और तो और नीतीश कुमार ने अपना उतराधिकारी जीतनराम मांझी को बनाया और उन्हे मान सम्मान दिया. लेकिन, भाजपा की कुटनीति ने जीतनराम मांझी को कैप्चर कर लिया. जो आरोप जदयू शुरु से लगाती रही है कि मांझी भाजपा के बहकावे में आ गये हैं वह साबित हो गया. मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि सुशील मोदी यदि महादलित के इतने ही बड़े हिमायती हैं तो वो आज यह घोषणा करे कि बिहार में एनडीए का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कोई महादलित होगा.
उन्होने कहा कि सुशील मोदी में इतनी हिम्मत है तो वो जीतनराम मांझी या रामविलास पासवान के नाम को मुख्यमंत्री पद के उम्मीवार के तौर पर पेश करना चाहिये. उन्होनें कहा कि नीतीश कुमार ने तो अपनी सीएम की कुर्सी महादलित को दे दी थी. मोदी को कम से कम तो उम्मीदवार तो बनाना चाहिये. सिंह ने कहा कि सुशील मोदी छात्रवृति की बात करते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश में पहली बार छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरु की. दूर-दराज़ और गांव के छात्र , शहर और गांव के गरीब छात्र , अनुसूचित जातियों और जन जातियों के छात्र कैसे स्कूल तक पहुंचे इस बात पर गहन विचार करके सरकार ने पोशाक योजना , छात्रवृति योजना , छात्रवास योजना , साइकिल योजना प्रदेश में लागू की.
इसका नतीजा यह निकला कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की बेहतासा वृद्धि हुई . जो छात्र दूर-दराज़ से पढने जाते थे उनके लिए साइकिल दी गयी. अनुसूचित जाति और जन जाति के छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था की गयी. राज्य सरकार छात्रों को स्कूल ड्रेस भी देती है. सिंह ने कहा कि सुशील मोदी को यह तमाम चीजें नही दिखती हैं. वह जदयू के साथ वित मंत्री थे. दिल पर हाथ रख कर कहें कि छात्रों के हित में नीतीश कुमार ने जो काम किया है वो मिल का पत्थर है या नही .