पटना : 2003-04 से लेकर 2012-13 तक की अवधि में विभिन्न विभागों ने सरकारी खजाने से अनुदान व सहायक अनुदान के मद में 46223.69 करोड़ रुपये की निकासी की है, लेकिन इस अवधि में मात्र दो हजार करोड़ का ही हिसाब यानी उपयोगिता प्रमाणपत्र महालेखाकार को दिया गया है.
मुख्य सचिव ने कहा कि अगले माह से हर सप्ताह इसकी मॉनीटरिंग होगी. हाल ही में मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने विभागीय प्रमुखों की समीक्षा बैठक में विभागीय प्रमुखों को अभियान चला कर लंबित उपयोगिता प्रमाण का सामंजन महालेखाकर कार्यालय में कराने का निर्देश दिया है.
जहां है बड़ी राशि
कृषि विभाग के प्रतिनिधि ने मुख्य सचिव को बताया कि कृषि विश्वविद्यालयों को जो अनुदान दिया गया है उसका उपयोगिता प्रमाण उनके द्वारा नहीं किया गया है. सभी उपकुलपतियों को उपयोगिता प्रमाणपत्र देन का निर्देश दिया गया है.
अगले सप्ताह तक 500 करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र मिलने की संभावना है. सिंचाई विभाग को 238 करोड़, उद्योग विभाग को 1000 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र देना है.
सात विभागों को कराना है 2050 करोड़ का सामंजन
इधर डीसी बिल के सामंजन की धीमी प्रगति को मुख्य सचिव ने गंभीरता से लिया है. समीक्षा के क्रम में यह भी खुलासा हुआ कि पिछले तीन सप्ताह में मात्र 183.87 करोड़ के डीसी बिल का ही सामंजन हो पाया है.
जबकि कराने का लक्ष्य था 4000 करोड़. शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, गृह विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण, योजना एवं विकास विभाग, एससी/एसटी कल्याण व समाज कल्याण विभाग को 2050.76 करोड़ रुपये का डीसी बिल जमा कराना है.