्वीकृति दी गयी है. वित्तीय वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने महज दो लाख 80 हजार आवासों की स्वीकृति दी है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार इसको लेकर कई बार आपत्ति जता चुके हैं कि इंदिरा आवास के मानकों में बदलाव किया जाये जिससे पॉलिथिन व बांस के मकानों में रहनेवाले गरीबों को भी आवास मिल सके. बिहार में इस तरह के आवासों की संख्या अधिक है. अगर केंद्र सरकार की इस तरह की नीति रही तो 12-15 साल लग जायेंगे.
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राजपाट : 95 लाख पक्के मकानों की आवश्यकता है बिहारियों को
संवाददाता, पटनासामाजिक-आर्थिक व जाति आधारित जनगणना के अंतिम आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 95 लाख लोगों के पास पक्का का मकान नहीं है. इन मकानों में 35 लाख मकान तो धास-फूस व पॉलिथिन सीट से निर्मित हैं. यह माना जा रहा है कि इतने लोगों को इंदिरा आवास की आवश्यकता होगी. केंद्र सरकार ने […]
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