नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि एक सरकारी अस्पताल की लापरवाही के कारण आंख की रोशनी गवाने वाली लड़की को हर्जाने और चिकित्सा खर्च के तौर पर 1.72 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाये. न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति एस ए बोबदे की खंडपीठ ने लड़की के पिता पी कृष्णकुमार की ओर से दायर याचिका को स्वीकृति प्रदान की. पीठ ने बीते आठ अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. साल 1996 में चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में लड़की की आंख की सर्जरी हुई थी. इसके बाद से उसकी रोशनी चली गई. पीठ ने निर्देश दिया कि लड़की को हर्जाने के तौर पर 1.3 करोड़ रुपये और चिकित्सा खर्च के तौर पर 42.8 लाख रुपये का भुगतान किया जाए. उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग की ओर से तय हर्जाने की राशि में पांच लाख रुपये की बढ़ोतरी कर दी.
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उच्चतम न्यायालय ने आंख की रोशनी गवांने वाली लडकी को 1.72 करोड रुपये के हर्जाने का आदेश दिया
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि एक सरकारी अस्पताल की लापरवाही के कारण आंख की रोशनी गवाने वाली लड़की को हर्जाने और चिकित्सा खर्च के तौर पर 1.72 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाये. न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति एस ए बोबदे की खंडपीठ ने लड़की के पिता […]
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