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विशाल की मौत के तीन गुनहगार
खुले मैनहोल में गिरने के बाद पीएमसीएच में इलाज के क्रम में हुई लापरवाही पटना : खुले मैनहोल में गिरने के बाद धोबी घाट के रहनेवाले विशाल (16) के इलाज में पीएमसीएच में घोर लापरवाही हुई. करीब डेढ़ घंटे के प्रयास के बाद मैनहोल से निकाला गया विशाल पीएमसीएच में उलटी सांस खींचता रहा. इलाज […]
खुले मैनहोल में गिरने के बाद पीएमसीएच में इलाज के क्रम में हुई लापरवाही
पटना : खुले मैनहोल में गिरने के बाद धोबी घाट के रहनेवाले विशाल (16) के इलाज में पीएमसीएच में घोर लापरवाही हुई. करीब डेढ़ घंटे के प्रयास के बाद मैनहोल से निकाला गया विशाल पीएमसीएच में उलटी सांस खींचता रहा. इलाज के नाम पर कभी इस वार्ड, तो क भी उस वार्ड में भेजा जाता रहा.
परिजनों को बाहर से दवा लाने के लिए बोला गया. दवा लेकर वह इधर-उधर भटकते रहे. सही ढंग से इलाज नहीं हो सका. घरवाले अस्पतालकर्मियों से विनती करते रहे, पर किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. देर रात करीब 12.30 बजे विशाल की मौत हो गयी. परिजनों का रो-रो कर हाल बेहाल है. खुले मैनहोल के लिए कोई नगर निगम को कोस रहा था, तो कोई जिला प्रशासन को. लेकिन, सबसे ज्यादा गुस्सा पीएमसीएच के कर्मियों पर था.
विशाल की मां माधुरी देवी व पिता शिवराम का कहना है कि अगर सही ढंग से इलाज हुआ होता, तो उसे बचाया जा सकता था. उसे ऊपरी तौर पर कोई चोट नहीं लगी थी. उसकी मौत के बाद नाक से थोड़ा खून निकला था. परिजनों की मानें तो एक हाथ में सूजन थी, जिससे लग रहा था कि हाथ की हड्डी टूट गयी थी.
गुनहगार नंबर एक
पहली चूक नगर निगम की
सड़क पर खुल मैनहोल को बंद करना नगर निगम की जिम्मेदारी है. लेकिन, नगर निगम को शायद यह भी मालूम नहीं होगा कि राजधानी में कितने मैनहोल है, जो खुले पड़े हैं. लापरवाही की हद यह है कि एक गरीब परिवार का बेटा मौत का शिकार हो गया. शर्मनाक यह है कि इस घटना के बाद भी मैनहोल को रविवार की शाम तक बंद नहीं किया गया था.
गुनहगार नंबर दो
दूसरी चूक जिला प्रशासन की
विशाल रात के करीब 10.30 बजे खुले मैनहोल में गिर गया. मुहल्ले के लोगों ने ही कमर में रस्सी बांध कर करीब 30 फुट गहरे पानी में उसकी तलाश करते रहे. कोतवाली पुलिस व जिला प्रशासन के लोग भी पहुंचे. लेकिन, डेढ़ घंटे तक चले प्रयास के दौरान मूकदर्शक बने रहे. बड़ी मुश्किल से विशाल को बाहर निकला गया. क्या प्रशासन के पास कोई ऐसा तरकीब नहीं है, जिससे नाले में गिरे हुए किसी व्यक्ति को निकला जाये. क्या हाइ प्रोफाइल केस में भी पुलिस इसी तरह से खामोश रहती.
गुनहगार नंबर तीन
तीसरी चूक पीएमसीएच की
विशाल को किसी तरह से मैनहोल से निकला गया. उसकी सांस चल रही थी. घरवाले बदहवास थे.वह अस्पताल लेकर चलने की सिफारिश कर रहे थे. प्रशासन ने उसे गाड़ी से पीएमसीएच भेजवाया, पर वहां समय से इलाज नहीं मिल सका. परिजनों का आरोप है कि उसे इस वार्ड से उस वार्ड तक घुमाया गया. आधा घंटा तक चले हिला-हवाली के बीच विशाल की मौत हो गयी. परिजनों का पीएमसीएच के प्रति जबरदस्त गुस्सा है.
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