पटना. भाकपा-माले ने हड़ताली आशाकर्मियों की मांगों का समर्थन किया है. मंगलवार को माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि आशाकर्मी खुद को सरकारी सेवक घोषित करने और 15,000 रुपये मानदेय देने की मांग को लेकर 21 से हड़ताल पर हैं, किंतु सरकार को उनकी कोई फिक्र नहीं है. सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के बजाय उनके दमन पर उतर आयी है. यह आशाकर्मियों के साथ सरासर अन्याय है. उन्होंने कहा है कि दरभंगा, रोहतास, लखीसराय, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में हड़ताली आशा कर्मियों पर हड़ताल वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. यही नहीं, उन पर एफआइआर दायर करने की धमकी तक दी जा रही है. बिहार की आशाकर्मी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत हैं. उन्हें प्रत्येक प्रसव पर 600 रुपये दिये जाते हैं, एंबुलेंस से आने-जाने पर उनका 200 रुपये काट भी लिया जाता है. उन्हें दुर्घटना या स्वास्थ्य बीमा का भी कोई लाभ नहीं दिया जा रहा. माले सचिव ने कहा है कि यदि आशाकर्मियों की मांगें नहीं मानी गयी, तो माले उनके समर्थन में सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेगा.
आशाकर्मियों की हड़ताल का भाकपा माले ने किया समर्थन
पटना. भाकपा-माले ने हड़ताली आशाकर्मियों की मांगों का समर्थन किया है. मंगलवार को माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि आशाकर्मी खुद को सरकारी सेवक घोषित करने और 15,000 रुपये मानदेय देने की मांग को लेकर 21 से हड़ताल पर हैं, किंतु सरकार को उनकी कोई फिक्र नहीं है. सरकार उनकी मांगों पर […]
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